डीएनए हिंदी: गुजरात (Gujarat) विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2022) का ऐलान हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभेद्य दुर्ग में इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) को दोहरी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. एक तरफ राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस है तो दूसरी तरफ देश की राजनीति में पांव पसारने के बेकरार आम आदमी (AAP) पार्टी है.
भारतीय जनता पार्टी चुनावी राज्य में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है लेकिन यह प्रभावी है या नहीं, इस पर राजनीति के जानकार असमंजस में हैं. मीडिया का एक धड़ा कह भी रहा है कि गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबला जैसा कुछ नहीं है.
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गुजरात बीजेपी के लिए अभेद्य दुर्ग बना है. बीजेपी ने यहां से एक के बाद एक लगातार 6 बार चुनाव जीते हैं. साल 1995 से यहां बीजेपी की सत्ता है. अमित शाह और नरेंद्र मोदी की पकड़ राज्य में ऐसी है कि सत्ता विरोधी लहर नजर नहीं आती.
क्या है बीजेपी की मजबूती?
गुजरात में नरेंद्र मोदी का फैक्टर के सामने हर फैक्टर कमजोर है. बीजेपी को पाटीदारों का भी साथ मिल गया है. साल 2017 में जिस हार्दिक पटेल ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी थीं, उसी हार्दिक पटेल ने बीजेपी का हाथ थाम लिया है. भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री हैं. पाटीदार आरक्षण का मामला कब का थम गया है. ऐसे में पाटीदार भी अब बीजेपी के साथ हैं.
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गुजरात में बीजेपी एक मजबूत फैक्टर है. संगठन स्तर पर बीजेपी बेहद मजबूत है. सत्तारूढ़ दल को भरोसा है कि हिंदुत्व, विकास और डबल इंजन सरकार के सामने हर मुद्दे दब जाएंगे. बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह अपने गृहनगर में कमजोर नहीं पड़ेंगे, यह बात तो तय है.
कहां बीजेपी पर हावी हो सकती है कांग्रेस और AAP?
बीजेपी की सबसे बड़ी कमजोरी गुजरात में यह है कि मोदी-शाह के अलावा कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके भरोसे चुनाव निकाल लिया जाए. ब्रांड मोदी-शाह के आगे हर चेहरे दब गए हैं. साल 2014 से अब तक कुल 3 मुख्यमंत्री बदल दिए गए हैं.|
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बीजेपी यहीं कमजोर है. AAP और कांग्रेस दोनों, बीजेपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही हैं. बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक संकट को लेकर भी विरोधी पार्टियां हर दिन बीजेपी सरकार को घेर रही हैं. आम आदमी पार्टी ने स्वास्थ्य और शिक्षा के दिल्ली मॉडल को लेकर इतना शोर किया है कि जो बीजेपी की मुश्किल बढ़ा रहा है. अल्पसंख्यक बाहुल इलाकों में यही मुद्दे बीजेपी के खिलाफ जा रहे हैं.
क्या सच में गुजरात में होगा त्रिकोणीय मुकाबला?
गुजरात में विरोधी पार्टियां मजबूत स्थिति में नजर नहीं आ रही हैं. बीजेपी लगातार 7 राज्यों के विधानसभा चुनावों में अपनी सरकार बना चुकी है. कांग्रेस हर जगह हारती गई है. AAP केवल पंजाब में चुनाव जीती है. दूसरे राज्यों में वह हाशिए पर रही. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में अपना खाता तक न खोल पाने वाली पार्टी के लिए गुजरात में विस्तार की राह इतनी भी आसान नहीं है. असली लड़ाई फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस में ही है.
जो दे सकते थे टक्कर, वे कर रहे भारत जोड़ो यात्रा!
गुजरात में चुनवा हैं लेकिन राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं. हिमाचल प्रदेश को लेकर भी वह बिलकुल भी सक्रिय नहीं है. राहुल गांधी कांग्रेस के जननेता हैं. उनमें भीड़ बुलाने की ताकत है लेकिन ऐसा लग रहा है कि चुनावों के लिए वह अपनी भारत जोड़ो यात्रा छोड़ने वाले नहीं है. सोनिया गांधी प्रचार करने नहीं आ सकती हैं. प्रियंका गांधी यूपी की तरह यहां सक्रिय नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष भले ही मल्लिकार्जुन खड़गे हों लेकिन न तो वह जननेता हैं न ही उनके कहने पर लोग कांग्रेस का साथ उतर सकते हैं. भारत जोड़ो यात्रा, गुजरात में तो कांग्रेस का नुकसान करा ही सकती है.
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गुजरात में AAP को कैसे शिकस्त देगी BJP?
गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटे हैं. अगर AAP का विजय अभियान दहाई के नीचे सिमट जाता है तो अरविंद केजरीवाल के देशव्यापी अभियान पर एक ब्रेक लग सकता है. अरविंद केजरीवाल खुद को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में जुट गए हैं हालांकि उन्हें गुजरात में कामयाबी मिलेगी या नहीं, इस पर जानकार असमंजस में हैं.
कब होने वाले हैं गुजरात में चुनाव?
गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों के लिए 89 सीटों पर पहले चरण के तहत वोटिंग होगी और दूसरे चरण में 93 सीटों पर वोटिंग होगी. वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी. गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को समाप्त हो रहा है और चुनावों की घोषणा 110 दिन पहले की गई है.
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