डीएनए हिंदी: पहले अखिलेश यादव द्वारा 21 नवंबर को ट्वीट किए गए इस शेर को पढ़िए...
दुनिया की ख़ातिर, सियासत में कभी यूं भी करना पड़ता है
बेमन से कंधे पर रख हाथ, कुछ क़दम संग चलना पड़ता है
अब अगले ही दिन 22 नवंबर का नजारा देखिए-
अखिलेश धूमधाम से पिता मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन मनाते हैं. केक काटते हैं, अपने हाथों से खिलाते हैं और इस दौरान बेहद करीब नजर आते हैं. पिता मुलायम भी अखिलेश को आशीर्वाद देते हैं.
अब इसे संयोग कहें या सियासी शेर के मायने...कभी पिता मुलायम सिंह यादव से टकराव के जरिए सुर्खियों में रहे समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव अब उनके करीब आ रहे हैं.
मुलायम सिंह के जन्मदिन के मौके पर लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में अखिलेश यादव की पिता से बढ़ती नजदीकियों ने सुर्खियां बटोर लीं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पिता से बढ़ती नजदीकियों ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है.
आखिर इसके मायने क्या हैं? क्या यादव परिवार में सबकुछ ठीक होने जा रहा है? क्या पिता-पुत्र की जोड़ी इस चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट होने का संदेश दे रही है? आइए जानते हैं क्या हैं इस शेर और जन्मदिन के जश्न के मायने?
ये हो सकती है वजह
राजनीति के जानकारों का मानना है कि पिता मुलायम सिंह यादव से अखिलेश यादव की बढ़ती नजदीकियों की एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव से पहले एकजुट होने का संदेश देना चाहते हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी में बिखराव से जाहिर तौर पर पार्टी को नुकसान झेलना पड़ा, इसलिए अखिलेश इस बार उन्हें साथ लेकर चलना चाहते हैं. इसी के साथ वह मुलायम सिंह यादव के अनुभव का फायदा लेकर आगे बढ़ना चाह रहे हैं.
इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि वह चाचा शिवपाल यादव को स्पष्ट संदेश देना चाहते हों कि मुलायम सिंह यादव अब उनके खेमे में हैं. कुछ जानकार इसे सिर्फ एक सियासी चाल भी समझ रहे हैं.
वहीं राजनीतिक विश्लेषक और समाजवादी पार्टी प्रवक्ता वंदना सिंह का कहना है कि जन्मदिन पर इस शक्ति प्रदर्शन का संदेश स्पष्ट है- युवा और वरिष्ठ का समन्वय. पार्टी से जुड़े युवा और वरिष्ठ कार्यकर्ता दोनों की इस करीबी से उत्साहित हैं.
मुलायम सिंह यादव पार्टी के संस्थापक हैं. ऐसे में उनका अनुभव पार्टी के लिए बड़ी भूमिका अदा करता है. घर में भले ही पिता-पुत्र की दूरियां हो जाएं लेकिन अंतत: संवाद से ही हल निकलता है. राजनीति में ऐसे संदेश अहम हैं.
बहरहाल, जन्मदिन के जश्न और पिता से बढ़ती नजदीकियों ने सियासी गलियारों में चर्चा बटोर ली हो लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव से पहले दोनों के रिश्तों में क्या मोड़ आते हैं?