डीएनए हिंदीः देश के 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव (By Election) के नतीजे बीजेपी (BJP) के लिए राहत लेकर आए हैं. चार सीटों सीटों पर मिली जीत से बीजेपी गदगद है. आरजेडी को एक सीट पर जीत मिली तो एक सीट शिवसेना (उद्धव गुट) के हिस्से में भी गई है. तेलंगाना में टीआरएस ने एक सीट पर जीत दर्ज की है. दो राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आए उपचुनाव के इन नतीजों ने राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी बड़ा संदेश दे दिया है.
नतीजों से क्या निकले संकेत?
चुनाव के नतीजों से एक बात को साफ है कि बीजेपी या तो अधिकांश सीटों पर आगे रही है या दूसरे नंबर की पार्टी रही है. इससे साफ है कि सिर्फ हिंदी भाषी बेल्ट ही नहीं दक्षिण में भी बीजेपी का जनाधार देती से बढ़ने लगा है. आने वाले समय में लगभग हर राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा बनाम अन्य होगा. नतीजों से साफ है कि बीजेपी ने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक अपनी पकड़ मजबूत बनानी शुरू कर दी है. ओडिशा में भी पार्टी ने उपचुनाव में जीत दर्ज की है, इससे साफ है कि पार्टी देशभर में अपनी पकड़ तेजी से मजबूत कर रही है. विधानसभा चुनाव से पहले आए ये नतीजे बीजेपी के प्रचार को और गति देंगी. वह इस बात का भी प्रचार करेगी कि लोगों को भरोसा अभी भी उनके साथ है.
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बीजेपी से सामने विपक्ष क्यों हो रहा ढेर?
चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि बीजेपी से सामने सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बसपा, सपा और अन्य क्षेत्रीय दल भी टिक नहीं पा रहे. कई राज्यों में जहां हर 5 साल में सरकार बदल जाती थी ऐसे राज्यों में बीजेपी पहले ही मिथक को तोड़ चुकी है. उत्तर प्रदेश में ही बीजेपी ने सपा को इस बार फिर करारी हार दी थी. उपचुनाव में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है. लखीमपुर खीरी की गोला गोकर्णनाथ सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार अमन गिरी को 1.24 लाख वोट मिले जबकि समाजवादी पार्टी के विनय तिवारी 90512 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे. बीजेपी के लिए यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर रहे आरोपों के बाद बीजेपी यहां बैकफुट पर थी. उपचुनाव के नतीजों ने विपक्ष को फिर झटका दिया है. नतीजों के देखें तो साफ है कि पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा होने की वजह से बीजेपी को एक के बाद एक चुनावों में जीत मिल रही है. पीएम होने के बाद भी नरेंद्र मोदी खुद चुनावों पर नजर रखते हैं और रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाते हैं. विपक्ष अभी ऐसे चेहरे की तलाश कर रहा है जो पीएम मोदी को टक्कर दे सके.
गुजरात-हिमाचल चुनाव पर पड़ेगा असर?
चुनाव में बीजेपी की जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि लोगों का भरोसा पार्टी पर बना हुआ है. इसी बात को पार्टी आगामी चुनावों में भुनाने की कोशिश करेगी. बीजेपी जहां मजबूत जीत के साथ वोटरों के बीच प्रचार के लिए जाएगी वहीं राहुल गांधी पदयात्रा के कारण गुजरात और हिमाचल से फिलहाल दूर हैं. प्रियंका गांधी हिमाचल में पुरजोर कोशिश कर रही हैं लेकिन उसके अलावा बड़े नेता फिलहाल प्रचार से दूर ही दिखाई दे रहे हैं. यही हाल गुजरात का भी है. कांग्रेस की तुलना में गुजरात में आम आदमी पार्टी ज्यादा तैयार दिख रही है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल धुआंधार रैलियां कर रहे हैं.
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