कितना कुछ पीछे छूट जाता है. आपके पास सिर्फ स्मृतियां बची रहती हैं. जब हम किसी सुदूर यात्रा पर जाते हैं - आधी यात्रा पर पीछेछूटे हुए शहर की स्मृतियां मंडराती हैं. "वार एंड पीस" उपन्यास पढ़ते हुए मैंने ये पंक्तियां पढ़ी थी।
मुझे यात्रा करना पसंद है. कनाडा में ब्रैंपटन पांचवा शहर है जहां मैं रह रही हूं. इस शहर को अभी बस छुआ है. यहां के लोगों को ,उनकीजिन्दगी को दूर से ही देखा है. प्रकृति के नजारे देखें हैं. जनवरी से मार्च तक यहां खूब बर्फ गिरती है. बर्फ को गिरते देख कर मेरे भीतरदुनिया की तमाम कविता उतर आती है.
रूसी कवि इवान ज़खारोविच सुरिकोव की कविता
रूसी कवि इवान ज़खारोविच सुरिकोव की कविता( सर्दी ) की याद आ गई.
सफेद बर्फ, भुलक्कड़
हवा में घूम रहा है
और चुपचाप जमीन पर
गिर जाता है, लेट जाता है.
और सुबह की बर्फ़ के नीचे
मैदान सफेद हो गया
कफन की तरह
दूसरे शहरों से ये शहर थोड़ा अलग है. शहर के छोर पर, जहाँ पहाड़ी शुरू होती है झील की दो धाराएँ बहती हैं. अभी झील बर्फ से भराहुआ है. आज सारे दिन बर्फ के फाहे गिरते रहे हैं। मेरे घर के पास लाल तख्तों की बेंचें पड़ी हैं, बर्फ लगातार उन पर झरते रहते. कभी - कभी हवा का कोई झोंका उन्हें उड़ा ले जाता है.
ब्रैंपटन शहर कनाडा का
ब्रैंपटन को 1853 में एक गांव के रूप में बसाया गया था. इसका यह नाम इंग्लैंड की कम्ब्रिया काउंटी के ब्रैंपटन ग्रामीण नगर से लियागया है. एक समय में ब्रैंपटन कनाडा के फूलों के शहर (द फ्लॉवर टाउन ऑफ कैनेडा) के नाम से जाना जाता था. इसे ग्रीनहाउस भी कहतेहैं. मूल रूप से ये किसानों का शहर है. दूर तक फैले खेत अभी बर्फ से ढका हुआ है. गर्मियों में फसलों से लहलहाता है. यहां के किसानहमारे देश के किसानों की तरह गरीब नहीं है. किसान अमीर होते हैं. उनके घर खूबसूरत और छोटे छोटे होते हैं. ये लोग गाय, सुअर, भेड़, मुर्गियां खूब पालते हैं. इनका जीवन मेहनत से भरा है. एक पुरानी चीनी कहावत है हजारों मील की यात्रा एक छोटे कदम से शुरू होती है. हमनें भी छोटे छोटे कदमों से इस शहर को नापना शुरू किया है. हर रोज सड़कों को देखने निकल जाती हूं. इस शहर को मिनी पंजाब भीकहा जाता है. यहां इनका दबदबा है. मुझे रास्ते पर अक्सर सरदार जी मिल जाते हैं. जैसे हिन्दुस्तान मेरे पहलू में हो. हम एक दूसरे कोदेखते ही कहते हैं "सतश्री अकाल ". एक बुजुर्ग सरदार जी मुझे टहलते मिल गए. उन्हें देख कर मेरी आंखें चमक गई. वे भी देखकरमुस्कुराए. एक अनजान शहर कितना अपना हो उठा. कनाडा की यही खूबसूरती है. यहां दुनिया के सभी मूल के लोग बसे हैं. जैसे पूरीदुनिया हो आपके सामने.
मेरी मकान मालकिन अफ्रीकन मूल की है. उससे मुलाकात हुई. काली चमकती आंखें और गहरे रंग का जादुई असर है, कितनीखूबसूरत है ये. उम्र शायद 30,32 साल होगी. हमने एक दूसरे से परिचय किया.
मैं पुश्किन की मां हूं. हमने अंग्रेजी में कहा
“अच्छा लगा आपसे मिलकर!”
उम्मीद है आपकी यात्रा अच्छी रही होगी.
गुड नाइट मैम , गुड नाइट, गुड नाइट…”
बाहर धुन्ध की नीली तहें बहुत घनी हो चली है. सामने लॉन में बर्फ जमी है. ठंडी हवा के झोंके ने मुझे सिहरा दिया. मैं कमरे के अंदर आगई हूं. शाम की नीली आभा में गिरते हुए बर्फ को देख रही हूं. मेरे प्रिय कवि की कविता मेरे भीतर उतर रही है -
पवित्र रात आसमान में उठी है,
और एक सुखद दिन, एक दयालु दिन,
सोने के घूंघट की तरह वह मुड़ गई,
रसातल पर फेंका गया पर्दा।
और एक दृष्टि की तरह, बाहर की दुनिया चली गई है...
(निवेदिता लेखिका हैं और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. यह पोस्ट उनकी फ़ेसबुक वॉल से लिया गया है.)
(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)