डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति में एक बार फिर दल-बदल का दौर शुरू हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता और विधायक पार्टी और इस्तीफा देकर जा रहे हैं. बीजेपी के 3 दिग्गज मंत्रियों ने 4 दिन के अंदर इस्तीफा दिया है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि बीजेपी से नाराज होकर स्वामी प्रसाद मौर्य कुछ विधायकों के साथ समाजवादी पार्टी (SP) में आज शामिल हो सकते हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य योगी सरकार में श्रम, सेवायोजन और समन्वय मंत्री का कार्यभार संभाल रहे थे. स्वामी प्रसाद मौर्य की गितनी बीजेपी के दिग्गज ओबीसी नेताओं में होती रही है. वे 5 बार लगातार विधायक रह चुके हैं. सैनी, मौर्य, शाक्य और कुशवाहा समाज पर स्वामी प्रसाद मौर्य की मजबूत पकड़ मानी जाती है.
यूपी की सियासत में मौर्य और कुशवाहा जातियों का बड़ा असर देखने को मिलता है. अवध क्षेत्र में इस समुदाय की एक बड़ी आबादी रहती है. पूर्वांचल की कई विधानसभा सीटों पर स्वामी प्रसाद मौर्य का दबदबा है. बीजेपी के लिए उनका जाना एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है. लगातार एक के बाद एक इस्तीफे के बाद बीजेपी पर दबाव का बढ़ना तय है.
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कितनी सीटों पर पड़ सकता है असर?
स्वामी प्रसाद मौर्य की सियासी पकड़ कुशीनगर, रायबरेली, शाहजहांपुर और बदायूं तक है. यूपी की सियासत में मौर्य, कुर्मी और यादव तीन जातियां ऐसी हैं जिनकी बड़ी भूमिका होती है. मौर्य समाज तीसरी सबसे बड़ी आबादी है. ऐसे में चुनावी सियासत पर स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने से बीजेपी पर असर पड़ सकता है. जानकारों का कहना है कि यूपी में मौर्य समाज की आबादी करीब 6 फीसदी है.
और किन सीटों पर पड़ सकता है असर?
6 फीसदी आबादी एक बड़ी आबादी कही जाती है. ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने से अयोध्या, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, कुशीनगर, आजमगढ़ और प्रतापगढ़ जैसे जिलों में भी इसका असर पड़ सकता है. जानकारों का यह भी मानना है कि 100 विधानसभा सीटों पर मौर्य समाज के वोटर अच्छी आबादी में हैं. ऐसे में इस्तीफे का असर बड़े स्तर पर देखने को मिल सकता है.
BJP से हाल के दिनों में जता चुके हैं नाराजगी
बीजेपी स्वामी प्रसाद मौर्य के सियासी मूड को भांपने में असफल रही. ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें मनाने की कोशिश नहीं की गई हो. स्वामी प्रसाद मौर्य और दूसरे जितने मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है सबकी सियासी भाषा एक सी रही है. सबका कहना है कि योगी सरकार में दलित और ओबीसी समाज को सम्मान नहीं मिल रहा है. ऐसे में लगातार एक के बाद एक इस्तीफे बीजेपी सरकार की टेंशन बढ़ा सकते हैं.
कैसे बढ़ी बीजेपी से नाराजगी?
साल 2021 के नवंबर महीने में बीजेपी ने साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में मौर्य, शाक्य, सैनी सम्मेलन का आयोजन किया था. समाज के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की पोस्ट से गायब कर दिया गया था. सम्मेलन के मंच पर स्वामी प्रसाद मौर्य की तस्वीर नहीं नजर आई. स्वामी प्रसाद की बेटी और बदायूं से बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य को यह बात नागवार गुजरी. उन्होंने आपत्ति दर्ज भी कराई. खुद स्वामी प्रसाद मौर्य भी सियासी तल्खी में रहे लेकिन बीजेपी के आलाकमान ने इसे नजरअंदाज कर दिया. यह स्वामी को रास नहीं आया. उनके बयान यह बार-बार इशारा करते रहे कि बीजेपी में सब ठीक नहीं है.
खुद को नेवला क्यों बता रहे हैं स्वामी?
भारतीय जनता पार्टी में रहने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का गुणगान करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य अब उन्हें यूपी की सियासत से हटाना चाह रहे हैं. उन्होंने गुरुवार को एक ट्वीट किया जिसमें लिखा, 'नाग रूपी आरएसएस एवं सांप रूपी भाजपा को स्वामी रूपी नेवला यू.पी. से खत्म करके ही दम लेगा.' संघ को नाग और बीजेपी को सांप बताने वाले मौर्या खुद नाग बन बैठे हैं. ऐसे में उनके सियासी मूड को भांपना बेहद आसान हो गया है कि वे बीजेपी में और दिन नहीं रहेंगे. अब सपा के साथ मिलकर बीजेपी से लड़ाई लड़ेंगे.
योगी सरकार में शुरू इस्तीफों का दौर
योगी सरकार में एक के बाद एक लगातार इस्तीफों की लड़ी लगी है. श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और वन मंत्री दारा सिंह चौहान के बाद राज्य सरकार के आयुष खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन मंत्री धर्मसिंह सैनी ने भी गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने वाले सभी मंत्रियों की एक ही भाषा नजर आई कि दलितों, पिछड़ों, किसानों, शिक्षित बेरोजगारों, छोटे एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों के प्रति लगातार उपेक्षात्मक रवैये के कारण वह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहे हैं. बीजेपी से 8 विधायक, 3 मंत्री और एक सहयोगी पार्टी के विधायक भी इस्तीफा दे चुके हैं. शोहरतगढ़ विधानसभा सीट से विधायक चौधरी अमर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. अमर सिंह अपना दल-सोनेलाल से विधायक थे. लगातार इस्तीफे बीजेपी सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं.
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