डीएनए हिंदी: गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2022) से पहले भाजपा को बूस्टर डोज मिल गई है. रविवार को आए 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के रिजल्ट में भगवा दल 4 सीट जीतने में सफल रहा है, जबकि तेलंगाना में उसने हारने से पहले राज्य की सत्ताधारी पार्टी को करारी टक्कर दी है. भाजपा ने यूपी, हरियाणा, बिहार और ओडिशा में 1-1 सीट जीती है. तेलंगाना में TRS, महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली RJD ने 1-1 सीट पर जीत हासिल की है. इन सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान 3 नवंबर को हुआ था. इसके बाद रविवार को 15 चरण की मतगणना के बाद रिजल्ट घोषित किए गए हैं.
8 फैक्ट्स में जानते हैं उपचुनाव के परिणाम और इनका असर...
1. भाजपा ने कहां पर कौन सी सीट कैसे जीती
भाजपा ने उत्तर प्रदेश की गोला गोकर्णनाथ (Gola Gokrannath), हरियाणा की आदमपुर (Adampur), ओडिशा की धामनगर (Dhamnagar) और बिहार की गोपालगंज (Gopalganj) सीट पर जीत हासिल की है. गोला गोकर्णनाथ सीट पर भाजपा के अमन गिरि ने सपा उम्मीदवार को 34,298 वोट से हराया, जबकि हरियाणा की आदमपुर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पोते भव्य विश्नोई ने 16,000 वोट से जीत हासिल की. गोपालगंज सीट पर भाजपा उम्मीदवार कुसुम देवी ने 1,794 वोट से RJD उम्मीदवार को हराया, जबकि धामनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार सूर्यबंशी सुराज ने BJD उम्मीदवार को 9,881 वोट से हराकर अपना कब्जा बनाए रखा है.
2. बाकी तीन सीट पर क्या रहा है परिणाम
महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट सीट पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उम्मीदवार रुजुता लटके को 64,959 वोट से एकतरफा जीत मिली है, जबकि बिहार की मोकामा सीट पर RJD उम्मीदवार नीलम देवी ने 16,741 वोट से जीत हासिल की है. तेलंगाना की मुनुगौड़े (Munugode) सीट पर TRS के के. प्रभाकर रेड्डी ने भाजपा के के. राजगोपाल रेड्डी को 11,666 वोट से हराया है.
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3. लालू के घर में भी कमाल नहीं करा सके नीतीश
बिहार में RJD और JDU के अगस्त में बने 'महागठबंधन' के लिए ये उपचुनाव पहला टेस्ट थे, लेकिन इस टेस्ट में महागठबंधन पर भाजपा ज्यादा भारी दिखी है. गोपालगंज सीट पहले भी भाजपा के नाम थी, लेकिन RJD संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के इस गृहजिले में भगवा दल की उस जीत में उसकी तत्कालीन गठबंधन सहयोगी जदयू (JDU) का भी योगदान था. इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पाला बदलकर RJD का दामन थाम लिया है, लेकिन वे अपना समर्थन देकर भी RJD के उम्मीदवार को जिताने में नाकाम हो गए हैं. हालांकि RJD नेता व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy Chief Minister Tejashwi Yadav) का कहना है कि पिछली बार उनकी पार्टी 40,000 वोट से हारी थी, जबकि इस बार यह अंतर महज 1,700 वोट का रहा है. ऐसे में इसे उनकी हार नहीं कहा जा सकता.
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4. मोकामा सीट पर भी घटा जीत का अंतर, क्या यहां भी नीतिश फेल!
बिहार की मोकामा (Mokama) सीट पर भी RJD उम्मीदवार की जीत का अंतर नीतीश कुमार के समर्थन के बावजूद पहले से कम रहा है. क्या इसे भी नीतीश की असफलता माना जा सकता है? भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) ने कहा भी है कि भाजपा अगले चुनाव में बिहार में 40 लोकसभा सीट जीतने में सफल रहेगी. उन्होंने कहा, परिणाम साफ दिखा रहा है कि RJD और JDU मिलकर भी भाजपा को नहीं हरा सकती हैं.
5. तेलंगाना में बढ़ रहा भाजपा का असर
तेलंगाना (Telangana) में अब तक मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (K Chandrashekar's Rao) की पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (Telangana Rashtriya Samithi) का एकछत्र राज रहा है, लेकिन अब भाजपा वहां KCR की TRS को चुनौती देने लगी है. मुनुगौड़े सीट पर भी भाजपा उम्मीदवार को बेहद करीबी लड़ाई में हारना यही दिखा रही है. भाजपा सांसद के. लक्ष्मण ने रविवार को कहा भी कि TRS सरकार ने इस उपचुनाव को अपनी शान का मुद्दा बना लिया था, क्योंकि भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ रहा है. उन्होंने कहा, केवल भाजपा ही टीआरएस से लड़ सकती है. आने वाले दिनों में राज्य में भाजपा की लहर देखने को मिलेगी.
6. महाराष्ट्र में भाजपा के 'वॉकओवर' पर ठाकरे ने पार की पहली चुनौती
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सरकार गिरने और शिवसेना (Shiv Sena) में बंटवारा होने के बाद अंधेरी ईस्ट (Andheri East) सीट पर उपचुनाव दोनों पक्षों की पहली बड़ी चुनौती थी. ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने यह सीट 66,000 से ज्यादा वोट के बड़े अंतर से अपने पास बरकरार रखी है. हालांकि उनके सामने भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट की चुनौती नहीं थी. भाजपा ने ठाकरे गुट की उम्मीदवार रूतुजा लटके (Rutuja Latke) के सामने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया था.
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7. राज्य सरकारों के विपरीत रहा है परिणाम
उपचुनाव में ज्यादातर जगह राज्य सरकार विरोधी रुख दिखा है. हालांकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में सत्ताधारी पार्टी का उम्मीदवार जीता है, लेकिन उनके गणित भी सही साबित नहीं हुए हैं. हरियाणा में विश्नोई की जीत पारिवारिक विरासत की अपील पर हासिल हुई तो तेलंगाना में जीत को टीआरएस का 'प्रैस्टीज इश्यू' बनाए जाने से जीत मिली है. महाराष्ट्र में भी ठाकरे गुट ने दिवंगत विधायक की विधवा को टिकट देकर भावनात्मक कार्ड खेला था.
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8. भाजपा बनाम क्षेत्रीय दल!
यदि उपचुनाव परिणामों से साल 2024 के लोकसभा चुनावों का पूर्वाभास लेने की कोशिश की जाए तो 'भाजपा बनाम क्षेत्रीय दल' ही बनता दिखा है. इन चुनावों में कांग्रेस जैसा राष्ट्रीय दल एकतरफ दिखाई दिया है.
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