डीएनए हिंदी: गुजरात की वाघोडिया सीट (Waghodia Assembly Seat) पर भाजपा के दो बागी उसके वोटों में सेंध लगा सकते हैं. दोनों बागियों ने दावा किया है कि अगर वह जीते तो पार्टी का समर्थन करेंगे. निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे बागियों के इस दावे के बीच सत्तारूढ़ दल के आधिकारिक उम्मीदवार के लिए जीत की राह आसान नजर नहीं आ रही है. छह बार के भाजपा विधायक मधु श्रीवास्तव के बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा उम्मीदवार अश्विन पटेल के लिए राह मुश्किल हो गई है.
मधु श्रीवास्तव की जगह भाजपा के वडोदरा जिले के अध्यक्ष अश्विन पटेल को टिकट दिया गया है. श्रीवास्तव के साथ ही भाजपा नेता रहे धर्मेंद्र सिंह वाघेला के बागी होकर चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. श्रीवास्तव और धर्मेंद्र सिंह वाघेला दोनों ही उम्मीदवारों की छवि ‘‘दंबग और बाहुबली’’ नेता की है.
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हालांकि, भाजपा ने अपने आधिकारिक उम्मीदवार पटेल के पीछे अपनी पूरी ताकत लगा दी है, लेकिन वोट बंटवारे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. अपेक्षाकृत साधारण पृष्ठभूमि वाले अश्विन पटेल पटेल को बहुकोणीय मुकाबले में पार्टी के दो बागियों के अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) से भी कड़ी टक्कर मिल रही है.
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वडोदरा में भाजपा किसान मोर्चा के महासचिव उत्सव भाई पारिख ने PTI से कहा, "उम्मीदवार से ज्यादा महत्वपूर्ण भाजपा है और हम आधिकारिक उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रहे हैं." जीत का भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि वाघोडिया में 65 फीसदी क्षत्रिय मतदाताओं में से 50 फीसदी भाजपा को वोट देते आए हैं. पारिख ने कहा, "बागियों की मौजूदगी से हमें वोटों के लिहाज से 10 से 15 फीसदी का नुकसान होगा. लेकिन हम जीत के प्रति आश्वस्त हैं."
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वहीं, भाजपा के बागियों की मौजूदगी के बाद कांग्रेस उत्साहित दिखाई दे रही है और उसे इस चुनावी स्थिति से लाभ मिलने की उम्मीद है. वडोदरा के पूर्व सांसद एवं कांग्रेस उम्मीदवार सत्यजीत गायकवाड ने कहा कि 2017 में मधु गायकवाड को लगभग 60,000 वोट मिले थे जबकि 1.10 लाख मत उनके खिलाफ पड़े थे. उन्होंने दावा किया, "भाजपा के वोटों में बंटवारे का लाभ कांग्रेस को मिलेगा और आम आदमी पार्टी को यहां केवल 1,500 के आसपास वोट मिल सकते हैं."
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मधु श्रीवास्तव के बेटे दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि उनके पिता जनाधार वाले नेता हैं और सातवीं बार जीत को लेकर आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा, "(चुनाव) चिह्न मायने नहीं रखता, लोगों का काम और उनका कल्याण उनके लिए महत्वपूर्ण है और वह ऐसा करना जारी रखेंगे. वह (मधु श्रीवास्तव) एक निर्दलीय के रूप में खड़े हैं क्योंकि लोग चाहते थे कि वे चुनाव लड़ें और जनता ने उन्हें जीत का आश्वासन दिया है."
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धर्मेंद्र सिंह वाघेला की प्रचार टीम के सदस्य मितेश पटेल ने कहा कि 2017 में लगभग 10,000 वोटों से हारने के बाद 2022 के चुनावों में उनकी दावेदारी बेहद मजबूत है. धर्मेंद्र सिंह वाघेला ने पिछले विधानसभा चुनाव में बागी तेवर अपनाते हुए भाजपा के तत्कालीन उम्मीदवार मधु श्रीवास्तव के खिलाफ चुनाव लड़ा था.
(भाषा)
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