डीएनए हिंदी: एटा विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. 90 के दशक से इस सीट पर सपा और भाजपा के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में एटा विधानसभा सीट में कुल 40.92 प्रतिशत वोट डाले गए थे. इसके अलावा यहां का चुनावी इतिहास गवाह है कि यहां हमेशा बड़ी पार्टियां ही जीतीं हैं.
कैसा रहा है राजनीतिक इतिहास?
साल 1952 में एटा विधानसभा सीट पर पहला चुनाव हुआ था जिसमे कांग्रेस के होतीलाल दास ने जीत हासिल की. इसके बाद गंगा प्रसाद ने 1957 से लगातार छह चुनाव जीते. खास बात यह रही कि उन्होंने हर बार पार्टी बदली. पहली बार वह निर्दलीय जीते थे. इसके बाद अखिल भारतीय हिंदू महासभा, स्वतंत्र पार्टी, कांग्रेस, कांग्रेस (O) और जनता पार्टी से विधानसभा पहुंचे. उनकी जीत का सिलसिला 1980 में कांग्रेस के कैलास चंद्र ने तोड़ा. अगले दो चुनाव लोकदल और जनता दल से पीतम सिंह जीते.
इसके बाद 1991 और 1993 में भाजपा ने इस सीट पर अपनी जीत दर्ज की. 1996 और 1998 में समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर कब्जा किया. 2007 में भाजपा ने जीत दर्ज की तो 2012 में फिर सपा ने अपना परचम लहराया. 2017 में भाजपा ने फिर वापसी की. अब देखना दिलचस्प होगा कि 2022 में सपा और भाजपा के बीच चल रही वर्चस्व की जंग का नतीजा क्या होगा.
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2017 का रिपोर्ट कार्ड विजेता पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
विजेता का नाम | विपिन कुमार डेविड |
प्राप्त वोट | 82516 |
निकटतम प्रतिद्वंद्वी | जुगेंद्र सिंह यादव |
पार्टी | सपा |
हार का अंतर | 21129 |
क्या है इस बार का हाल?
इस बार की बात करें तो एटा विधानसभा सीट पर इस बार भी भाजपा के विपिन वर्मा डेविड और सपा के जुगेंद्र सिंह यादव में सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है. वहीं से कांग्रेस से गुंजन मिश्रा मैदान में हैं.
सामाजिक समीकरण
एटा विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा यादव करीब 65 हजार इसके बाद दलित और वैश्य 45-45 हजार, लोधी 35 और ब्राह्मण वोटर करीब 30 हजार हैं.