मेरे एक दोस्त को एक्ज़ाम टाइम में हॉस्टल की लॉबी में से बू आने लगती थी, स्मेल के प्रति उसकी संवेदनशीलता बढ़ जाती थी. दूसरे को अपनी टेबल पर किसी और के बिखरे सामान पर गुस्सा आने लगता था, कोई बार बार गला खंखारता था. ये एंग्जायटी अटैक है ,हमने बाद में समझा.
बहुत अलग-अलग होते हैं लक्षण
किसी इवेंट्स को शानदार तरीक़े से करने वाली महिला के इवेंट्स के खत्म होने के बाद में सर दर्द हो जाता है ,भले ही इवेंट्स कितना अच्छा हुआ हो. किसी इवेंट्स की तैयारी करना अच्छी बात है पर बहुत ज्यादा तैयारी करना एंग्जायटी की निशानी है आप जानते हैं. इवेंट्स में शामिल लोगों के व्योवहार को कंट्रोल करने की इच्छा , इवेंट्स के दौरान मनचाहे तरीके से चीज़ें ना होने पर बहुत ज्यादा गुस्सा करना, ये सब भी अटैक के लक्षण होते हैं. हम में से बहुत से लोग इन्हें पहचान नही पाते क्योंकि ये टेम्प्रेरेरी होते है ,कुछ लोगो में कुछ समय तक रहते है.
कोई व्यक्ति किसी तनाव के प्रति कैसे रिएक्ट करेगा हम नही जानते. एक जैसा तनाव अलग-अलग व्यक्तियों में अलग रिएक्शन देता है, मसलन कुछ लोग डिप्रेशन में कम खाते हैं और कुछ लोग ज्यादा खाने लगते हैं. इसे "इमोशनल ईटिंग " कहते है ,जब आपकी निर्भरता खाने पर हो जाती है.
जानिए ट्रिगर फैक्टर
अपने परिचितों में से एक परिवार में एक नौजवान बहू के लगातार माइग्रेन रहने पर मैंने उसी घर की बुजुर्ग महिला से बेहद विनम्र तरीके से अकेले में कहा था के उनका लगातार "डॉमिनेटिंग व्यवहार" इस बीमारी में एक "ट्रिगर फैक्टर " का काम करेगा.
मैंने उनसे यह नहीं कहा था कि उनका व्यवहार भी एक कारण हो सकता है फिर भी वे नाराज़ हो गयी थीं. समाज का एक बड़ा हिस्सा अभी भी इस इस बात से नावाकिफ़ है कि भीतर जमा इमोशन अगर एक्प्रेस ना हो तो वे आपको बीमार कर सकते हैं.
(अनुराग आर्या की फ़ेसबुक वॉल से)