(रीवा सिंह की फ़ेसबुक वॉल से)
एकता कपूर कोविड पॉज़िटिव हो गयीं इसके साथ ही आज कोविड पर दर्जनों पोस्ट्स पढ़ने को मिले जो दावेदारी करते हैं कि कोविड होना ही है, कोई नहीं बचेगा, त्रिवेदी भी नहीं और कुछ तो यह भी कह डालते हैं कि फिर मास्क और पाबंदियों का करना क्या है? बेफ़िक़्र घूमो. उन सभी के लिये कुछ बातें –
- जेनेटिक म्यूटेशन बहुत साधारण कॉन्सेप्ट है विज्ञान में, इसके आशय व विषय-वस्तु को समझे बिना निष्कर्ष तक कूदने से बचें. जीन्स जितनी बार म्यूटेट होते हैं उतनी बार अलग फ़ॉर्म में आते हैं, उनमें कुछ भिन्नता होती है. भिन्नता का तात्पर्य ही है विविधता, फिर आप यह मानने की जल्दबाज़ी क्यों कर रहे हैं कि कोविड का हर वेरियंट एक जैसा होगा? ऐसा कभी नहीं होगा! और यह भी ज़रूरी नहीं कि सिलसिलेवार तरीके से हर वेरियंट पहले से ज़्यादा ख़तरनाक हो.
- इस वेरिएशन के कारण ही इंफ़ेक्शन (संक्रमण) के कारण व माध्यम बदलते रहते हैं. आज तक वैज्ञानिक इस पर ठोस तरीके से बात नहीं रख पाये कि पहला वेरियंट कैसे फैल रहा था, फिर ओमिक्रॉन कैसे फैल रहा है और कैसे नहीं इस पर हम कुछ कैसे तय कर लें?
- एकता कपूर ने अपना ख़ूब ख़याल रखा, सावधानी बरती फिर भी वो नहीं बचीं अगर आप भी यह कहना चाह रहे हैं तो याद करें अप्रैल 2021 और कोविड के दूरे लहर की तबाही जिसमें हर व्यक्ति ने किसी क़रीबी को खोया. एकता कपूर ने सावधानियाँ बरतीं तभी वे सुरक्षित रहीं और इस वेरियंट से ग्रसित इसलिए हुईं क्योंकि WHO के मुताबिक यह पिछले दोनों वेरियंट से कई गुना तेज़ी से फैल रहा है. आपकी तरह लापरवाही भरी बातें करतीं तो शायद सुरक्षित न रहतीं.
- इस वेरियंट के बारे में एक महीने पहले ही कहा जा चुका है कि यह अति तीव्र होगा, मार्च तक 10 लाख तक लोग संक्रमित होंगे और आप देख ही रहे हैं फिर यह कहना कि सावधानियों का क्या मतलब जब हो ही रहा है, कृपया इतने अनभिज्ञ न बनें. हमें माध्यम का नहीं पता तो बचाव ही उपाय है.
- एकता कपूर के पास मेडिकल सुविधाएं हैं, हमेशा किट उपलब्ध रहती है फिर भी संक्रमित! एक बार फिर दोहरा रही हूं कि संक्रमण के माध्यम का ही पता नहीं है. और दवाइयाँ इसलिए होती हैं ताकि बीमार होने पर अतिशीघ्र इलाज हो सके. बिना संक्रमित हुए कोई व्यक्ति मल्टी विटामिन्स के अलावा क्या ही ले सकता है? रोग होने से पहले ही बचाव के लिये जो ड्रग्स हम कंज़्यूम करते हैं वे दवाइयाँ नहीं होतीं.
- हालांकि ज़िंदगी पर किसी का ज़ोर नहीं है लेकिन अगर एकता कपूर की (God forbid) हालत में सुधार नहीं होता, उनका स्वास्थ्य गिरता है तो उनके पास चिकित्सकों की कतार लगी होगी, वे तमाम सुविधाओं से लैस होंगी. सामान्य व्यक्ति मेडिकल इंश्योरेंस का मुंह ताकता है, मामूली ऑक्सिज़न सिलिंडर पचास हज़ार में ख़रीदता है, अस्पताल में जगह नहीं मिलती और दम तोड़ देता है.
- जब एकता कपूर संक्रमित हो गयीं तो किस काम की सावधानियां, सब हटाओ, मरने दो... लोग अपने आप ठीक हो जाएंगे - ऐसी संवेदनहीन बातें कैसे की जा सकती हैं? एक वर्ष नहीं बीता जब हमने वायरस की क्रूरता देखी है, हर तरफ़ मरते हुए लोग देखे हैं फिर इतनी निष्ठुर बातें कैसे कही जा रही हैं? प्रकृति का ख़ौफ़ खायें. वह आस्तिक-नास्तिक सबको समेटकर ड्रास्टिक होती है.
- सावधानियां न बरती जाएं ऐसा कहने की लापरवाही हम कैसे कर सकते हैं उस देश में जहां मास्क नाक से ऊपर खिसकाने में 20,000 कैलेरीज़ बर्न करने जितनी मेहनत लग रही हो और पूर्ण लॉकडाउन में भी जबतक पुलिस सड़कों पर परेड न करे तबतक लोग जाँबाज़ बनकर सड़क पर घूमते रहते हों. जब हमें सबसे अपना ख़याल रखने की, सावधानी बरतने की अपील करनी चाहिए तब हम ऐसी तुच्छ बातें करने की लापरवाही कैसे कह सकते हैं? क्या हम इसके प्रति जवाबदेह होंगे? क्या हमारे पास इसका कोई वैज्ञानिक सिद्धांत या शोध व प्रमाण है जिसके आधार पर हम लोगों को बेफ़िक़्र रहने की बात करें? बिना जेनेटिक्स को समझे, बिना वायरॉलजी की ओर देखे ऐसे निष्कर्ष पर आना जल्दबाज़ी है, अनभिज्ञता है, लापरवाही है.
एकता कपूर व सभी संक्रमित लोग शीघ्र स्वस्थ हों इस कामना के साथ.
(रीवा पत्रकार हैं और मुद्दों पर खुल कर अपनी बात रखती हैं.)
(यहां दिये गये विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)