अखिलेश-जयंत सिंह की जोड़ी यूपी विधानसभा चुनावों में क्या बढ़ाएगी बीजेपी की मुश्किल?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Nov 25, 2021, 06:13 PM IST

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 35 से 40 सीटें आरएलडी मांग रही है. पार्टी से जुड़े एक सूत्र ने कहा है कि गठबंधन पर तस्वीर अगले सप्ताह तक साफ हो जाएगी.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) लगातार अपने गठबंधन को मजबूत करने में जुटी हुई है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार इस कोशिश में जुटे हैं कि छोटी पार्टियों के सहारे मजबूत गठबंधन वे तैयार कर सकें. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत पकड़ वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के साथ भी अब सपा के गठबंधन की तस्वीर साफ हो चुकी है.

दरअसल 23 नवंबर 2021 को एक तस्वीर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की. तस्वीर में अखिलेश यादव, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ हाथ मिलाते दिखे. कैप्शन दिया कि जयंत चौधरी के साथ बदलाव की ओर. अखिलेश ने साफ इशारा कर दिया है कि उनकी पार्टी का गठबंधन रालोद के साथ तय है. 

नाम न बताने की शर्त पर राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी आरक्षित सीटें रालोद के खाते में आ सकती हैं. रालोद ने यही शर्त रखी है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार बनती है तो डिप्टी सीएम का पद भी रालोद पार्टी के पास ही रह सकता है. तस्वीर साफ है कि सपा की सबसे बड़ी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल साबित होने वाली है. 

क्या कहता है पश्चिमी यूपी का सियासी गणित?

उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं. 2017 के विधानसभा चुनावों में यूपी में आरक्षित सीटों की संख्या 86 थी. 84 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित थीं और 2 अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए. अगर पश्चिमी यूपी की बात करें तो रालोद की मांग है कि 35 से 40 सीटें उसके हिस्से में आए. पार्टी से जुड़े सूत्र ने भी यही दावा किया है कि सपा इस समीकरण पर मान भी गई है. 

सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि समाजवादी पार्टी और रालोद के बीच हुए इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा भी जल्द हो सकती है. दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग पर फैसला अपने अंतिम दौर में है. 

रालोद के साथ सपा का गठबंधन पुराना रहा है. ऐसे में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी यह गठबंधन एक बार फिर मजबूत हो रहा है. रालोद की पकड़ जाट वोटों में मजबूत है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटरों का एक बड़ा तबका भारतीय जनता पार्टी (BJP) से नाराज है. कृषि कानूनों के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ है. राकेश टिकैत की अगुवाई में किसान अब भी केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान भले ही कर दिया हो लेकिन किसानों की मांगें लगातार बढ़ रही हैं. ऐसी स्थिति में किसानों की नाराजगी को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश हर पार्टियां कर रही हैं. सपा ने अपने सबसे बड़े भागीदार के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश को साधने की कोशिश की है. सपा चाहती है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटें गठबंधन के पास ही रहें. 

कैसे मजबूत हो सकती है सपा की पश्चिमी यूपी में पकड़?

जाट वोटरों का एक बड़ा तबका बीजेपी से नाराज है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत किसानों के साथ-साथ जाटों के भी बड़े नेता हैं. रालोद के पास भी मजबूत जाट वोट बैंक है. राकेश टिकैत बीजेपी सरकार के खिलाफ तेवर अपनाए हुए हैं. ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही ज्यादातर चीनी मिलें हैं. गन्ना किसानों की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं. कीमतों को लेकर अब भी यूपी सरकार से नाराजगी है. 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिले ऐसे हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है. वे चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उनकी आबादी 30 से 40 फीसदी तक है. सपा के साथ मुस्लिम वोटर भी जुड़े हैं. मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट और मुस्लिम समुदाय में आई दूरी अगर मिटती है तो सपा गठबंधन के लिए यह बड़ा अवसर हो सकता है. मुस्लिम मतदाता सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी सरकार से अब तक नाराज हैं. 15 जिलों की लगभग 73 सीटों पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समीकरण बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती वाले बन रहे हैं. हालांकि अगर 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो रालोद के खाते में सिर्फ एक सीट थी जो अब नहीं है. दरअसल बागपत की छपरौली विधानसभा सीट से सहेंद्र सिंह रमाला रालोद से विधानसभा चुनाव जीते तो थे लेकिन बीजेपी में शामिल हो गए थे. चूंकी इकलौते विधायक थे इसलिए दल-बदल कानून भी लागू नहीं हुआ. 

गठबंधन से सियासी समीकरण साध रही है सपा

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हाल के दिनों में विपक्षी पार्टियों के दिग्गज नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और सियासी गठबंधन पर तस्वीर साफ कर रहे हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ सपा पहले ही गठबंधन कर चुकी है. दावा किया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी सपा के साथ गठबंधन कर सकती है. अखिलेश यादव ने आप नेता संजय सिंह के साथ एक तस्वीर शेयर की थी जिसमें कहा था 'एक मुलाकात बदलाव के लिए.' अखिलेश यादव अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल से भी मुलाकात कर चुके हैं. सपा की कोशिश है कि यूपी में सभी छोटे दल एकजुट हो जाएं और बीजेपी के खिलाफ मजबूत भागीदारी का निर्माण करें. सपा इन पार्टियों के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या तय करती है यह देखने वाली बात होगी लेकिन अभी तक के समीकरण इस बात का इशारा कर रहे हैं कि सपा बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाने में जुटी है.
 

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