डीएनए हिंदी: चुनाव आयोग (Election Commission) ने राजनीतिक दलों को नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर एक बार फिर कड़ी नसीहत दी है. चुनाव आयोग ने कहा कि वह पांच राज्यों में पारदर्शी एवं निष्पक्ष विधानसभा चुनाव (Assembly Election) तय करने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी निगरानी रख रहा है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा (Sushil Chandra) ने उत्तर प्रदेश (UP), उत्तराखंड (Uttarakhand), गोवा (Goa), पंजाब (Punjab) और मणिपुर (Manipur) के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को यह तय करना चाहिए कि उनके समर्थक नफरत भरे भाषणों और फर्जी खबरों में लिप्त न हों.
चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि चुनाव का माहौल खराब न हो, इसके लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी नजर रखी जा रही है.
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चुनाव आयोग ने क्यों दिया यह निर्देश?
चुनाव आयोग की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब हरिद्वार का धर्म संसद चर्चा में है. हरिद्वार में एक धार्मिक सम्मेलन में नफरत वाले भाषणों को लेकर छिड़े उग्र विवाद की वजह से चुनाव आयोग ने ऐसा कहा है. सुशील चंद्रा ने कहा कि चुनाव के दौरान सभी प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार चैनलों पर चुनाव प्रबंधन से संबंधित सभी समाचारों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी.
आचार संहिता के उल्लंघन पर आयोग की नजर
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, 'अगर कोई अप्रिय घटना या किसी कानून, नियम का उल्लंघन पाया जाता है, तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी. निगरानी की रिपोर्ट संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) को भी भेजी जाएगी.'
चुनाव आयोग ने कहा है कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग और पेड न्यूज के खतरे की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रमुख सोशल मीडिया मंच मार्च 2019 में उनके द्वारा तैयार की गई स्वैच्छिक आचार संहिता का पालन करने के लिए सहमत हुए हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि यही नीतियां इन चुनावों के साथ-साथ अन्य चुनावों में भी लागू होंगी.
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