UP Election 2022: अखिलेश, मुलायम और शिवपाल 5 साल बाद दिखे एक साथ, विरोधियों के लिए क्या है संदेश?

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डीएनए हिंदी: राजनीति में तस्वीरों के जरिए विपक्ष को संदेश देने का रिवाज है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) भी इस फन में माहिर हो गई है. उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण के मतदान से पहले अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा ने यही संदेश दिया है. सपा के गढ़ इटावा से अखिलेश यादव, पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव 5 साल से ज्यादा वक्त बीतने के बाद एक साथ नजर आए हैं. 

दिग्गज नेताओं की यह तिकड़ी का एक साथ आना अब दुर्लभ हो गया है. तीसरे चरण का मतदान 20 फरवरी को होने वाला है. गुरुवार को 5 साल बाद एकजुट होकर तीनों नेता सपा के प्रचार अभियान में नजर आए हैं. अखिलेश ने विरोधियों को यह साफ संदेश देने की कोशिश की है कि अब कुनबे का झगड़ा सुलझ गया है. सियासत संभल गई है.

चाचा शिवपाल के साथ अखिलेश यादव की तल्खियां जग-जाहिर हैं. अक्टूबर 2016 में आखिरी बार मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और शिवपाल यादव समाजवादी विकास रथ को हरी झंडी दिखाते नजर आए थे. यह आखिरी बार था जब तीनों सार्वजनिक रूप से आखिरी बार एक साथ नजर आए थे. गुरुवार को तीनों ने एक बार फिर साथ में चुनाव प्रचार किया. 

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क्या है मुलायम सिंह की अपील?

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए वोट मांगा. मुलायम सिंह ने वादा भी दोहराया कि उनकी पार्टी जन आकांक्षाओं को पूरा करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि लोग चाहते हैं कि गरीबी और बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो और इन मुद्दों पर उनकी पार्टी की नीतियां बिल्कुल स्पष्ट हैं. मुलायम सिंह यादव ने लोगों से अपील की है कि अखिलेश यादव को लोग जीत दिलाएं.

अखिलेश यादव करहल से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को अखिलेश यादव के साथ उतारा है. संयोग से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी गुरुवार को करीब तीन किलोमीटर दूर एक चुनावी रैली में बघेल के साथ इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग एक साथ प्रचार किया. सपा के गढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव को चुनाव प्रचार के लिए लाने पर भी निशाना साधा.

क्या बोले मुलायम सिंह?

मुलायम सिंह ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका समेत दुनिया के दूसरे देशों की नजर इन चुनावों में समाजवादी पार्टी पर है और अब भारत की जनता फैसला करेगी. लेकिन एक बात साफ है कि आपकी उम्मीदें समाजवादी पार्टी से पूरी होंगी. मुलायम सिंह ने कहा है कि जनता चाहती है कि गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान किया जाए. किसान के सामने खाद और बीज की समस्या है, पैदावार बढ़ाने की समस्या है. किसानों के पैदावार को बेचने का भी प्रबंध किया जाए.

 



उन्होने कहा कि समाजवादी पार्टी की नीतियां हैं कि हमारे किसान को प्राथमिकता दी जाए, उनके लिए खाद बीज का इंतजाम किया जाए और उनको सिंचाई का साधन उपलब्ध कराया जाए, जिससे पैदावार बढे़. पैदावार बढे़गी तो किसान की हालत सुधरेगी. इसी तरह हमारे पढे़ लिखे नौजवानों के लिए रोजगार और नौकरी का इंतजाम होना चाहिए, यह कोई सरकार नही कर रही हैं. मैं विश्वास दिलाता हूं कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तो नौजवानों के लिये रोजगार और नौकरी का इंतजाम किया जाएगा.

क्या भतीजे के साथ आना चाचा की है सियासी मजबूरी?

शिवपाल यादव भी अपने भाई मुलायम सिंह और भतीजे अखिलेश यादव के साथ प्रचार करते नजर आए. 2016 में, अखिलेश ने पारिवारिक विवाद की वजह से चाचा शिवपाल को समाजवादी पार्टी से बाहर निकाल दिया था. शिवपाल यादव राजनीतिक मंचों पर अखिलेश यादव के खिलाफ जमकर बोला. उन्होंने अपनी खुद की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का पॉलिटिकल डेब्यू फ्लॉप रहा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में एक भी सीट यह पार्टी हासिल नहीं कर सकी. शिवपाल यादव की पार्टी अब अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है.

अखिलेश और शिवपाल के बीच तकरार आधिकारिक रूप से बीते साल खत्म हुई. उन्होंने राज्य में बीजेपी सरकार को हटाने के लिए हाथ मिलाने का फैसला किया था. हालांकि इसके बाद से दोनों नेताओं को कभी भी साथ में स्टेज शेयर करते नहीं देखा गया. कभी सपा का गढ़ माने जाने वाले इटावा में अखिलेश यादव और शिवपाल दोनों ने न सिर्फ मंच साझा किया बल्कि एक-दूसरे को सम्मान भी दिया. अखिलेश यादव ने कहा कि चाचा (शिवपाल सिंह यादव) की वापसी आगामी विधानसभा चुनावों में हमारी ताकत को मजबूत करेगी और यूपी चुनाव में बीजेपी को हराने में हमारी मदद करेगी. सियासी जानकारों कहना है कि शिवपाल का अखिलेश के साथ आना मजबूरी भी है. अकेले उनकी पार्टी का भविष्य बहुत बेहतर नजर नहीं आ रहा है.
 

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