डीएनए हिंदी: गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी पूरे एक्शन में हैं. वह मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर निशाना साधते हुए बड़ी रैलियां कर रहे हैं. बीती रात वह अपने प्रत्याशी के प्रचार के लिए सूरत पूर्व विधानसभा गए थे. इस दौरान गुजरात के सियासी संग्राम की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. यह तस्वीर ओवैसी के चुनावी मंसूबों पर पानी फेरने वाली हैं क्योंकि ओवैसी को अपनी ही रैली में मुस्लिम वर्ग द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा है.
दरअसल, हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जैसे ही मंच पर अपना भाषण शुरू किया, मुस्लिम युवकों ने विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी. सूरत की रैली में मुस्लिम युवकों ने ओवैसी को काले झंडे दिखाए और ओवैसी 'वापस जाओ' के नारे लगाए. सूरत की रैली में जैसे ही ओवैसी भाषण देने के लिए मंच पर खड़े हुए, वहां मौजूद मुस्लिम युवकों ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए.
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आपको बता दें कि ओवैसी जहां भी किसी रैली में जाते हैं, वहां अपने समर्थकों की भीड़ ले जाते हैं. समर्थक ओवैसी के तौर-तरीकों को लेकर नारेबाजी करते हैं लेकिन सूरत में इसका उल्टा होता है. रैली स्थल पर बड़ी संख्या में स्थानीय युवा मौजूद थे. वे मोदी के समर्थन में और ओवैसी के खिलाफ नारे लगाने लगे और मंच पर खड़े ओवैसी यह सब देखते रहे. अपनी हर रैली में मुस्लिम कार्ड खेलने वाले ओवैसी ने इस भाषण के दौरान दलित कार्ड खेलना शुरू कर दिया.
उन्होंने अपने भाषण में कहा, "प्रधानमंत्री दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के खिलाफ हैं. वे वंचितों का अधिकार छीन कर ऊंची जाति के लोगों को दे रहे हैं." उन्होंने कहा, "मैं अपने दलित भाइयों, हमारे वंचित भाइयों, आदिवासी भाइयों और ओबीसी भाइयों को बताना चाहूंगा कि यह कानून भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बनाया था."
उन्होंने आगे दावा किया है कि 2019 से पहले जब वह कानून बनाया जा रहा था, तब कहा गया था कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. मैं संसद में खड़ा हुआ और उस कानून का विरोध किया और उस समय भी कहा था कि यह भारत के लोगों के लिए नहीं था. गुजरात में लेकिन पूरे भारत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के नाम पर बीजेपी ने इस कानून के जरिए जो कानून बनाया है, वह ईडब्ल्यूएस का कानून नहीं है, बल्कि सवर्णों के लिए बनाया गया है.
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आपको बता दें कि बीजेपी इस बार पसमांदा मुस्लिमों को लुभाने की कोशिश कर रही है जिससे पार्टी की अल्पसंख्यक वर्ग में भी एक पकड़ बन सके. ऐसे में ओवैसी की रैली में ओवैसी का ही मुस्लिम समाज की नाराजगी यह जाहिर कर रही है कि इस बार बीजेपी मुस्लिम वर्ग में सेंध लगा सकती है.
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