क्यों BJP के सामने बेबस नजर आ रहीं विरोधी पार्टियां, मोदी मैजिक कितना असरदार?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Mar 12, 2022, 12:23 PM IST

PM Narendra Modi with JP Nadda (Photo Credit @PIB/twitter)

5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 4 राज्यों में जीत दर्ज की है. बीजेपी का फोकस अब गुजरात पर है.

डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की विजय यात्रा जारी है. 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2022) में बीजेपी ने 4 राज्यों में बड़ी जीत हासिल की है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है. दूसरी राजनीतिक पार्टियां अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) जैसी राजनीतिक पार्टियां हाशिये पर जाती दिख रही हैं. कभी सूबे की सबसे बड़ी राजनतिक पार्टियों में शुमार बसपा महज 1 सीट पर सिमट गई है. सपा लगातार चुनाव हार रही है. अखिर एंटी इनकंबेंसी जैसे फैक्टर भी क्यों मोदी मौजिक के आगे बेअसर हो रहे हैं?

'4 राज्य जीते, थके नहीं, अब गुजरात जीतने की तैयारी'

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता हमेशा चुनावी मोड में ही रहते हैं. चुनावी मिशन के लिए जितनी मेहनत एक बूथ स्तर का कार्यकर्ता करता है, उतनी ही मेहनत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी करते हैं. 5 राज्यों में दर्जनों चुनावी रैलियों के बाद पीएम मोदी गुजरात पहुंच गए हैं. शनिवार को पीएम गुजरात पहुंचे और चुनावी बिगुल फूंक दी. दूसरी राजनीतिक पार्टियां जहां जीत का गम या जश्न मनाती हैं, बीजेपी की रणनीति है कि लगातार जनता के बीच में रहा जाए.

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गुजरात की 182 सीटों पर कब होगा चुनाव?

गुजरात में अक्टूबर से नवंबर में चुनाव हो सकते हैं. गुजरात में बीते 26 साल से बीजेपी का शासन है. गुजरात में 182 सीटें हैं. विजय रूपाणी सीएम थे लेकिन उन्हें हटाकर भूपेंद्र पटेल को सत्ता सौंपी गई है. 1995 से ही बीजेपी यहां सत्ता संभाल रही है. बीजेपी के लिए गुजरात जीतने की चुनौती बनी हुई है. यहां अभी 99 सीटें बीजेपी के खाते में है. पीएम मोदी दूसरी राजनीतिक पार्टियों से बहुत पहले ही गुजरात पहुंच गए हैं. जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी अभी से चुनावी मोड में आ गए हैं.

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क्यों बेबस नजर आती हैं पार्टियां?

राजनीतिक पार्टियां यह साबित करने में लगातार फेल हो रही हैं कि वे जनता के साथ हैं. कोविड महामारी में सरकारी तंत्र पर तरह-तरह के सवाल खड़े हुए. लोगों की मौतें हुईं. गंगा में लाशें तैरती नजर आईं. लोग ऑक्सीजन के लिए कतार में लगे. राजनीतिक पार्टियों ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया. लॉकडाउन और रोजगार भी चुनावी मुद्दा बना. विपक्ष ने कई चुनावी मुद्दे ढूंढे लेकिन इन मुद्दों को जनता ने खारिज कर दिया.

सियासत मुद्दों पर होती है. विपक्ष के हर तिलिस्म को बीजेपी तोड़ती चली गई. राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी जनता को साधने वाली पार्टी है. विरोधी दल चुनाव के वक्त जमीन पर नजर आते हैं. बीजेपी सत्ता में रहने के बाद भी जनता के संपर्क में बनी रहती है. जनता को दूसरी राजनीतिक पार्टियों की अवसरवादिता रास नहीं आई. यही वजह है कि 4 राज्यों में नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए.


योजनाओं को जमीन पर लाने में असरदार रही BJP, विपक्ष पर जनता को भरोसा कम!
 
बीजेपी सरकारी योजनाओं को जमीन पर लाने के लिए मेहनत करने वाली पार्टी साबित हुई है. मुफ्त राशन से लेकर उज्ज्वला योजना तक का सीधा लाभ लोगों को मिल रहा है. प्रधानमंत्री किसान निधि योजना ने भी लोगों को उम्मीद को पूरा किया. प्रधानमंत्री आवाज योजना, डीबीटी ट्रांसफर स्कीम जैसे मुद्दों ने जनता का ध्यान खींचा. मनरेगा के तहत महामारी में भी लोगों को रोजगार मिला. ग्रामीण और शहरी योजनाओं ने सत्ता विरोधी लहर को 4 राज्यों में उठने ही नहीं दिया. बीजेपी की लगातार जीत का यही कारण है. दूसरी राजनीतिक पार्टियां यह यकीन दिलाने में फेल रहीं कि वे बीजेपी से बेहतर सुविधाएं जनता को मुहैया करा सकती हैं.

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