trendingPhotosDetailhindi4009594

UP Election 2022: पहले फेज में अलग रहा वोटिंग ट्रेंड, कहीं नतीजों में न हो जाए खेल, समझें समीकरण

उत्तर प्रदेश के पहले चरण के चुनावों में पश्चिमी यूपी की 58 सीटों पर आज कुल 60.17% मतदान हुआ है. इन सीटों का चुनावी नतीजों पर बड़ा असर पड़ने वाला है.

  •  
  • |
  •  
  • Feb 10, 2022, 09:17 PM IST

उत्तर प्रदेश में आज पहले चरण में 60.17% वोटिंग हुई है. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार वोटिंग ट्रेंड में कुछ बदलाव दिखा है जो कि प्रदेश की राजनीति के लिए बड़ा संकेत माना जा रहा है. इस बार वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में कम है. 2017 में इन सीटों पर 64.10 फीसदी मतदान हुआ था. वोटिंग का घटा आंकड़ा चुनाव नतीजों के लिए कई तरह के संकेत दे रहा है. 

1.पिछले चुनाव से कम हुआ आंकड़ा, कई संकेत छिपे हैं

पिछले चुनाव से कम हुआ आंकड़ा, कई संकेत छिपे हैं
1/5

शाम 6 बजे तक के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर 60.17% मतदान दर्ज किया गया. 2017 में इन 58 विधानसभा सीटों पर हुए 64.10 फीसदी मतदान के प्रतिशत से लगभग 4% कम है. पश्चिमी यूपी में ही किसान आंदोलन का असर सबसे ज्यादा रहा था. मतदान कम होने को लेकर प्रदेश की राजनीति के जानकारों की राय बंटी दिख रही है. कुछ इसे एसपी गठबंधन के पक्ष में बता रहे हैं तो कुछ इसे बीजेपी के लिए अच्छा संकेत मान रहे हैं. अब यह किसके लिए अच्छा रहा है, यह तो 10 मार्च को ही पता चल सकेगा.
 



2.मतदान में शामली अव्वल, गाजियाबाद फिसड्डी

मतदान में शामली अव्वल, गाजियाबाद फिसड्डी
2/5

पहले चरण की वोटिंग में शामली अव्वल रहा तो गाजियाबाद में सबसे कम मतदान हुआ है. 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी इन 11 जिलों में सबसे अधिक वोटिंग शामली में ही देखने को मिली थी. शामली में सबसे अधिक 69.42% वोटिंग शाम 6 बजे तक रिकॉर्ड की गई थी. शामली के कैराना में रिकॉर्ड 75% वोटिंग हुई है. यहां 2017 से 2% ज्यादा वोटिंग हुई है. गाजियाबाद में पिछले चुनाव की तुलना में 6% कम मतदान हुआ है. शाम 6 बजे तक 52.43 फीसदी वोटिंग रिकॉर्ड की गई है. 



3.किसान आंदोलन का असर मतदान पर तो नहीं? 

किसान आंदोलन का असर मतदान पर तो नहीं? 
3/5

राजनीतिक विश्लेषक इन 58 सीटों पर मतदान के आंकड़ों में कमी को लेकर एक राय नहीं रख पा रहे हैं. पश्चिमी यूपी में बीजेपी को 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में जोरदार समर्थन मिला था. 2017 विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को यहां भरपूर समर्थन मिला था. किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी के समर्थकों में भी कुछ नाराजगी रही है. वोटिंग कम होने की एक वजह कुछ विश्लेषक किसान आंदोलन का असर मान रहे हैं. कुछ का कहना है कि बीजेपी समर्थक वोटर घर से नहीं निकले हैं. असल में क्या हुआ है यह वोटों की गिनती के बाद ही पता चलेगा. 


(फोटो में मतदान केंद्र के बाहर बीजेपी सांसद वीके सिंह)



4.2017 में बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप

2017 में बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप
4/5

2017 में पश्चिमी यूपी में बंपर वोटिंग का सीधा लाभ बीजेपी को मिला था. 2012 की तुलना में 2017 में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा था. 2012 में 61.04% वोटिंग हुई थी. 2017 में यह  बढ़कर 64.10% हो गया था. बीजेपी को बढ़े मतदान आंकड़ों का लाभ मिला था और पार्टी ने यहां से लगभग क्लीन स्वीप ही कर लिया था. बीजेपी को पिछले चुनाव में 58 में से 53 सीटें मिली थीं. एसपी-बीएसपी को 2-2 सीटें मिली थी जबकि आरएलडी को 1 सीट से संतोष करना पड़ा था. 



5.वेस्ट यूपी में इस बार अखिलेश-जयंत ने बहाया है पसीना

वेस्ट यूपी में इस बार अखिलेश-जयंत ने बहाया है पसीना
5/5

पश्चिमी यूपी में इस चुनाव से पहले प्रचार में अखिलेश यादव और आरएलडी नेता जयंत यादव ने खूब मेहनत की है. जाट वोटरों की वजह से यह इलाका कभी आरएलडी का गढ़ था लेकिन 2014 के बाद से पार्टी अपने ही घर में संघर्ष करती नजर आ रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी चुनावों में मेहनत की है लेकिन बिना कैडर के पार्टी कितनी सीटें ला पाती है, यह देखना होगा. 



LIVE COVERAGE