डीएनए हिंदी: गुजरात विधानसभा की वडगाम विधानसभा सीट पर मतों की गिनती जारी है. इस सीट पर वह फिर से आगे निकल गए हैं. जिग्नेश मेवाणी 53,609 वोटों से आगे चल रहे हैं. उन्हें बीजेपी प्रत्याशी मणिभाई वाघेला 49,629 वोटों से कड़ी टक्कर दे रहे हैं. यहां मुस्लिम और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जिग्नेण मेवाणी ही यहां के मौजूदा विधायक हैं. कांग्रेस के लिए यह मजबूत दुर्ग है, जिसे भारतीय जनता पार्टी हासिल नहीं कर पा रही है. साल 2017 में युवा नेता जिग्नेश मेवाणी ने इस विधासभा सीट से जीत हासिल की थी. वह दलितों के बड़े नेता हैं, उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस ने समर्थन दिया था.
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त्रिकोणीय मुकाबले में कौन आगे-कौन पीछे?
वडगाम विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मणिभाई वाघेला को इस सीट से टिकट दिया है. कांग्रेस ने जिग्नेश मेवाणी और आम आदमी पार्टी (AAP) ने दलपत भाटिया को टिकट दिया है. AIMIM ने कल्पेश सुंधिया को उतारा है.
कैसा था साल 2017 का विधानसभा चुनाव?
2017 में वडगाम विधानसभा सीट से 10 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. यह गुजरात में निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा जीती गई तीन सीटों में से एक थी. जिग्नेश मेवाणी ने यह सीट बीजेपी के चक्रवर्ती विजयकुमार हरखाभाई को 19,696 मतों के अंतर से हराया था.
जिग्नेश मेवाणी को कुल 95,497 वोट मिले थे. बीजेपी के हरखाभाई को 75,801 वोट मिले थे. निर्दलीय उम्मीदवार मकवाना नरेंद्रकुमार पूजाभाई 3,711 वोट हासिल किया था और तीसरे नंबर पर रहे.
कौन हैं जिग्नेश मेवाणी?
जिग्नेश मेवाणी गुजरात की वडगाम विधानसभा सीट से विधायक हैं. कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी सूबे के प्रमुख दलित चेहरों में शुमार हैं. वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ हमेशा मुखर रहे हैं. 42 साल के जिग्नेश मेवाणी राज्य और केंद्र सरकार की सूबे में हमेशा मुश्किलें बढ़ाते रहे हैं. साल 2016 में पहली बार जिग्नेश मेवाणी चर्चा में आए थे. उन्होंने उना में दलित उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था. उना में कुछ दलित युवाओं ने मृत गाय की चमड़ी को निकाला था, गौ रक्षक समिति के कुछ सदस्यों ने कथित तौर पर उन्हें सड़क पर पीटा था.
पिटाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी सरकार को घेरते हुए आंदोलन खड़ा कर दिया था. लोग सड़कों पर उतर आए थे. इस आंदोलन में उन्हें एक बड़े तबके का समर्थन मिला था. दलितों ने उन्हें मसीहा मान लिया था. अपने पहले ही चुनाव में जिग्नेश ने धूम मचा दिया था.
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