Gujarat Election में बीजेपी और कांग्रेस का गेम खराब करेंगी छोटी पार्टियां? निर्दलीय भी हैं खतरा!

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डीएनए हिंदी: गुजरात के विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) में इस बार लड़ाई काफी रोचक हो सकती है. हर बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच होने वाली जंग में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) की भी एंट्री हो गई है. इसके अलावा, दर्जनों विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां निर्दलीय उम्मीदवार और छोटी पार्टियां भी इन तीनों ही पार्टियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं. पिछले चुनावों में भी 794 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. कई सीटों के नतीजों ने साफ दर्शाया कि कैसे निर्दलीय उम्मीदवारों ने बड़ी पार्टियों का खेल खराब कर दिया.

साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 182 सीटों पर 794 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. राष्ट्रीय दलों के 204 और राज्य स्तरीय पार्टियों के 367 उम्मीदवार चुनाव में उतरे थे. इन निर्दलीय और राज्य स्तरीय पार्टियों के पास बहुत कम जमीनी नेटवर्क था, लेकिन इनकी उपस्थिति बड़े दलों के खेल को बिगाड़ने वाली रही. कांग्रेस और बीजेपी के 28 उम्मीदवार 258 वोटों के अंतर से हारे, जबकि हार के लिए वोटो का अंतर 27,226 रहा. तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे जबकि कांग्रेस या बीजेपी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे.

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मामूली अंतर से बिगड़ गया खेल
भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया 2017 का चुनाव 1981 वोटों के अंतर से हार गए, बसपा उम्मीदवार को 4259 वोट मिले, जबकि 3408 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. खेरालू सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार मुकेश देसाई को 37,960 वोट मिले, जो बीजेपी उम्मीदवार से 21,479 कम थे. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार रामजी ठाकोर से 15 वोट ज्यादा मिले, जिसके चलते वह दूसरे नंबर पर आ गए.

भावनगर जिले के महुवा निर्वाचन क्षेत्र में, निर्दलीय उम्मीदवार कनुभाई कलसारिया ने 39164 वोट हासिल किए, लेकिन भाजपा उम्मीदवार से हार गए, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार विजय बारिया को केवल 8,789 वोट मिले. 2022 के चुनाव में अमरेली सीट पर धनानी के खिलाफ पूर्व नेता प्रतिपक्ष परेश धनानी के पूर्व ड्राइवर विनोद चावड़ा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. उनका दावा है कि किसी भी प्रमुख दल ने कभी भी इस निर्वाचन क्षेत्र में ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में नहीं उतारा और इसलिए उन्होंने ओबीसी उम्मीदवार के रूप में उम्मीदवारी दाखिल की. चावड़ा का दावा है कि उनकी उम्मीदवारी के बारे में जानने के बाद धनानी ने उन्हें आशीर्वाद दिया है.

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कई सीटों पर निर्दलीयों ने पलट दी बाजी
नर्मदा जिले के नांदोद विधानसभा क्षेत्र से हैरान कर देने वाली खबर आई. भाजपा के एसटी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हर्षद वसावा ने पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और नंदोद सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए. वसावा दो बार के विधायक हैं. नर्मदा जिले के भाजपा महासचिव विक्रम तड़वी का मानना है कि बिना पार्टी सिंबल या पार्टी कैडर के शायद ही कोई फर्क पड़ता है. तड़वी का मानना है कि एक उम्मीदवार का चुनावी मूल्य पार्टी के कारण होता है, न कि एक व्यक्ति के रूप में और हर्षद वसावा भाजपा उम्मीदवार की संभावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाएंगे.

बीजेपी के पूर्व विधायक अरविंद लडानी जूनागढ़ जिले की केशोद सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन पार्टी को भरोसा है कि लडानी पार्टी के प्रतिबद्ध वोट बैंक में सेंध नहीं लगा सकते या पाटीदारों को प्रभावित नहीं कर सकते. भाजपा जूनागढ़ जिला समिति के महासचिव विजय कुमार करदानी ने कहा कि वह अधिक से अधिक फ्लोटिंग वोटों को विभाजित कर सकते हैं. करदानी का मानना है कि AAP की मौजूदगी से भी पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, जबकि एआईएमआईएम जूनागढ़ जिले की सभी चार सीटों पर मौजूद भी नहीं हैं.

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