Gujarat Election: कांग्रेस के KHAM में भाजपा की सेंधमारी, जानिए मुस्लिम समुदाय से मिल रहा कितना वोट

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डीएनए हिंदी: गुजरात में चुनाव के ऐलान के बाद से सियासी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है. सभी दल मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. गुजरात के सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस को अभी भी KHAM समीकरण से काफी उम्मीदे हैं. 80 के शुरुआती दशक में कांग्रेस के दिग्गज माधवसिंग सोलंकी द्वारा तैयारी किए गए इस समीकरण की मदद से कांग्रेस को बहुत फायदा हुआ. क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुसलमान- चारों ही समुदायों को कांग्रेस एकबार फिर से अपनी अपने पक्ष में लाने की कोशशि कर रही है.

आज क्या हैं हालात
गुजरात में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन इस बार वह यह करिश्मा दोहरा पाएगी यह चुनाव परिणाम ही बताएंगे. कभी KHAM समीकरण के जरिए सत्ता का स्वाद चखने वाली कांग्रेस पार्टी के पास अब सिर्फ AM यानी हरिजन और मुस्लिम समुदाय का ही समर्थन दिखाई देता था. दूसरी तरफ KA यानी क्षत्रिय और आदिवासी बीजेपी और पीएम मोदी के साथ दिखाई देते हैं. इसी तरह पाटिदार और अन्य ऊंची जातियां भी भाजपा के पक्ष में लामबंद दिखती हैं.

2017 में क्यों हुई थी कांटे की टक्कर?
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. यह पिछले दो दशकों का सबसे करीबी मुकाबला था. हार्दिक पटेल के नेतृत्व में चलाए गए पाटीदार आंदोलन व जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर को लेकर अनुसूचित व पिछड़ी जातियों में दिखाई दिया आकर्षण इसकी मुख्य वजह थी.

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2017 में भाजपा पाटीदार व अन्य पिछड़ी जातियों के वोटों के मामले में मामूली नुकसान का सामना करना पड़ा था. यहां गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा ने कांग्रेस के समर्थक कही जाने वाली अनुसूचित और मुस्लिम समुदाय के वोटों में सेंधमारी की और इन समुदायों से मिलने वाले वोट शेयर में क्रमश: 16 फीसदी और 7 फीसदी इजाफा किया.

Party

BJP (vote %)

Congress (vote %)

Others (vote %)

Caste

2007

2012

2017

2007

2012

2017

2007

2012

2017

Upper caste

69

61

55

26

26

36

5

13

9

Patel/Patidar

70

73

61

21

11

35

9

16

4

OBC Kshatriya/ Thakor

47

52

45

39

43

45

14

5

10

Kolis & other OBCs

48

54

52

45

35

38

7

11

10

Dalits

34

23

39

55

64

53

11

13

8

Adivasis

38

32

45

33

45

44

29

23

11

Muslims

22

20

27

67

73

64

11

7

9

Others

61

70

50

26

24

45

13

6

5

लोकसभा में हुआ भाजपा को फायदा
2017 विधानसभा में हुए नुकसान की भरपाई साल 2019 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने की. गुजरात की तमाम जातियों ने एकबार फिर से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपना विश्वास जताया. CSDS द्वारा चुनाव के बाद किए गए एक सर्वे के मुताबिक, 82 फीसदी सवर्ण, 63 फीसदी पाटीदार, 58 फीसदी क्षत्रिय-ठाकोर, 78 फीसदी कोली और 61 फीसदी एसटी ने बीजेपी को वोट दिया.

Caste

BJP (vote %)

Congress (vote %)

Others (vote %)

Upper caste

82

17

2

Patel/Patidar

63

25

13

OBC Kshatriya/ Thakor

58

36

6

Kolis & other OBCs

78

19

3

Dalits

28

67

6

Adivasis

61

30

9

Muslims

25

70

5

Others

73

18

9

 गुजरात में 48% ओबीसी

गुजरात में पिछड़ी जातियों के सबसे ज्यादा 48 फीसदी मतदाता हैं. इसके बाद अनुसूचित जाति का नंबर आता है. गुजरात में अनुसूचित जाति के 11 फीसदी मतदाता है. OBC मतदाताओं में क्षत्रिय-ठाकोर और कोली जातियों के कुल 44 फीसदी मतदाता हैं. ST समुदाय में सबसे ज्यादा 46 फीसदी भील जाति की हिस्सदारी है. गुजरात में पाटिदार मतदाताओं की संख्या 11 फीसदी, मुस्लिम समुदाय की 9 फीसदी और अनुसूचित समुदाय की 7 फीसदी हिस्सेदारी है.

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अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) के क्षेत्रवार विश्लेषण से पता चलता है कि बीजेपी लगातार चुनावों में मध्य गुजरात में बढ़त बनाए रखने में सफल रही है. मध्य गुजरात विधानसभा में सबसे ज्यादा 61 विधायक भेजता है. दक्षिण गुजरात भी भाजपा का गढ़ बना हुआ है, जबकि कांग्रेस राज्य के उत्तरी हिस्सों में मामूली रूप से मजबूत है. गुजरात की राजनीति में एक अन्य खिलाड़ी भारतीय ट्राइबल पार्टी है जो मुख्य रूप से राज्य की एसटी आबादी के बीच समर्थन हासिल करती है. 

Year

 

2017

2012

Region

No. of seats

NDA

Vote %

UPA

Vote %

NDA

Vote %

UPA

Vote %

Central Gujarat

61

37

48.2

22

40.5

38

46

21

40.9

North Gujarat

32

14

49.3

18

41.7

13

49.6

19

40.2

Saurashtra-Kutch

54

23

45.9

30

45.5

36

44.9

16

37.2

South Gujarat

35

25

54.1

10

36.4

28

51.6

6

37.4

 AAP की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय
गुजरात में इस बार आम आदमी पार्टी पूरे दमखम से किस्मत आजमा रही है. सियासी जानकारों का मानना है कि राज्य में इसबार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. पिछले निकाय चुनावों में भी AAP ने कई जगहों पर भाजपा और कांग्रेस को चौंका दिया था. राज्य में कई जगहों पर AIMIM को भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. हालांकि कई सियासी जानकारों का मानना है कि AAP और AIMIM के गुजरात में चुनाव लड़ने से सीधे तौर पर भाजपा को फायदा होगा क्योंकि ये दोनों दल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे.

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