UP Election: चुनावी रैलियों से दूर क्यों हैं Mayawati? BSP सुप्रीमो ने दिया जवाब

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 01, 2022, 01:31 PM IST

BSP Chief Mayawati (File Photo-PTI)

उत्तर प्रदेश में दूसरी राजनीतिक पार्टियां ताबड़तोड़ रैलियां कर रही हैं, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती रैलियों से दूर नजर आ रही हैं.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सियासी समर में राजनीतिक पार्टियों के नेता एक बाद एक ताबड़तोड़ रैलियां कर रही हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) से लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता यूपी चुनावों के लिए जनसभाएं कर रहे हैं, वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) चीफ मायावती (Mayawati) जनसभाओं से दूर नजर आ रही हैं. आज (1 जनवरी) को बसपा सुप्रीमो ने ताबड़तोड़ रैलियां करने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधा है.

विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की नेता मायावती के अब तक मैदान में न उतरने पर विपक्षी पार्टियां निशाना साध रही हैं. विपक्षी दलों के कटाक्ष पर जवाब देते हुए मायावती ने शनिवार को कहा कि चुनाव से पहले जो जनसभाएं की जा रही हैं, वह जनता के पैसे और सरकारी कर्मचारियों की भीड़ के बूते की जा रही हैं.

मायावती ने कहा कि बसपा की कार्यशैली और चुनाव के तौर-तरीके अलग हैं और हम किसी दूसरी पार्टी की नकल नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता के लोगों को ठंड में जो गर्मी चढ़ी है, वह सरकार के और गरीबों के खजाने की गर्मी है.

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हमारी पार्टी गरीबों-मजलूमों की पार्टी है, दूसरी पार्टियों की तरह धन्ना सेठों-पूंजीपतियों की पार्टी नहीं है. - बसपा सुप्रीमो मायावती

क्यों BJP पर भड़कीं मायावती?

30 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मुरादाबाद, अलीगढ़, उन्नाव में बीजेपी की जनविश्वास यात्रा के दौरान बसपा पर हमला करते हुए कहा था कि बहनजी (मायावती) की तो ठंड ही उतर नहीं रही. चुनाव आ गया है और वह प्रचार करने के लिए भी निकल नहीं रही हैं.

अमित शाह ने कहा था, 'लगता है, वह पहले ही हार से भयभीत हो गई हैं. उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा विकास नहीं कर सकती.'

बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा, 'जब भाजपा और कांग्रेस आदि केंद्र व जिन भी राज्यों की सत्ता में होती हैं तो ये पार्टियां केंद्र और संबंधित राज्यों में चुनाव घोषित होने से लगभग दो ढाई महीने पहले अपनी खूब ताबड़तोड़ हवा-हवाई घोषणायें, शिलान्यास, उदघाटन और लोकार्पण आदि करती हैं. उसकी आड़ में सरकारी खर्च से अपनी खूब चुनावी जनसभाएं भी करती हैं. जिस पर इनकी पार्टी का नहीं बल्कि हमारी आम जनता का ही सरकारी पैसा पानी की तरह काफी बेदर्दी से बहा दिया जाता हैं. इसमें आधी भीड़ सरकारी कर्मचारियों की और आधी भीड़ टिकट चाहने वालों की होती हैं. ये सब हमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब आदि में देखने को मिल रहा है.' 

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