अविष्कार से लेकर विरोध तक जानिए ईवीएम की पूरी कहानी

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डीएनए हिंदी. बैलेट पेपर के बाद वोटिंग का नया तरीका ईवीएम के जरिए सामने आया. ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन. भारत के लिए पहली ईवीएम एमबी हनीफा ने बनाई थी. पहली बार इसका इस्तेमाल सन् 1981 में केरल की परूर विधानसभा में 50 मतदान केंद्रों पर किया गया. हनीफा के ऑरिजनल डिजाइन को तमिलनाडु में आयोजित एक सरकारी प्रदर्शनी में पेश किया गया था.

1988 में मिली ईवीएम इस्तेमाल करने की इजाजत
सन् 1988 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन कर नई धारा 61ए जोड़ी गई. इसके जरिए चुनाव आयोग को मतदान में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया. चुनाव आयोग ने सन् 1989 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की साझेदारी में ईवीएम के मॉडल तैयार करने का ऑर्डर दिया. इन मशीनों के इंडस्ट्रियल डिजाइनर आईआईटी मुंबई के इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर  के फैकल्टी मेंबर थे.  1998 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली को मिलाकर कुल 16 विधानसभा सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. पहली बार पूरी तरह ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल सन् 2004 के आम चुनावों में हुआ था. 

कैसे काम करती है ईवीएम
भारत में बनीं ये मशीनें बैटरी से चलती हैं. ये मशीनें उन इलाक़ों में भी चल सकती हैं जहां बिजली उपलब्ध नहीं होती है. मतदाताओं को वोट करने के लिए एक बटन दबाना होता है. एक ईवीएम में दो यूनिट होती हैं. कंट्रोल यूनिट और बैलटिंग यूनिट. दोनों यूनिट 5 मीटर लंबे एक केबल से जुड़ी होती है. कंट्रोल यूनिट बूथ में मतदान अधिकारी के पास रखी होती है जबकि बैलटिंग यूनिट वोटिंग मशीन के अंदर होती है जिसका इस्तेमाल वोटर करता है.

किन देशों ने बंद कर दिया ईवीएम का इस्तेमाल
अब तक 31 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जा चुका है. इनमें से सिर्फ चार ऐसे देश हैं, जहां राष्ट्रीय स्तर पर इसका इस्तेमाल होता है. 11 देश ऐसे हैं, जिनके कुछ हिस्सों में इसका इस्तेमाल होता है. कुछ देश जिन्होंने ईवीएम का इस्तेमाल करने के बाद इसे इस्तेमाल ना करने का फैसला किया उनमें से एक है कजाकिस्तान. यहां साल 2011 में ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया गया. वहीं फिनलैंड में सन् 2008 में इसका इस्तेमाल शुरू किया गया, लेकिन सन् 2016-17 में इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई. जर्मनी में सन् 2005 में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया, लेकिन सन् 2009 में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया. नॉर्वे और रोमानियां में सन् 2003 में ईवीएम इस्तेमाल हुईं और फिर बंद कर दी गई. 

भारत में भी हो चुका है ईवीएम का विरोध
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यहां जब ईवीएम का इस्तेमाल किया गया, तब भी कई जगह इसका विरोध हुआ. पहली बार ये विरोध सामने आया सन् 2009 में. बीजेपी सरकार ने अपनी हार की वजह ईवीएम में गड़बड़ी को बताया. इसी के आधार पर सन् 2014 के आम चुनावों में बैलेट पेपर इस्तेमाल करने की बात कही गई. यही नहीं साल 2017 में ईवीएम हैक होने की आशंकाएं भी जाहिर की गईं.