डीएनए हिंदी: गुजरात में मतों की गिनती करीब-करीब पूरी हो चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक भाजपा के कांतिलाल अमृतिया 61,580 वोटों से आगे हैं. वह शुरुआत से ही सभी से आगे चल रहे थे. मोरबी इस अक्टूबर महीने की 30 तारीख को उस समय चर्चा में आया था जब वहां एक केबल ब्रिज टूटने की वजह से बड़ा हादसा हो गया था. भाजपा ने इस सीट पर नदी में कूदकर लोगों को बचाने वाले व्यक्ति को चुनावी मैदान में उतारा था.
भाजपा ने काटा था मौजूदा विधायक का टिकट
मोरबी का माहौल देखते हुए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां के मौजूदा विधायक और मंत्री बृजेश मेरजा का टिकट काट दिया था. बीजेपी ने अपने ही पूर्व विधायक और मोरबी में लोगों की मदद करने वाले कांति अमृतिया को चुनाव में उतारा. वह शुरुआती रुझानों में आगे चल रहे हैं.
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हादसे के बाद खुद मोरबी गए थे पीएम
मोरबी में भीषण हादसा होने की वजह से स्थानीय लोगों में सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ गुस्सा भर गया था. इस गुस्से को खुद पीएम मोदी ने भी समझा. यही वजह थी कि वह घटनास्थल पर भी गए और अस्पताल जाकर घायलों से भी मिले. साल 1980 से 2020 के उपचुनाव तक कांग्रेस इस सीट पर सिर्फ़ दो बार जीत हासिल कर पाई है. कांग्रेस ने कांति अमृतिया के मुकाबले जेरजभाई पटेल को उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले, वह पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन एक भी बार उन्हें जीत नसीब नहीं हुई है.
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खूब चर्चा में रहे हैं कांति अमृतिया
बीजेपी के कांति अमृतिया इसी सीट से बीजेपी के विधायक रहे हैं. हादसे के वक्त उनका सक्रिय होना और लोगों की मदद करना काम आया और उनको फिर से टिकट मिल गया. साल 2012 में वह मोरबी से विधायक बने थे. साल 2014 में कांति अमृतिया का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह एक युवक को रॉड से पीटते नजर आ रहे थे. 2017 में भी बीजेपी ने कांति अमृतिया को ही चुनाव में उतारा था लेकिन वह चुनाव हार गए थे. चुनाव हराने वाले बृजेश मेरजा तब कांग्रेस में थे. बृजेश मेरजा बाद में बीजेपी में आ गए और इस सीट पर कुछ महीने पहले ही हुए उपचुनाव में फिर से जीत गए.
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मोरबी ब्रिज हादसे में क्या हुआ था?
गुजरात की मच्छु नदी पर मोरबी में बना केबल ब्रिज 30 अक्टूबर को टूट गया था. हादसे के वक्त इस ब्रिज पर सैकड़ों लोग मौजूद थे. इस हादसे में 134 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा दर्जनों लोग घायल भी हुए थे. हादसे का कारण था कि केबल ब्रिज की रिपेयरिंग करने वाली कंपनी इसके लिए योग्य नहीं थी. कोर्ट में यह भी बताया गया कि रिपेयरिंग के काम में सिर्फ पुल का फर्श बदला गया लेकिन केबल नहीं बदली गई.
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