Katargam Assembly Constituency: पाटीदार बहुल कतरगाम में इस बार चलेगा 'झाड़ू' या फिर खिलेगा 'कमल'?

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डीएनए हिन्दी: अरब सागर के पास ताप्ती नदी के मुहाने पर बसे सुरत शहर के बीचोबीच कतरगाम विधानसभा सीट (Katargam Assembly Constituency) है. कतरगाम परंपरागत रूप से बीजेपी का गढ़ रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी यहां से भारी मतों से विजयी हुई थी. इस बार कतरगाम की गुजरात की सियासत में खास चर्चा है. इसकी वजह है, गुजरात की राजनीति में तेजी से पैर जमा रही आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया (Gopal Italia) का यहां से चुनाव लड़ना. हालांकि, 2017 में भी इस सीट से आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा था. आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे. इस बार फिजा थोड़ी बदली हुई है. आइए हम इस सीट के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.

कतरगाम विधानसभा का अस्तित्व 2008 के परिसीमन के बाद आया था. हीरा और टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए जाने जाने वाले सूरत शहर के 12 विधानसभा सीटों में से एक कतरगाम सीट भी है. यहां बीजेपी ने अपने विधायक विनोदभाई उर्फ विनु मोरड़िया पर भरोसा जताया है. वहीं आम आदमी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस ने कल्पेश वारिया को टिकट दिया है. जहां, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पाटीदार समुदाय से हैं वहीं कांग्रेस ने प्रजापति समुदाय से आने वाले वारिया पर भरोसा जताया है.

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बीजेपी का परंपरागत गढ़
परिसीमन के बाद 2012 के चुनाव में बीजेपी की तरफ से नानुभाई वनानी चुनावी मैदान में थे, वहीं कांग्रेस ने नंदलाल पांडव को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में वनानी ने नंदलाल पांडव को बड़े अंतर से से हराया. इस चुनाव में कुल 68.74 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 2012 में नानुभाई वनानी को कुल 88,604 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस कैंडिडेट नंदलाल पांडव को 45,332 वोटों पर संतोष करना पड़ा.  बीजेपी ने 43,272 वोटों से जीत हासिल की.

2017 के चुनाव में बीजेपी अशंकित थी. पाटीदार आंदोलन का सूरत बड़ा गढ़ रहा था. ऐसा लग रहा था बीजेपी को अपना गढ़ बचाने के लिए पापड़ बेलने पड़ेंगे. इसी आंशका को देखते हुए बीजेपी ने अपना कैंडिडेट बदल दिया. इस बार बीजेपी के टिकट पर विनोदभाई मोरड़िया चुनावी मैदान में थे. कांग्रेस की तरफ से जिग्नेश जिवानी ताल ठोक रहे थे. उस वक्त के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे. लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह चुनावी रणनीति ने पूरे सूरत में पाटीदारों की नाराजगी को खत्म कर दिया. न सिर्फ कतरगाम बल्कि सूरत की सभी 12 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली. कतरगाम में बीजेपी के विनोदभाई मोरड़िया ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. विनोदभाई को जहां 1,25,387 वोट मिले, वहीं जिग्नेश जिवानी को सिर्फ 46,157 वोटों पर संतोष करना पड़ा. बाकी सभी कैंडिडेट जमानत बचा पाने में नाकाम रहे. 

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AAP की खास रणनीति
सूरत की ज्यादातर सीटों पर पाटीदार समुदाय के वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. शहर की 12 में से 7 सीटों पर उनकी अहम भूमिका है. कामरेज, वराछा, ओलपाड और कतरगाम तो पूरी तरह से पाटीदार बहुल सीट हैं. वहीं, नॉर्थ सूरत, करंज और उधना विधानसभा में पाटीदार निर्णायक भूमिका में हैं. आम आदमी पार्टी ने कतरगाम से गोपाल इटालिया को एक रणनीति के तहत चुनावी मैदान में उतारा है. गोपाल सूरत में पाटीदार समाज के एक प्रमुख चेहरा हैं. उनकी वजह से अगल-बगल की सीटों पर भी प्रभाव पड़ सकता है.

ट्रैफिक जाम सबसे बड़ी समस्या
कतरगाम शहरी सीट है. आधुनिक समाज की जरूरत वाली सारी सुविधाएं कतरगाम में भी उपलब्ध हैं. उच्च शैक्षणिक संस्थाएं, अस्पताल, रोजगार के साधन सबकुछ हैं. यहां के लोगों की एक बड़ी समस्या है. वह है ट्रैफिक जाम की. चूंकि, कतरगाम का ज्यादातर इलाका मार्केट वाला है इसलिए दिन में यहां के लोगों को जाम से रूबरू होना पड़ता है. तीनों पार्टियों ने यहां के वोटरों को जाम से निजात दिलाने का वादा किया है. यहां के लोगों को जाम से कितना छुटकारा मिल पाएगा यह आने वाला वक्त बताएगा.

पाटीदार वोटर प्रभावी भूमिका में
कतरगाम में पाटीदार वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. उनकी बहुलता है. ओबीसी वोटर भी बड़ी संख्या में हैं. यहां प्रजापति समुदाय भी गेम चेंजर है. यही वजह से है कि कांग्रेस ने प्रजापति समाज से आने वाले कल्पेश वारिया को चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट पर 5 फीसदी दलित तो 2 फीसदी आदिवासी वोटर हैं. कतरगाम में मुस्लिम वोटरों की संख्या बेहद कम है. उनकी संख्या सिर्फ 2 फीसदी है. बनिया, राजपूत और ब्राह्मण वोटर भी ठीक-ठाक संख्या में हैं.

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गोपाल इटालिया के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती
कतरगाम में स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़े लोगों की अच्छी खासी संख्या है. गोपाल इटालिया ने मंदिर और संतों को लेकर जो विवादित टिप्पणी की थी उससे स्वामी नारायण संप्रदाय के संत खफा हैं. चूंकि, इनका समाज में काफी प्रभाव है इसलिए गोपाल इटालिया के सामने बड़ी चुनौतियां आ सकती हैं.

कतरगाम में कुल 3,22,015 वोटर हैं. पुरुष वोटरों की संख्या 1,76,735 तो महिला वोटरों की संख्या 1,45, 278 है. गौरतलब है कि कतरगाम में पहले फेज में ही वोटिंग है. काउंटिग 8 दिसंबर को है. उसी दिन पता चलेगा कि कतरगाम में झाडू चलेगा या फिर कमल खिलेगा.

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