Assembly Elections 2022: प्रशांत किशोर क्यों नहीं हुए कांग्रेस में शामिल, प्रियंका गांधी ने बताई वजह

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 22, 2022, 11:40 AM IST

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (फाइल फोटो- फेसबुक)

पिछले साल प्रशांत किशोर ने की थीं सोनिया गांधी, राहुल गांधी औऱ प्रियंका से कई मुलाकातें.

डीएनए हिंदी: पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर हर दिन नए नामों की चर्चा सामने आ रही है. इसी कड़ी में प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर भी अब बात साफ हो गई है. हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (priyanka gandhi) ने खुद इस मामले में चुप्पी तोड़ी.

प्रियंका गांधी ने माना कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor)के पिछले साल कांग्रेस (congress) में शामिल होने की संभावना थी, लेकिन यह हो नहीं पाई. उन्‍होंने एनडीटीवी को बताया कि इसके पीछे कई कारण थे. उन्‍होंने कहा कि इनमें से कुछ कारण जहां हमारी तरफ से थे, वहीं कुछ प्रशांत किशोर के खुद की तरफ से थे. इन कारणों की वजह से सहमति नहीं बन पाई और प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाए.

प्रियंका गांधी ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि इसका कांग्रेस में किसी बाहरी व्‍यक्ति को लाने की अनिच्‍छा से कोई लेना-देना नहीं है. उन्‍होंने कहा कि 'अगर अनिच्‍छा होती तो इतनी चर्चाएं नहीं होतीं.'  बताया जाता है कि पिछले साल प्रशांत किशोर की कई स्तरों पर कई बार सोनिया गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से कई मुलाकातें हुईं थीं. 

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जब प्रशांत किशोर की तरफ से कई बार कांग्रेस पर हमला बोला गया, तब ये चर्चाएं और तेज हुईं थी कि प्रशांत कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं. उन्होंने एक बार सार्वजनिक तौर पर यहां तक कहा था कि कांग्रेस का नेतृत्व एक विशेष व्यक्ति का ही दैवीय हक नहीं है. जब पार्टी पिछले 10 सालों में अपने 90% चुनाव हार चुकी हो, तब विपक्ष के नेतृत्व का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होने देना चाहिए. सोशल मीडिया पर एक सवाल-जवाब के दौरान प्रशांत किशोर ने यहां तक कहा था कि आने वाले वर्षों में बीजेपी, भारतीय राजनीति के केंद्र में बनी रहेगी चाहे वह जीते या चाहे हारे. ठीक उसी तरह जैसी स्थिति आजादी के बाद शुरुआती 40 वर्षों में कांग्रेस के लिए थी. 

इससे पहले प्रशांत किशोर का 2017 के यूपी चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ सहयोग बुरी तरह विफल रहा था. अखिलेश यादव-कांग्रेस गठबंधन को पछाड़कर भाजपा सत्ता में आ गई थी. हालांकि कांग्रेस ने पंजाब में जीत हासिल की थी, जहां अमरिंदर सिंह को प्रशांत किशोर की मदद मिली थी.

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