Updated: Mar 10, 2022, 08:34 AM IST
डीएनए हिंदी: पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों (Assembly Election Results) के नतीजे आज साफ हो जाएंगे. इन चुनावों में भले ही किसी भी पार्टी की जीत क्यों न हो, उसका असर पूरे देश और उसकी राजनीति पर पड़ेगा. नतीजे तय करेंगे कि भाजपा (BJP) की बादशाहत कायम है या कांग्रेस (Congress) सहित दूसरे दल उसे प्रभावित करने में कामयाब रहे हैं. कांग्रेस का तो पूरा भविष्य इन परिणामों पर टिका हुआ है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इन चुनावों के परिणामों का असर कहां और कितना होगा.
राज्यसभा में बदलेगी तस्वीर
चुनावी परिणामों, खासकर यूपी के नतीजों का असर राज्यसभा में भी देखने को मिलेगा. राज्यसभा की 245 सीटों में से 8 सीटें खाली हैं. BJP के पास अभी 97 सीटें हैं और उसके सहयोगियों को मिलाकर ये संख्या 114 पहुंच जाती है. इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक राज्यसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव होना है, जिसमें यूपी के साथ-साथ असम, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखंड और पंजाब भी शामिल है. यूपी की 11 सीटें, उत्तराखंड की एक सीट और पंजाब की दो सीटों के लिए वोट जुलाई में डाले जाने हैं. इससे स्पष्ट है कि इन तीनों राज्यों में चुनावी नतीजे सीधे राज्यसभा के समीकरण को प्रभावित करेंगे.
राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ेगा असर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, BJP राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े से पहले भी दूर थी. ऐसे में यदि 5 राज्यों के नतीजे उसके लिए पहले से अच्छे नहीं रहे, तो आने वाले दिनों में वो बहुमत से और दूर हो जाएंगे. इसका सीधा असर राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) पर भी पैड सकता है. बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव इस साल जुलाई में होना है. राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष मतदान से होता है. यानी जनता की जगह जनता के चुने हुए प्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं. राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचन मंडल या इलेक्टोरल कॉलेज करता है. इसमें संसद के दोनों सदनों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं.
कैसे तय होता है वोट का वेटेज?
राष्ट्रपति चुनाव में अपनाई जाने वाली आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के हिसाब से प्रत्येक वोट का अपना वेटेज होता है. सांसदों के वोट का वेटेज निश्चित है लेकिन विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का वेटेज 208 है, तो सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का वेटेज महज सात. प्रत्येक सांसद के वोट का वेटेज 708 है. यही वजह है कि पांच राज्यों के नतीजों पर सबकी निगाह टिकी हुई है. देश में कुल 776 सांसद हैं और उनके वोट का वेटेज है - 5,49,408. इसी तरह, विधायकों की संख्या 4120 है. इन सभी विधायकों का सामूहिक वोट है, 5,49,474. इस तरह से इस प्रकार राष्ट्रपति चुनाव में कुल वोट हुए 10,98,882. एक्सपर्ट्स के अनुसार, 5 राज्यों के चुनावी नतीजे ये तय करेंगे की बीजेपी आसानी से अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार को जीता पाती है या नहीं. अगर भाजपा उत्तर प्रदेश में तुलनात्मक रूप से 2017 से अच्छा नहीं कर पाती है, तो राष्ट्रपति चुनाव का गणित बिगड़ जाएगा.
कांग्रेस और राहुल-प्रियंका पर असर
5 राज्यों के नतीजे कांग्रेस के साथ-साथ राहुल और प्रियंका गांधी (Rahul & Priyanka Gandhi) के लिए काफी अहमियत रखते हैं. पंजाब में दलित मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ कांग्रेस मैदान में उतरी है, इसमें राहुल गांधी ने मुख्य किरदार निभाया है. ऐसे में यदि पंजाब में कांग्रेस हारती है तो राहुल गांधी की बहुत किरकिरी होगी. प्रियंका गांधी ने भी जनता को कांग्रेस की तरफ मोड़ने के लिए काफी कोशिश की है. लिहाजा, अगर परिणाम कांग्रेस के अनुरूप नहीं होते हैं, तो प्रियंका को भी व्यक्तिगत तौर पर नुकसान उठाना पड़ेगा. राजनीति के जानकार मानते हैं कि नतीजे खराब रहने की सूरत में कांग्रेस में कई फाड़ हो सकते हैं और उससे कई क्षेत्रीय दल बन सकते हैं.
ब्रैंड मोदी-योगी भी होगा प्रभावित?
खासतौर पर उत्तर प्रदेश के नतीजों का असर ब्रैंड मोदी-योगी (Brand Modi-Yogi) पर भी होगा. यूपी जीतने पर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दबदबा बढ़ेगा. वहीं, यह भी साबित हो जाएगा कि PM मोदी की लोकप्रियता अब भी बरकरार है. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो ब्रैंड मोदी-योगी प्रभावित होगा. कुछ जानकारों के अनुसार, कयास लगाए जा रहे हैं कि BJP नेताओं की वरीयता सूची योगी में आदित्यनाथ अभी पांचवें पायदान पर हैं. अगर वो जीत जाते हैं तो नंबर दो बन सकते हैं. लेकिन अगर हार जाते हैं, तो उनके लिए सभी समीकरण बदल जाएंगे. इन चुनावी नतीजों का असर बीजेपी की केंद्र सरकार के फैसलों पर भी पड़ेगा. अगर बीजेपी का प्रदर्शन पहले के मुकाबले अच्छा ना रहा, तो आगे केंद्र सरकार को फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे.
नतीजों से ‘आप’ की बदलेगी सूरत
वहीं, अगर आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में सरकार बना लेती है, तो वो राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल कर पाएगी. एग्जिट पोल में पंजाब में आप को अच्छी स्थिति में दिखाया गया है. अरविंद केजरीवाल काफी समय से प्रयास कर रहे हैं कि पार्टी को क्षेत्रीय स्तर से निकालकर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया जाए. यदि परिणाम एग्जिट पोल से ज्यादा अलग नहीं होते, तो उनका ये प्रयास सफल हो सकता है. इसलिए केजरीवाल के लिए भी चुनावी नतीजे बेहद महत्वपूर्ण हैं.
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