आदर्श आचार संहिता का जिक्र हर चुनाव से पहले बार-बार होता है. चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही इससे जुड़े सभी नियम हर प्रत्याशी पर लागू हो जाते हैं.
मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट या आदर्श आचार संहिता किसी भी चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है. आचार संहिता का पालन कड़ाई से करवाने की वजह से भारतीय चुनाव पद्धति की दुनिया भर में कई बार तारीफ हो चुकी है. क्या है यह आचार संहिता और चुनाव आयोग इस पर कैसे नजर रखता है, समझें सब कुछ.
1.स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए हैं ये नियम
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं. इन नियमों और पाबंदियों को मानना सभी राजनीतिक दल, प्रत्याशियों के लिए अनिवार्य होता है. चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. लोकसभा/विधानसभा या निकाय चुनाव के दौरान भी इन नियमों का पालन करना जरूरी है.
2.कब, कितने समय... इन सवालों के ये हैं जवाब
आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है. वोटों की गिनती पूरी होने तक यह लागू रहती है. आचार संहिता सभी दलों, प्रत्याशियों पर एक रूप में लागू होती है. चुनाव प्रचार के दौरान इनका पालन करना जरूरी होता है.
3.आदर्श आचार संहिता के मुख्य नियम ये हैं
1) सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी राजनीतिक दल या नेता या प्रत्याशी को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं हो सकता है.
2) सरकारी गाड़ी, विमान या बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं किया जा सकता है.
3) नई सरकारी घोषणा नहीं कर सकते हैं, सरकारी काम से जुड़े लोकापर्ण और शिलान्यास नहीं किया जा सकता है. यहां यह बताना जरूरी है कि सरकारी घोषणा में किसी पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र शामिल नहीं है.
4) चुनाव प्रचार से पहले पुलिस और प्रशासन से अनुमति लेना जरूरी है. धर्म, जाति आदि के आधार पर वोट नहीं मांगे जा सकते हैं.
4.पोस्टिंग और तबादलों पर भी EC का नियंत्रण
चुनावों को किसी भी तरह से प्रभावित न किया जा सके, इसके लिए चुनाव आयोग के पास विशिष्ट शक्तियां होती हैं. इसके तहत ही निर्वाचन के आयोजन से सीधे या परोक्ष तरीके से जुड़े अधिकारियों के ट्रांसफर या तैनाती का फैसला सरकार नहीं ले सकती है. किसी भी तरह के ट्रांसफर या पोस्टिंग के लिए EC से अनुमति लेनी होती है.
5.सरकारी सुविधाओं, मशीनरी के इस्तेमाल पर पाबंदी
आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत किसी भी प्रत्याशी को सरकारी मशीनरी या सुविधाओं का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए करने की अनुमति नहीं है. चुनाव प्रचार के लिए सरकार, मंत्रालय से मिली गाड़ी, मशीनरी, बंगले या धन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. प्रत्याशियों के प्रचार की खर्च सीमा तय होती है. इसके अलावा, राजनीतिक दल या प्रत्याशी अपने निजी आवास या गाड़ी का इस्तेमाल प्रचार के लिए कर सकते हैं.