डीएनए हिंदी: अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के बीच रिश्ता खून का है लेकिन दोनों के बीच संबंध अब सियासी हैं. दोनों के बीच कभी तल्खी, कभी नरमी देखने को मिलती रही है. शिवपाल यादव सियासी तौर पर पेंडुलम हो गए हैं. उनकी सियासत पर सबसे बड़ी टिप्पणी, कहीं और से नहीं, बल्कि योगी आदित्यनाथ की तरफ से आई है. प्रगतिशील समाज पार्टी (PSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के बारे में ऐसा बयान लोग उन्हीं की वजह से देते हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कभी वह अखिलेश से खुश नजर आते हैं तो कभी उन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हैं. तभी योगी आदित्यनाथ ने उन्हें पेंडुलम भी कहा था.
क्यों योगी आदित्यनाथ ने शिवपाल को कहा पेंडुलम?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में मैनपुरी में आयोजित एक जनसभा में शिवपाल यादव पर तंज करते हए कहा था, 'उनकी स्थिति एक पेंडुलम जैसी है. बेचारे को पिछली बार कितना बेइज्जत करके भेजा था. कुर्सी तक नहीं मिली, उसके हैंडल में बैठना पड़ा था. पेंडुलम का कोई लक्ष्य नहीं होता है.'
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क्या आया भतीजे अखिलेश यादव का रिएक्शन?
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव का बचाव करते हुए कहा, 'चाचा पेंडुलम नहीं वो ऐसा झूला झुला देंगे कि समझ नहीं आएगा, जिसने खुद फिजिक्स नहीं पढ़ी वो पेंडुलम सिखा रहे हैं.' उनके कहने का आशय यह था कि शिवपाल यादव की स्थिति पेंडुलम जैसी नहीं है, वह सपा के साथ खड़े हैं.
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अखिलेश यादव मंगलवार को मैनपुरी में एक रैली के दौरान कहा, 'मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि फुटबॉल खेलो, बताओ मुख्यमंत्री फुटबाल खेल पाएंगे क्या. खेलना हो तो खेल लें समाजवादियों से. मुख्यमंत्री को सिर्फ नफरत और झगड़े का खेल खेलना आता है. कहा कि चाचा पेंडुलम नहीं वो ऐसा झूला झुला देंगे कि समझ नहीं आएगा, जिसने खुद फिजिक्स नहीं पढ़ी वो पेंडुलम सिखा रहे हैं.'
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क्यों सपा से तल्ख रहते हैं शिवपाल यादव?
अखिलेश यादव जैसे-जैसे पार्टी में मजबूत होते गए, शिवपाल यादव के साथ तल्खी बढ़ती गई. 2015 के बाद हालात ऐसे बदले कि बड़े मंचों पर दोनों एकसाथ आने से कतराने लगे. 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान शिवपाल यादव ने यहां तक कह दिया कि वह अखिलेश यादव के साथ बातचीत करना चाहते हैं लेकिन अखिलेश भाव नहीं दे रहे हैं.
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शिवपाल ने जनसभाओं में भी अखिलेश से अपनी नाराजगी जाहिर की. उनकी वजह से पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव तक के खिलाफ अखिलेश यादव बगावत कर चुके थे. उन्होंने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना लिया था. चाचा-भतीजे के बीच सियासी तल्खी हमेशा से रही है. फिलहाल शिवपाल अखिलेश से खुश नजर आ रहे हैं. उन्होंने मैनपुरी में उपचुनावों के लिए बहू डिंपल यादव के समर्थन में चुनाव प्रचार करने की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने यह भी कहा है कि हम तल्खी भूल चुके हैं. अब जनता भी इसे भूल जाए.
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