गणतंत्र दिवस पर सभी दोस्तों को जोहार और ढेरों शुभकामनाएं !
आज बहुत देर से आंखें खुलीं. देर से जागा. इसलिए क्षमा करेंगे, आप तक आने में देर हुई. अपने गांव में हूं, अपने घर पर. टायफ़ायड या मियादी बुख़ार था. अब ठीक हो रहा हूं. कुछ समय, शायद दो-चार दिन और लगेंगे. ठीक कल हो गया था लगभग, लेकिन रात एक बार एक-दो घंटे के लिए अचानक शीत लहर चल गयी और फिर ढह गया. आज सुबह बिलकुल ठीक हूं. धूप खिली है. रात में चिड़ियों को अपने कमरे में ले आया था. वे डरी-सहमी लग रहीं थीं. शायद पांच-छह दिन उनसे न मिल पाने के कारण, वे ज़रा जरा-सी अजनबी हो गयीं थीं लेकिन स्मृतियों में मैं था, इसलिए वे सहमी हुई भी उत्सुक थीं. फिर वे चहकने लगीं. मुझे गहरी नींद आयी.
गणतंत्र मुझसे दो वर्ष बड़ी उम्र का है
गणतंत्र मुझसे दो वर्ष बड़ी उम्र का है. मैं सत्तर, गणतंत्र बहत्तर पार कर तिहत्तर. उम्मीद है, हमारा गणतंत्र स्वस्थ है. सच्चे मन से प्रार्थना है कि उसे कोई रोग न लगे. वह मुझसे और हम जैसे बहुतेरे नागरिकों से ही वरिष्ठ नहीं, दुनिया का सबसे वरिष्ठ, सबसे बुज़ुर्ग, सबसे पुराना गणतंत्र है. जब पश्चिम चरवाहा और घुमक्कड़ था, हमारे यहां इस उप-महाद्वीप में गणराज्य था. हमारे गणतंत्र होने की सबसे प्राचीन पहचान बनी रहे, यह गणराज्य बना रहे , किसी अन्य का राज्य न बने, यही आकांक्षा है.
(यह वरिष्ठ हिंदी लेखक उदय प्रकाश जी के फ़ेसबुक वॉल पर दर्ज उनका पर्सनल नोट है, जिसे हम आपके समक्ष लेकर आए हैं.)
(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)
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