Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश जीतने के लिए किस प्लान पर काम कर रही है कांग्रेस?

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डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) पार्टी हिमचाल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सत्ता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रह है. 2017 में कांग्रेस सरकार की विदाई के बाद से ही सूबे में पार्टी की सियासत हाशिए पर है. कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रतिभा सिंह के भरोसे पार्टी सूबे में उड़ान भरेगी.

कांग्रेस अब शीर्ष नेतृत्व को मजबूती देने के लिए संगठन को मजबूत करने पर जोर दे रही है. यही वजह है कि हर्ष महाजन को कार्यकारी अध्यक्ष चुन लिया गया है लेकिन सिर्फ उन्हीं के चेहरे पर कांग्रेस सूबे में सियासत नहीं करने वाली है.

कांग्रेस ने सूबे में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किया है. हर्ष महाजन, वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं. कांग्रेस के पास सबसे बड़ी चुनौती है कि पार्टी के भीतर सियासी रार को कैसे खत्म किया जाए. प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर अंदरुनी कलह मची हुई है. कुछ नेता इस फैसले से नाराज हैं.

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हिमाचल में भी सियासी रार!

हिमाचल की राजनीति को समझने वाले कह रहे हैं कि प्रतिभा सिंह को कमान सौंपने के फैसले से प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू बहुत खुश नहीं हैं. सुखविंदर सुक्खू शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले से खुश नहीं हैं. इस बार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता का बंटवारा कर दिया है, जिससे हालात पंजाब और राजस्थान की तरह न होने पाएं. दोनों राज्यों में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपने फैसले से परेशान है. 

क्या है कांग्रेस की तैयारी?

कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या पार्टी के पार्टी के भीतर चल रही कलह है. कांग्रेस की चुनौती है कि किसी भी तरह से पार्टी के नेताओं को एकजुट रखा जाए जिससे चुनावों में स्थितियां बिगड़ने न पाएं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू के बीच प्रभुत्व की लड़ाई न शुरू होने पाए. कांग्रेस बैंलेस बनाने के लिए काम कर रही है.

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कहां कमजोर पड़ रही है कांग्रेस?

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व विधानसभा चुनावों को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी तीनों एक्टिव नजर नहीं आ रहे हैं. बीजेपी पहले दिन से ही चुनाव के लिए एक से बढ़कर रणनीति तैयार कर रही है वहीं इसी आक्रामकता की कमी कांग्रेस में दिख रही है. सियासी जानकार कहते हैं कि अगर इसी पर कांग्रेस फोकस करे तो स्थितियां सामान्य हो जाए.

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