आज सुबह जब ऑफ़िस आने के लिए ऑटो बुक किया तो उस ऑटो की ड्राइविंग सीट पर एक आदमी के साथ 2-3 साल का एक बच्चा भी था. मैंने पूछा ये बच्चा यहां क्यों? तो ऑटो वाले ने जवाब दिया - आज इसकी मम्मी ने स्कूल ज्वॉइन किया है इसलिए ये मेरे साथ रहेगा कल से मेरी मम्मी आ जाएंगी तो ये अपनी दादी के साथ रह लिया करेगा.
बीच में बच्चा पानी के लिए भी रोया और उसने कुछ खाने के लिए भी मांगा. ऑटो वाले ने दोनों बार बिलकुल एक मां के जैसे ही बच्चे को समझाया. रेडलाइट पर ऑटो रुका तो बच्चे को पानी भी पिला दिया. बीच में एक बिस्किट का पैकेट भी निकालकर दे दिया. मेरे पर्स में टॉफी थी, मैंने भी बच्चे को दी और उससे बातें भी करती रही.
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कितनी अपनी सी लग रही थी मुझे इस ऑटोवाले की कहानी.. . रोज मैं भी इसी सबसे दो-चार होती हूं, जब शिद्दत को घर पर अपने मम्मी-पापा के पास छोड़कर आती हूं. जब ऑफिस से घर जाकर भी किसी काम में लग जाती हूं और पति बच्ची को संभाल लेते हैं.
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कुछ लोग ऐसे पतियों को तपाक से बीवी की कमाई खाने वाला पति कह देते हैं. कुछ लोगों को ऐसा पति एक प्रोग्रेसिव पुरुष भी लगता है जो अपनी पत्नी के सपनों और चाहतों की कद्र करना जानता है. आप अपनी सोच के दायरों को चाहें तो कितना भी छोटा और बड़ा कर लें, सच ये है कि ऐसे पुरुषों के साथ से ही कुछ औरतों की जिंदगी और सपने गुलज़ार हैं.
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P.S ~ मां बनना सुख है, सुकून भी... लेकिन उसके बाद भी एक औरत अपनी सपनों वाली सामान्य ज़िंदगी जीती रहे..... उसमें पिता बने पुरुष का रोल काफ़ी अहम हो जाता है.
(हिमानी दीवान पत्रकार और लेखिका है. शॉर्ट स्टोरीज पर उनकी पहली किताब 'जिंदगी में चाहिए नमक' साल 2021 में प्रकाशित हुई है, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया है. इससे पहले उनकी कई कविताएं और कहानियां भी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं)
(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)