डीएनए हिंदी: गुजरात विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजर है. गुजरात में एक विधानसभा सीट ऐसी भी है जहां मुख्य मुकाबला ईसाई धर्म से संबंध रखने वाले दो उम्मीदवारों के बीच है. गुजरात विधानसभा की व्यारा विधानसभा सीट से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने ईसाई उम्मीदवार को सियासी रण में उतारा है. ऐसा पहली बार है कि इस सीट पर दोनों दलों ने ईसाई धर्म से संबंध रखने वाले उम्मीदवारों का चयन किया है. व्यारा विधानसभा सीट के विधायक अमरसिंह चौधरी विधायक रह चुके हैं. वह गुजरात के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री थे.
कौन-कौन उम्मीदवार
व्यारा विधानसभा सीट ST केटेगरी के लिए रिजर्व है. कांग्रेस पार्टी ने इस सीट से अपने वर्तमान विधायक पूनाभाई गमित को चुनाव मैदान में उतारा है. भाजपा ने यहां पहली बार एक ईसाई उम्मीदवार उतारा है. भाजपा ने मोहन कोंकणी को व्यारा विधानसभा सीट से टिकट दिया है. कांग्रेस के पूनाभाई गमित चार बार के विधायक हैं.
किसे वोट देगा ईसाई समुदाय?
कांग्रेस विधायक पूनाभाई गमित आश्वस्त हैं कि ईसाई समुदाय के लोग उन्हें ही वोट करेंगे जबकि भाजपा के उम्मीदवार मोहन कोंकणी को विश्वास है कि इसबार ईसाई समुदाय उनका साथ देगा. भाजपा उम्मीदवार का कहना है कि प्रदेश में सरकार द्वारा किया गया विकास काम उनके पक्ष में जाएगा.
व्यारा में 40 हजार ईसाई
व्यारा विधानसभा सीट पर करीब 40 हजार ईसाई मतदाता हैं. यह कुल मतदाताओं का करीब 20 फीसदी हैं. व्यारा विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 2.20 लाख है. इसे कांग्रेस पार्टी का गढ़ भी माना जाता है. व्यारा साउथ गुजरात के आदिवासी बाहुल्य तापी जिले का हिस्सा है. यहां रहने वाले ईसाई धर्म के ज्यादातर लोग आदिवासी गामित, चौधरी और कोंकणी समुदायों से संबंध रखते हैं. इस सीट पर 1 दिसंबर को मतदान होगा.
इलाके में जारी है धर्म परिवर्तन
इस इलाके में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है. इस वजह से सियासी दलों के हालात बेहद चुनौतीपूर्ण बनते जा रहे हैं. पिछले सात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 1995 और 2002 छोड़कर हर बार जीत हासिल हुई है. भाजपा के उम्मीदवार कोंकणी ने बताया कि वह साल 1995 से पार्टी से जुड़े हुए हैं और साल 2002 में प्राइमरी मेंबरशिप के बाद से वह समाज के हर समुदाय के साथ जुड़कर काम कर रहे हैं.
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भाजपा उम्मीदवार मोहन कोंकणी ने बताया कि जिस सीट से वह जिला पंचायत चुनाव जीते थे वहां 75 फीसदी ईसाई हैं. उन्होंने मेरा समर्थन किया. ऐसे में यह कहना गलत होगा कि ईसाई भाजपा को वोट नहीं करेंगे. उन्होंने बताया कि व्यारा सहित राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यों से हर मतदाता खुश है. इस क्षेत्र में जो भी विकास हुआ है वह भाजपा के कारण हुआ है. उन्होंने दावा किया कि व्यारा विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री चुने जाने पर भी इतना विकास नहीं हुआ था.
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ईसाई के अलावा इन समुदायों के भी वोट
व्यारा विधानसभा सीट पर गामित जाति के 88 हजार, चौधरी जाति के 67 हजार और कोंकणी जाति के 13,000 मतदाता हैं. इन तीनों समुदायों से संबंध रखने वाले ईसाइयों वोटरों की संख्या करीब 40 हजार है. समाजशास्त्री जानी बताते हैं कि इस क्षेत्र में ईसाई धर्मांतरित लोग भाजपा के प्रति उनके प्रति पार्टी के रवैये और "घर वापसी" के प्रवचन के कारण सावधान रहते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस गढ़ में घुसने के लिए भाजपा को बहुत अलग रणनीति अपनानी होगी.
पिता हिंदू, बेटा ईसाई
समाजशास्त्री जानी ने बताया कि व्यारा के हर गांव में ईसाई समुदाय के लोग हैं. गौर करने वाली बात यह है कि यहां ऐसे परिवार भी हैं जहां पिता तो हिंदू है लेकिन बेटा ईसाई है. इस वजह से सामाजिक तनाबाना बेहद जटिल हो गया है. इसलिए कोई भी पार्टी से घर के मुखिया को समझाकर उसके पूरे परिवार के वोटों को अपना नहीं मान सकती. उन्होंने कहा कि इस मिश्रित पारिवारिक संरचना में पैठ बनाने के लिए एक अलग सोच की आवश्यकता है.
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