MCD Election Results: कैसे चुनाव-दर-चुनाव बढ़ता जा रहा है अरविंद केजरीवाल का कद!

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डीएनए हिन्दी: 2012 में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के जन्म से पहले दिल्ली की राजनीति (एमसीडी, दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार) कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के इर्द-गिर्द घूमती थी. यही दोनों पार्टियां अपने-आप को दिल्ली का 'निजाम' समझती थीं. उन्हें लगता था कि जनता जाएगी कहां. हम दोनों में से ही किसी एक को चुनेगी. लेकिन, अचानक से सबकुछ बदल गया. उस दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. उस वक्त दिल्ली में भी कांग्रेस की सरकार थी. एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे थे. जनता के भीतर करप्शन को लेकर आक्रोश था. 

इसी गुस्से को देखते हुए दिल्ली में अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की जोड़ी ने एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया. देखते ही देखते इसका असर पूरे देश में दिखने लगा. भ्रष्टाचार के खिलाफ हर जगह आंदोलन शुरू हो गया. इसी आंदोलन के बीच से एक राजनितक पार्टी का भी जन्म हुआ. आम आदमी पार्टी. राष्ट्रीय संयोजक के नाम पर अरविंद केजरीवाल इस पार्टी के सर्वेसर्वा बने.

अपने जन्म के कुछ महीनों बाद ही इस पार्टी ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा. पहली बार चुनाव लड़ रही इस पार्टी को सब कमतर आंक रहे थे. लेकिन, दिल्ली की सियासत के दो महारथी (बीजेपी और कांग्रेस) को इस नवोदित पार्टी ने धूल चटा दी. अपने पहले चुनाव में ही इस पार्टी ने 29.49 फीसदी वोट हासिल कर 31 सीट जीतने में सफल रही. 

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केजरीवाल की पार्टी को बहुमत नहीं मिली और यह सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई. 2015 में फिर से चुनाव में गई. इस बार इस पार्टी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. 54.3 फीसदी वोट हासिल कर केजरीवाल की पार्टी 67 सीट जीतने में सफल रही. कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुला. बीजेपी को सिर्फ 3 सीट मिल पाई.

अब बारी थी एमसीडी की. आम आदमी पार्टी ने 2017 में एमसीडी का चुनाव लड़ा. उस वक्त एमसीडी तीन हिस्सों में बंटी थी. नॉर्थ, साउथ और ईस्ट. पहले एमसीडी का चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी को 26.23 फीसदी वोट मिले. केजरीवाल  की पार्टी ने 49 सीटों पर जीत दर्ज की. उस चुनाव में बीजेपी को 181 सीटों पर जीत मिली थी और पार्टी ने 36.08 फीसदी वोट हालिस किए. उस चुनाव में कांग्रेस वोट और सीट दोनों में दिल्ली की तीन नंबर की पार्टी बन गई.

2022 में दूसरी बार एमसीडी का चुनाव लड़ रही इस पार्टी ने वोट और सीट, दोनों मोर्चों पर बेहतरीन उपलब्धि हासिल की. इस बार आम आदमी पार्टी को 42.05 फीसदी वोट मिले. उसे 134 सीट पर जीत मिली है. एमसीडी की सत्ताधारी बीजेपी को 39.09 फीसदी वोट और 104 सीटों पर संतोष करना पड़ा. बड़ी गिरावट कांग्रेस के वोट शेयर और सीट, दोनों में हुई है. कांग्रेस को सिर्फ 11.68 फीसदी वोट मिले हैं. सीट के लिहाज से तो वह डबल डिजीट में नहीं पहुंच पाई है. उसे सिर्फ 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. 

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कहने को 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में आम आदमी पार्टी के वोट शेयर भारी गिरावट आई है. लेकिन, यह तुलना बेमानी होगी. एमसीडी चुनाव के नजरिए से देखें तो यह पार्टी चुनाव-दर-चुनाव वोट शेयर और सीट में बढ़ोतरी करती दिख रही है. पिछली चुनाव की तुलना में केजरीवाल की पार्टी को 15.82 फीसदी की बढ़ोतरी है. 

चुनाव तो केजरीवाल की पार्टी जीत गई, लेकिन अब उसे लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा. अभी तक उसके पास एक बहाना था कि एमसीडी में बीजेपी है, लेकिन अब वह बहाना भी खत्म हो गया है. अब आम आदमी पार्टी को काम करके दिखाना होगा. नहीं, तो यह लोकतंत्र है, जहां जनता सिंहासन पर बैठाती है तो उसे पटक भी देती है. 

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