क्या कांग्रेस में खत्म हो गई गुटबाजी, क्या सचिन पायलट का बढ़ गया कद? जानिए

पुष्पेंद्र शर्मा | Updated:Nov 26, 2021, 01:11 PM IST

सचिन पायलट और अशोक गहलोत

राजनीति के जानकार कैबिनेट रिशफल को एक सफल एक्ट के रूप में देख रहे हैं लेकिन इसके साथ ही आशंका ये भी है कि गुटबाजी खत्म होना मुमकिन नहीं है.

डीएनए हिंदी: राजस्थान में कांग्रेस की कलह कैबिनेट में फेरबदल के बाद भले ही शांत हो गई हो लेकिन अब भी एक सवाल सियासी गलियारों में गूंज रहा है- क्या कांग्रेस में गुटबाजी खत्म हो गई? क्या नए मंत्रिमंडल में सचिन पायलट गुट के विधायकों को जगह मिलने से उनका कद बढ़ गया है?

दरअसल, मंत्रिमंडल में शामिल किए गए रमेश मीणा, हेमाराम चौधरी, मुरारीलाल मीणा, विश्वेंद्र सिंह और बृजेंद्र ओला पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के हैं. पायलट के इन विधायकों के मंत्री बनाए जाने से उनका कद जरूर बढ़ा है लेकिन उतना नहीं, जितनी वह और उनके समर्थक उम्मीद कर रहे थे.


राजनीति के जानकार कैबिनेट रिशफल को एक सफल एक्ट के रूप में देख रहे हैं लेकिन इसके साथ ही आशंका ये भी है कि गुटबाजी खत्म होना मुमकिन नहीं है, क्योंकि पायलट की नजर सीएम की कुर्सी है. जब तक अगले चुनाव में मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं हो जाता या फिर पायलट को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिल जाती, तब त​क गुटबाजी चलने की आशंका बनी रहेगी.

दूसरी ओर गहलोत इस बात के साफ संकेत दे चुके हैं कि वे अभी रिटायर होने के मूड में नहीं हैं, इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि अगले चुनाव में व​ह मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने रहेंगे.

गुटबाजी के पहले पूर्व डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ रहे सचिन पायलट अपने खेमे के खास नेताओं काे पीसीसी और जिलों की कार्यकारिणी में भी शामिल कराना चाहते हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि आलाकमान पायलट से चर्चा कर सकता है.


कहा ये भी जा रहा है कि सचिन पायलट को फिलहाल राजस्थान के बजाय राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा पद दिया जा स​कता है. संभव है कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर किसी राज्य का प्रभारी बनाया जा सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पायलट की मुलाकात में इस पर मंथन हो चुका है.

राजस्थान में दो साल बाद चुनाव हैं, ऐसे में पायलट और गहलोत का ये बेलेंस कितने दिन कारगर होगा, देखने वाली बात होगी.

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