डीएनए हिंदी: मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव (Mainpuri By Election) के साथ ही सपा ने गुजरात में जीत दर्ज की है. इसके बाद सपा की खुशी दोगुनी हो गई है. हालांकि रामपुर उपचुनाव (Rampur By Election) में सपा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा. वहीं गुजरात विधानसभा सीट पर सपा की जीत में ज्यादा भागीदारी उसके उम्मीदवार की है.
दरअसल मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव ने भारी मतों से जीत दर्ज की है. इसके साथ ही गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) में भी सपा ने खाता खोल दिया है. यहां कुटियाना सीट पर सपा उम्मीदवार कांधल जडेजा ने बीजेपी के उम्मीदवार को हरा दिया. इसकी एक वजह सपा के इस उम्मीदवार की अपनी बड़ी साख होना है. वह पिछले 10 सालों से इस विधानसभा सीट पर चुने गए हैं. कांधल जडेजा तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीते हैं.
लेडी डॉन संतोकबेन जडेजा के बेटे हैं कांधल
कांधल जडेजा लेडी डॉन संतोकबेन जडेजा के बेटे है. संतोकबेन का इस सीट पर अच्छा खासा वर्चस्व है. संतोकबेन जडेजा भी कुटियाना सीट से विधायक रह चुकी है. 2012 और 2017 गुजरात विधानसभा चुनाव में कांधल इस सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं. यह तीसरी बार है, जब वह इस सीट से विधायक चुने गए हैं.
इसलिए लिए थामा सपा का साथ
कांधल जडेजा पिछले दो बार से एनसीपी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत रहे थे, लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 में उन्हें एनसीपी ने टिकट नहीं दिया. इसके बाद कांधल जडेजा ने सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इस जीत की वजह उनके परिवार का सीट पर दबदबा होना है. कुटियाना विधानसभा सीट गुजरात के पोरबंदर जिले में आती है.
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किसी भी पार्टी से लड़ने पर जीत तय
लोगों की मानें तो कुटियाना विधानसभा में कांधल जडेजा अपने दबदबे की वजह से जीत दर्ज करते हैं. इतना ही नहीं जडेजा की एक और खासियत है कि वह राज्यसभा से लेकर राष्ट्रपति चुनाव में अपने मनमुताबिक वोट डालते हैं. चाहे फिर वह पार्टी के खिलाफ ही क्यों न हो. वह कांग्रेस में रहने के दौरान राष्ट्रपति चुनाव में खुलकर पार्टी के खिलाफ थे. उन्होंने पार्टी के खिलाफ जाकर भाजपा के राष्ट्रपति प्रत्याशी को वोट दिया था. इस बार भी उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया. ऐसे में संभावना जताई जा रही थी कि कांधल जडेजा भाजपा में शामिल हो सकते हैं, हालांकि ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने सपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की है.
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