Bhuj Airport: जब बहादुर ​महिलाओं ने 92 बमों और 22 रॉकेटों से नष्ट हो चुकी हवाई पट्टी का स्वरूप बदल डाला 

पुष्पेंद्र शर्मा | Updated:Feb 26, 2022, 11:06 PM IST

bhuj airport

बहादुर महिलाओं ने इस काम को 72 घंटे में पूरा कर दिया था.

अमरेंद्र किशोर

भुज एयरपोर्ट. आकार में बेहद छोटा है. इसकी हवाई पट्टी मात्र 800 मीटर लम्बी है. एयरपोर्ट का रकबा मुश्किल से 800 एकड़ है. यहां नागरिक विमानों का आना जाना बहुत कम है. यह सैन्य मामलों में ज्यादा काम आता रहा है. 

साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसकी हवाई पट्टी पूरी तरह नष्ट हो चुकी थी क्योंकि पाकिस्तानी बमवर्षकों ने इसपर नेपल्स बम गिराए थे. दस्तावेजों के मुताबिक इस हवाई क्षेत्र में 14 दिनों में 92 बमों और 22 रॉकेटों के हमलों के साथ 35 बार हमले किए गए लेकिन गुजराती माटी की आन, बान और शान कहिये... करीब के गांव माधपार की 300 महिलाओं के समूह द्वारा इस हवाई पट्टी को युद्ध के दौरान रात दिन एक कर फिर से बना दिया गया. उन बहादुर महिलाओं ने इस काम को निर्धारित 72 घंटे में पूरा कर दिया था. बाद में भारत सरकार ने इन महिलाओं को 50,000 के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया. 

साथ में वायु सेना के 50 जवान और 60 डीएससी कर्मियों के साथ बेस कमांडर स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिके और उनके 2 अधिकारियों ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए पाकिस्तानी बमबारी को रोककर एयरबेस को चालू रखने का शानदार काम किया.

Great Indian Weddings: “आज्जी मेरे यारी की शादी है” पर नाचती बारात है

भुज एयरपोर्ट के करीब खरी नदी बहती है और करीब में पथरीली जमीन पर उगा प्राचीन जंगल चारों ओर फैला है. पिछले साल इस नदी से निकलकर साढ़े 5 फीट का एक घड़ियाल भूलता भटकता एयरपोर्ट से शहर की ओर जाती सड़क पर किसी तेज वाहन की चपेट में आकर मारा गया. स्थानीय लोगों के अनुसार यह इलाका जहरीले सांपों की धरती है. पिछले साल एयरपोर्ट के करीब  अलग अलग समय मे 5 रसेल वाईपर पकड़े गए थे. 

Mythological Story : सबके होते हैं अपने-अपने स्वर्ग

(अमरेंद्र किशोर डेवलपमेंट फाइल्स के एडिटर हैं. लेखक की फेसबुक वॉल से यह लेख साभार प्रकाशित किया जा रहा है. )

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक जिम्मेदार है.)

अमरेंद्र किशोर आपकी वॉल से भुज