डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में ओबीसी नेताओं के पलायन के बीच, भाजपा (BJP) ने पार्टी छोड़ने वाले नेताओं के प्रभाव को कम करने के लिए और समुदाय तक पहुंचने के लिए सामाजिक संपर्क अभियान शुरू किया है.
उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई ने पिछले कुछ दिनों में कई बार दलबदल देखा है जिसकी शुरुआत मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से हुई है और उनमें से ज्यादातर ओबीसी समुदाय से हैं.
इस बारे में बात करते हुए प्रदेश भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप ने कहा कि 14 जनवरी से पार्टी के नेता राज्य के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़े समुदायों तक पहुंचेंगे और लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में पिछले सात सालों में भाजपा सरकार द्वारा किए गए कल्याणकारी उपायों के बारे में बताएंगे.
कश्यप के अनुसार, मोर्चा से जुड़े नेता राज्य भर के समुदाय के सदस्यों और राज्य में मोदी और योगी आदित्यनाथ सरकार के तहत किए गए कल्याणकारी उपायों तक पहुंचेंगे. कश्यप ने कहा, छोटे समूहों में हमारे कार्यकर्ता सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी समुदाय के सदस्यों से मिलते हैं और उन्हें ओबीसी श्रेणी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और अखिल भारतीय कोटा योजना में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए पीजी मेडिकल/ डेंटल कोर्स चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर में 10 प्रतिशत आरक्षण जैसी पहलों के बारे में बताते हैं.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है, 127वां संविधान संशोधन पारित किया है जिसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पिछड़े वर्गों की अपनी सूची तैयार करने की अनुमति दी है और उनकी सरकार के लिए 27 ओबीसी मंत्रियों को चुना है.
कश्यप ने कहा, भाजपा ओबीसी मोर्चा के कार्यकर्ता समुदाय के सदस्यों को बताएंगे कि कैसे अन्य राजनीतिक दलों ने उन्हें धोखा दिया है और उन्हें केवल वोट बैंक के रूप में माना है. यह मोदी सरकार है जिसने उनके कल्याण के लिए काम किया है.
ओबीसी वर्ग उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका निभाता है और राज्य के कुल मतदाताओं का 50 प्रतिशत से अधिक है. जबकि गैर-यादव ओबीसी राज्य के कुल मतदाताओं का लगभग 35 प्रतिशत हैं, वे लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने के लिए तैयार हैं.
(इनपुट- आईएएनएस)