Patriarchy & Feminism : पितृसत्ता के विमर्श में भाषा की भूमिका

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 06, 2022, 11:30 PM IST

आप बात को किस तरह से कहते है उस से बहुत फर्क पड़ता है. सुनने वाले की समझ आपके वाक्यों के प्रयोग के हिसाब से बनती है.

ज्योति गोयल

आप बात को किस तरह से कहते है उस से बहुत फर्क पड़ता है. सुनने वाले की समझ आपके वाक्यों के प्रयोग के हिसाब से बनती है.

उदाहरण के तौर पर -

शादी के बाद अक्सर लड़कियाँ नौकरी छोड़ देती हैं.

शादी के बाद अक्सर लड़कियाँ नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाती हैं.

शादी के बाद अक्सर लड़कियाँ नौकरी छोड़ने को मजबूर की जाती हैं.

पहले दो तरीके के वाक्यों के प्रयोग से असलियत को छुपा दिया जाता है या तोड़ मरोड़ दिया जाता है.

इस तरह के वाक्यों के प्रयोग से ऐसा जताया जाता है कि--

शोषण सहना महिला की मर्ज़ी है,

महिला ही अपने शोषण की दोषी है,

महिला के शोषण में पुरुष की कोई भूमिका नहीं है,

Etc etc.. 

पितृसत्ता के खिलाफ विचार - विमर्श में ये बात समझना बहुत मायने रखता है.

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(ज्योति बेहद सशक्त फेमिनिस्ट हैं. उनके विचारों को पढ़ना और समझना स्त्री के पक्ष वाली वैचारिकी के थोड़ा और करीब होना है.)

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

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