Updated: Nov 24, 2022, 06:28 PM IST
डीएनए हिंदी: इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) में सत्ताधारी भाजपा को त्रिकोणीय संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है. पिछले 27 साल से राज्य में महज कांग्रेस को धोबीपाट देकर सत्ता कब्जाती रही भाजपा के सामने इस बार देश की सबसे पुरानी पार्टी के अलावा बेहद आक्रामक प्रचार अभियान चला रही आम आदमी पार्टी (AAP) और मुस्लिम इलाकों में असरदार दिख रही AIMIM की भी चुनौती है. इसके चलते 1 और 5 दिसंबर को दो चरण में होने जा रहे मतदान में बेहद करीबी लड़ाई दिखाई दे रही है. हालांकि अधिकतर ओपीनियन पोल्स में भाजपा को 182 सदस्यों वाली विधानसभा में आसान जीत मिलती दिख रही है. इसके बावजूद Zee News के मुताबिक, कई फैक्टर ऐसे भी हैं, जो कुछ सीटों पर भाजपा की हार का कारण बन सकते हैं. खासतौर पर मोरबी ब्रिज हादसे (Morbi Bridge Collapse) के कारण बनी नाराजगी और स्थानीय निकाय चुनावों में प्रभावी प्रदर्शन करने वाली AAP की स्थानीय जनजातियों में घुसपैठ दक्षिणी गुजरात में भाजपा के लिए चिंता का सबब है. आइए देखते हैं किन सीटों पर भाजपा को नुकसान हो सकता है.
MORBI सीट पर भावुकता का उबाल
मोरबी विधानसभा सीट (Morbi Assembly Seat) पर भयानक ब्रिज हादसे का असर पूरी तरह दिख रहा है. इस हादसे में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे का कारण अब तक अधिकारियों की लापरवाही के तौर पर सामने आ रहा है, जिसके चलते स्थानीय मतदाताओं में भावुकता और गुस्से की लहर है. साल 2017 के चुनाव (Gujarat Assembly Election 2017) में भी यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. कांग्रेस उम्मीदवार ब्रिजेश मेरिया (Brijesh Meria) ने तब 5 बार के विधायक कांति अमरूतिया (Kanti Amrutiya) को पटखनी दी थी. हालांकि बाद में मेरिया ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया था और सीट से इस्तीफा देकर साल 2020 उपचुनाव में दोबारा जीत हासिल की थी.
मेरिया अब राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. उनके सामने दोहरी चुनौती है. एकतरफ मोरबी हादसे का जन उबाल और दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से अपनी जिलाध्यक्ष जयंती पटेल को टिकट देना. इस सीट पर पटेल समुदाय के मतदाता सबसे ज्यादा हैं. हालांकि जयंती पटेल (Jayanti Patel) साल 1995, 2002, 2017 और 2020 में इस सीट पर अपने समुदाय को नहीं लुभा सकी हैं और चारों बार उन्हें मात मिली है. आप ने एक मशहूर स्थानीय चेहरे पंकज रानासरिया (Pankaj Ransariya) पर दांव खेला है.
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VADGAM सीट पर जीत जिग्नेश मेवाणी की चुनौती
भाजपा के सामने वडगाम विधानसभा सीट (Vadgam Assembly Seat) पर कांग्रेस ने जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mewani) को उतारा है, जो साल 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान निर्दलीय होने के बावजूद भाजपा विरोध के सबसे बड़े चेहरों में से एक बन गए थे. दलित नेता व सामाजिक कार्यकर्ता की पहचान रखने वाले जिग्नेश ने 2017 में यह सीट निर्दलीय जीती थी. इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए. दलित बाहुल्य वडगाम सीट पर जिग्नेश के समर्थक भारी संख्या में हैं, लेकिन भाजपा ने इन्हीं वोट में सेंध लगाने के इरादे से अप्रैल 2022 में ही कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व विधायक मणिलाल वाघेला (Manilal Vaghela) को उतारा है. वाघेला भी दलित नेता हैं और भाजपा को उम्मीद है कि वे जिग्नेश का काउंटर फैक्टर साबित होंगे.
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JAM KHAMBALIYA है AAP की VIP सीट
जाम खंबलिया विधानसभा सीट (Jam Khambaliya Assembly seat) इस बार राज्य की VIP सीटों में से एक बन गई है, क्योंकि यहां से AAP ने अपने CM candidate ईसुदान गढवी (Isudan Gadhvi) को उतारा है. फिलहाल यह सीट कांग्रेस के पास हैं, जिसके उम्मीदवार विक्रमभाई अर्जनभाई मादाम (Congress MLA Vikrambhai Arjanbhai Maadam) यहां साल 2017 में जीते थे. इससे पहले साल 2012 में यहां भाजपा की पूनमबेन मादाम (Poonamben Maadam) ने जीत हासिल की थी. आप के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव और गुजरात समन्वयक गढवी मूलरूप से देवभूमि द्वारका के रहने वाले हैं. यह देखना होगा कि गुजरात की राजनीति में एंट्री ले रही आप का सबसे मजबूत उम्मीदवार यह सीट कांग्रेस से छीन पाता है या नहीं.
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MANDVI (ST) और Varachha सीटों पर Surat Factor
सूरत जिले की मांडवी विधानसभा सीट (MANDVI Assembly Seat) और वरच्छा विधानसभा सीट (Varachha Assembly Seat) पर मुकाबला त्रिकोणीय है. हालांकि यहां भाजपा और कांग्रेस के सामने AAP की चुनौती है, जिसने पिछले साल सूरत नगर निकाय चुनाव में 27 सीट जीती थी और कांग्रेस का खाता भी खुलने से रोक दिया था.
मांडवी ऐसी इकलौती जनजातीय मतदाता बाहुल्य सीट है, जहां भाजपा 2017 में नहीं जीत सकी थी. कांग्रेस ने इस बार भी यहां से मौजूदा विधायक आनंदभाई चौधरी (Anandbhai Chaudhari) को ही उतारा है, जिन्होंने 2017 में भाजपा के प्रवीणभाई मेरजीभाई चौधरी को 50 हजार से ज्यादा वोट से हराया था. भाजपा ने इस बार उम्मीदवार बदलते हुए कुवरजीभाई नरसीभाई हलपति (Kuvarjibhai Narshibhai Halpati) को टिकट दिया है. यहां से आप ने सायनाबेन गामित (Saynaben Gamit) को उतारा है. वरच्छा सीट से आप ने पाटीदार नेता (Patidar Leader) अल्पेश काठिरिया (Alpesh Kathiriya) को उतारा है, जो एक समय हार्दिक पटेल (Hardik Patel) के करीबी नेताओं में गिने जाते थे और अपने समाज के मजबूत नेता हैं. इससे भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही चिंतित हैं.
GANDHINAGAR NORTH सीट पर नौकरीपेशा करते हैं फैसला
गुजरात की राजधानी गांधीनगर शहर (Gandhinagar city) में किसी एक जाति या धर्म का चुनावी फैक्टर नहीं है बल्कि यहां नौकरीपेशा लोगों की सोच ही हार-जीत तय करती है. दरअसल इस शहर में रहने वाले ज्यादातर लोग सरकारी कर्मचारी व उनके परिवार हैं. सरकारी कर्मचारी भाजपा से ज्यादा खुश नहीं रहे हैं. गांधीनगर नॉर्थ विधानसभा सीट (Gandhinagar North Assembly Seat) साल 2008 में गठित की गई थी. साल 2012 में यहां भाजपा के अशोक पटेल (Ashok Patel) 4,000 वोट से जीते थे, लेकिन 2017 में कांग्रेस नेता सीजे चावडा (C J Chavda) ने पटेल को 4,700 वोट से हरा दिया था.
AMRELI में भाजपा के सुखद नहीं रहे 27 साल
अमरेली विधानसभा सीट (AMRELI Assembly Seat) को आप गुजरात की VIP सीट कह सकते हैं, क्योंकि साल 1962 में यहीं से गुजरात के पहले मुख्यमंत्री जीवराज मेहता (Gujarat's first chief minister Jivraj Mehta) निर्वाचित हुए थे. सौराष्ट्र रीजन (Saurashtra region) की इस सीट पर भाजपा ने 1985 से 2002 तक कब्जा बनाए रखा, लेकिन साल 2002 में भाजपा के प्रभुत्व के दौर होने पर भी कांग्रेस के परेश धनानी (Paresh Dhanani) ने यहां जीत हासिल कर ली. साल 2007 में भआजपा के दिलीप संघनानी (Dileep Sanghani) ने परेश को हराया, लेकिन इसके बाद 2012 और 2017 में फिर से परेश ही यहां विजेता रहे हैं.
DARIAPUR सीट पर मुस्लिम फैक्टर प्रभावी
अहमदाबाद शहर (Ahmedabad city) की दरियापुर विधानसभा सीट (DARIAPUR Assembly Seat) पर पूरी तरह मुस्लिम मतदाता हावी रहते हैं. यह सीट साल 2012 में गठित हुई थी. इसके बाद दोनों बार यहां से कांग्रेस के ग्यासुद्दीन शेख (Congress Leader Gyasuddin Shaikh) जीते हैं. हालांकि इस बार यहां कांग्रेस के मुस्लिम वोट में सेंध लगाने के लिए AAP और AIMIM भी मैदान में उतर आई हैं. इससे यहां चुनाव चतुष्कोणीय हो गया है.
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JAMALPUR-KHADIA सीट पर भी मुकाबला चतुष्कोणीय
अहमदाबाद की ही जमालपुर-खडिया विधानसभा सीट (JAMALPUR-KHADIA Assembly Seat) भी मुस्लिम बाहुल्य है और यहां भी AAP व AIMIM की एंट्री से मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है. यहां AIMIM के अपने गुजरात प्रदेश अध्यक साबिर काबलीवाला (Sabir Kabliwala) को उतारने से मुकाबला ज्यादा करीबी हो गया है, क्योंकि साल 2012 में इस सीट के गठन के समय यहां भाजपा की जीत का कारण काबलीवाला ही बने थे. उस समय काबलीवाला निर्दलीय उम्मीदवार थे और उन्होंने कांग्रेस के मुस्लिम वोटबैंक में बड़े पैमाने पर सेंध लगाई थी.
GODHRA में मुस्लिम पड़ेंगे भारी
गोधरा विधानसभा सीट (GODHRA Assembly Seat) पर भी मुस्लिम मतदाता हावी हैं. यह सीट साल 2007 और 2012 में सीनियर कांग्रेस नेता सीके राउलजी (C K Raulji) जीते थे. इसके बाद वे भाजपा में शामिल होकर 2017 में कांग्रेस के खिलाफ जीते, लेकिन उनकी जीत का अंतर महज 258 वोट का रह गया था. यह अंतर भाजपा को चिंतित कर रहा है.
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BHARUCH सीट पर होता है ध्रुवीकरण
भरूच विधानसभा सीट (BHARUCH Assembly Seat) पर भी मुस्लिम वोटर्स बहुत ज्यादा हैं, लेकिन यहां हिंदू-मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण भी बहुत ज्यादा होता है. इस कारण यहां साल 1990 से भाजपा ही जीत रही है. सांप्रदायिक दंगों के लिए बदनाम इस शहर की अनदेखी का आरोप विपक्षी दल कांग्रेस हमेशा सत्ताधारी भाजपा पर लगाती रही है. इस बार कांग्रेस को आप और एआईएमआईएम का भी साथ मिल गया है.
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