AAP का अगला मिशन Jammu Kashmir, किसके भरोसे घाटी में जमाएगी पांव?

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डीएनए हिंदी: आम आदमी पार्टी (AAP) तेजी से राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिशों में जुटी है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के बाद अब जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) पर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की नजर है.

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में तो चुनाव होने वाले हैं. राजस्थान और हरियाणा में भी अगले साल चुनाव होंगे लेकिन जम्मू-कश्मीर में अभी तक चुनाव आयोग ने हिंट भी नहीं दिया है कि चुनाव होंगे. फिर भी पार्टी की जड़ें जमाने के लिए आम आदमी पार्टी अभी से लग गई है.

घाटी में पुराने खिलाड़ियों के भरोसे ही आम आदमी पार्टी अपना विस्तार करेगी. जिनके पास जनसमर्थन है पहले उन्हें शामिल कराकर अपनी सियासत साधने की तैयारी में AAP जुटी है. शायद यही वजह है कि शनिवार को जम्मू और कश्मीर के पूर्व मंत्री और तीन बार विधायक रहे जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (JKNPP) के नेता हर्ष देव सिंह अपने समर्थकों के साथ AAP में शामिल हो गए.

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Kashmir में किसके भरोसे AAP?

हर्ष देव सिंह कश्मीर के बड़े नेताओं में शुमार होते रहे हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी में उनका शामिल होना पार्टी के लिए बड़ी जीत है. हर्ष देव सिंह के साथ जम्मू-कश्मीर नेशनल पेंथर्स पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश परगोत्रा, राज्य सचिव गगन प्रताप और पुरुषोत्तम, पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख सुरेश डोगरा भी AAP में शामिल हो गए हैं.

जम्मू और कश्मीर में पार्टी के विस्तार की जिम्मेदारी AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को दी गई है. इमरान हुसैन और दुर्गेश पाठक भी कश्मीर घाटी में जमे हुए हैं. दूर-दूर तक चुनावों की कोई डेट या अटकलें सामने नहीं आई हैं लेकिन आम आदमी पार्टी को भरोसा है कि चुनाव जब भी होंगे हमारे पास कैडर बेहद मजबूत होगा.

कौन हैं हर्ष देव सिंह?

हर्ष देव सिंह जम्मू-कश्मीर के पूर्व शिक्षा मंत्री रहे हैं. वह अरविंद केजरीवाल की बिजली और फ्री शिक्षा, स्वास्थ्य की नीतियों से खुद को प्रभावित बताते हैं. अगर उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलती है तो वह पार्टी को एक बार फिर सूबे में खड़ा कर सकते हैं.

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हर्ष देव सिंह ने उधमपुर जिले के रामनगर विधानसभा सीट से तीन बार चुनाव जीता था. वह मुफ्ती मोहम्मद सईद के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री रहे थे. जब 2005 में गुलाम नबी आजाद ने घाटी में सीएम पद की कमान संभाली तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया था. 

कई दिनों से कोशिश में थी AAP

हर्ष देव सिंह के आम आदमी पार्टी में के पटकथा बीते कई दिनों से लिखी जा रही थी. दिल्ली में उन्होंने AAP नेताओं से मुलाकात की थी. हर्ष देव सिंह 2021 तक पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष रहे. चुनाव आयोग के नोटिस के बाद अध्यक्ष का पद खत्म हो गया था. चुनाव आयोग ने पार्टी को सूचित किया था कि केवल पार्टी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव जैसे पदों को ही मान्यता दी जाएगी. संरक्षक अध्यक्ष जैसे पदों को मान्यता नहीं दी जाएगी.

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हर्ष देव सिंह ने शुरुआत में जेकेएनपीपी अध्यक्ष बनने की कोशिश की लेकिन सियासी कुनबे में कलह की वजह से उन्हें अपने चाचा प्रोफेसर भीम सिंह से हार मिल गई. जेकेएनपीपी नेताओं ने कहा कि भीम सिंह को पार्टी की कार्यसमिति के अधिकांश सदस्यों का समर्थन मिल गया था. यही वजह थी कि उनका पार्टी में टिकना मुश्किल था. अब उन्हें आम आदमी पार्टी ने सहारा दिया है. सियासी जानकार कह रहे हैं कि AAP को भी जड़ें जमाने के लिए किसी पुराने चेहरे की ज़रूरत थी जिसके लिए हर्ष देव सिंह फिट हैं.
 
JKNPP के नेताओं को भा रही AAP

ऐसा लग रहा है कि जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी का आम आदमी पार्टी में विलय हो रहा है. एक के बाद एक कई दिग्गज साथ छोड़ रहे हैं. बीते महीने पैंथर्स पार्टी के 2 विधायक यशपाल कुंडल और बलवंत मंकोटिया भी AAP में शामिल हुए थे. जहां यशपाल कुंडल पूर्व मंत्री रहे हैं वहीं बलवंत मंकोटिया, भीम सिंह के भतीजे हैं. 

क्या AAP का बढ़ रहा है क्रेज?

पंजाब विजय के बाद से ही आम आदमी पार्टी उत्साहित है. जम्मू-कश्मीर में भी इसी क्रेज को आम आदमी पार्टी भुनाना चाह रही है. मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य का फॉर्मूला आम आदमी पार्टी हर राज्य में ट्राइ करना चाहती है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही घाटी में बड़ा परिवर्तन आया है. सियासी फॉर्मूला भी बदला है. सिर्फ घाटी की राजनीतिक की जगह विकास की राजनीति पर भी चर्चा हो रही है. ऐसी स्थिति में AAP का नया फॉर्मूला असरदार भी हो सकता है.

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कब होंगे चुनाव?

जम्मू और कश्मीर अब पूर्ण राज्य नहीं रह गया है. केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट जारी हो चुकी है. अब यहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. जानकारों का मानना है कि अगर घाटी में स्थितियां सामान्य रहीं तो अक्टूबर तक चुनाव कराए जा सकते हैं. आखिरी बार कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे. 2018 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग कर दी गई थी. तब से 5 साल बीतने के बाद भी अब तक चुनाव नहीं कराए गए हैं. घाटी के लोग चुनाव आयोग की ओर उम्मीदभरी नजरों से देख रहे हैं.

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