Gujarat Election Result: गुजरात की जीत के बाद क्या बीजेपी '51% वाली पॉलिटिक्स' की तरफ आगे बढ़ेगी?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 09, 2022, 12:44 PM IST

नरेंद्र मोदी और अमित शाह.

गुजरात चुनाव ने एक संदेश दिया है कि बीजपी 51 फीसदी वोट हासिल कर सकती है. आइए इसी नजरिए गुजरात चुनाव को समझने की कोशिश करते हैं...

डीएनए हिन्दी: गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. अब सवाल उठने लगा है कि धीरे-धीरे पूरे देश में 'बीजेपी बनाम अन्य' या 'नरेंद्र मोदी बनाम' अन्य की पॉलिटिक्स शुरू हो जाएगी. इसका जवाब हां में दिया जा सकता है या कहा जा सकता है कि यह शुरू हो भी गई है. 2016 में अमित शाह जब दूसरी बार बीजेपी के अध्यक्ष चुने गए थे तो उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में कहा था कि उनकी पार्टी अब '51 फीसदी वाली पॉलिटिक्स' की रणनीति पर काम करेगी. 51 फीसदी पॉलिटिक्स का मतलब है कि हर चुनाव में आधे से ज्यादा वोट भाजपा हासिल करेगी. 

उस वक्त उन्होंने कहा था कि अब देश की राजनीति की 'धुरी' बीजेपी हो गई है, जो पहले कांग्रेस होती थी. धीरे-धीरे यह राजनीति 'बीजेपी बनाम अन्य' में तब्दील हो जाएगी. 6 साल बाद यह सच होता दिख भी रहा है. लगातार 6 बार सरकार में रहने के बावजूद गुजरात में बीजेपी ने 51 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर एक तरह से चमत्कार किया है. गुजरात में बीजेपी 52.50 फीसदी वोट के साथ रिकॉर्ड 156 सीटें हासिल कर सरकार बनाने जा रही है.

गुजरात के इस प्रचंड जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी अमित शाह की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. उनकी रणनीति और उनके परिश्रम का भारतीय जनता पार्टी की इस जीत में बड़ा योगदान है. गुजरात के परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में 51 फीसदी की पॉलिटिक्स को सच साबित किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि 2024 में बीजेपी इसी राजनीति पर आगे बढ़ रही है. बीजेपी को अंदेशा है कि आने वाले समय में भाजपा के खिलाफ कई पार्टियां एक होंगी और मुखर भी होंगी. 

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तमाम एंटी-इनकंबेंसी होने के बावजूद हिमाचल में बीजेपी को कांग्रेस से सिर्फ 0.90 फीसदी कम वोट मिले हैं. वहीं 15 सालों से दिल्ली में एमसीडी पर राज करने वाली बीजेपी ने कड़ी टक्कर दी है, जबकि दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ जबर्दस्त एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर काम कर रहा था.

हिमाचल का एक ट्रेंड है, वहां हर पांच साल पर सत्ता बदल जाती है. पिछले साल हिमाचल में मंडी लोकसभा और 3 विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी ने उसी समय से काम शुरू कर दिया था. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्याक्ष सौदान सिंह को पार्टी ने शिमला में भेज दिया था. सौदान सिंह अपने संगठन कौशल के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने जी-तोड़ मेहनत की. भले चुनाव में बीजेपी को कम सीटें मिलीं लेकिन वोट में ज्यादा का फर्क नहीं था. 0.9 फीसदी ज्यााद वोट लेकर कांग्रेस ने बाजी मार ली. वैसे यह सच है कि पार्टी ने जितनी मेहनत गुजरात में की अगर उतनी ही हिमाचल में की होती तो आज परिणाम कुछ और होता.

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भारतीय जनता पार्टी आज 24 घंटे काम कर रही है. न सिर्फ उसके कार्यकर्ता बल्कि शीर्ष नेतृत्व भी कठिन परिश्रम कर रहे हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के उपचुनाव में दिखने लगा कि सभी पार्टियां बीजेपी के खिलाफ खड़ी हो गई हैं. ऐसे में बीजेपी के नेताओं को ज्यादा से ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है. चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा दिखा भी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीएमओ की बैठक भी लेते थे और गुजरात में चुनावी रैलियों को भी संबोधित करते थे. प्रधानमंत्री के इस परिश्रम के विरोधी भी कायल हैं.

गुजरात चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को विपक्षी गोलबंदी से सावधान रहने को भी कहा. उन्होंने 2047 तक अपने कार्यकर्ताओं को विकसित भारत का विजन भी दिया. 

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