कैसे UP में अजेय बन गए योगी आदित्यनाथ, क्यों मोदी मैजिक के आगे बेबस हुआ विपक्ष?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Mar 11, 2022, 10:39 PM IST

PM Narendra Modi and CM Yogi Adityanath (Photo Credit @BJP/twitter)

यूपी में योगी-मोदी की लहर में एक बार फिर कमल खिला है. कई पार्टियां राजनीतिक तौर पिछड़ गई हैं. कुछ पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सियासी रण में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का जादू ऐसा चला कि एक बार फिर विपक्ष धराशायी हो गया. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रचंड बहुमत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मोदी मैजिक के आगे जातीय समीकरण ध्वस्त हो गए हैं.

एक वक्त था जब कहा जाता था कि सूबे में जातियों के अलग-अलग क्षत्रप हैं, जिनके इशारे पर एक बड़ा तबका वोट करता है. सारे समीकरण ऐसे ध्वस्त हुए कि बीएसपी जैसी पार्टी महज 1 सीट पर समिट गई. आइए समझते हैं कि कैसे योगी मैजिक के आगे राजनीतिक पार्टियों की सोशल इंजीनियरिंग भी बिखर गई.

हिंदुत्व के आगे ध्वस्त जातीय तिलिस्म

जातियों के समीकरण मोदी-योगी मैजिक में पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति पर खुलकर खेलने वाली पार्टी रही है. बीजेपी की योजनाओं में भी इसकी झलक मिलती है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखने की बात हो या काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर की खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के पोस्टर बॉय हैं. सीएम योगी अखिलेश यादव पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हैं. चुनावों के दौरान अब्बा जान, अली बनाम बजरंग बली, 80 बनाम 20 और टीपू सुल्तान जैसे राजनीतिक उक्तियां गढ़ी गईं. हिंदू वोटरों को यह समझाने में टीम बीजेपी कामयाब रही कि अखिलेश यादव जातीय और धार्मिक तुष्टीकरण करेंगे. चुनावी नतीजों में इसका असर भी नजर आया.


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मजबूत कार्यकर्ताओं ने बदला चुनावी नतीजा

कार्यकर्ता किसी भी पार्टी के मजबूत स्तंभ होते हैं. कांग्रेस और बसपा के कैडर उनसे दूर हो गए. प्रियंका गांधी ने कोशिश भी की लेकिन मायावती ने कार्यकर्ताओं पर ध्यान ही नहीं दिया. सपा ने अपनी चुनावी रैलियों में भीड़ तो जुटाई लेकिन वफादार कैडर बनाने में फेल कर गई. बीजेपी ने लॉकडाउन में डोर-टू-डोर कैंपेनिंग पर ध्यान दिया. पूरी केंद्रीय कैबिनेट यूपी की गलियों में उतर गई. बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग को भी मजबूत करने की कोशिश की. बूथ स्तर पर जबरदस्त रणनीति तैयार की. बीजेपी को चुनावी कैंपेन में इसी का फायदा मिला.

विरोधियों ने ही BJP को दे दी बढ़त!

कांग्रेस की लड़ाई बीजेपी से थी. बसपा की लड़ाई बीजेपी से थी. सपा की लड़ाई भी बीजेपी से थी. संदेश यह गया कि सारी पार्टियां अलग-अलग लड़कर बीजेपी को ही शिकस्त देनी चाहती हैं. बीजेपी खुद-ब-खुद सबसे दिग्गज पार्टी बन गई. साल 2017 के विधानसभा चुनावी नतीजों से सपा का प्रदर्शन बहुत बेहतर है. सपा ने 47 से 114 सीटों का सफर कर लिया है. कई स्तर की चुनौतियों के बाद भी बीजेपी को हराने में न तो कांग्रेसी सफल हुए, न बसपाई और न ही सपाई. योगी ने प्रचंड जीत हासिल की. बीजेपी के लिए यह जीत बहुत बड़ी है.


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केंद्र-राज्य की योजनाओं ने भी किया कमाल

हर सत्तारूढ़ सरकार, सत्ता विरोधी लहर का सामना करती है. कोविड महामारी में अव्यवस्था, ऑक्सीजन की किल्लत और अंतहीन लाशों की ढेर के बाद भी जनता का भरोसा योगी सरकार बना रहा. लोगों को लगा कि महामारी प्राकृतिक आपदा है, जिससे निपटने में दुनिया की सारी सरकारें फेल हुई हैं. सरकार ने लॉकडाउन और महामारी के दौरान फ्री राशन स्कीम पर काम किया. जरूरतमंदों तक मुफ्त राशन पहुंचा. प्रधानमंत्री किसान निधि योजना ने भी लोगों को उम्मीद को पूरा किया. प्रधानमंत्री आवाज योजना, डीबीटी ट्रांसफर स्कीम जैसे मुद्दों ने जनता का ध्यान खींचा. मनरेगा के तहत महामारी में भी लोगों को रोजगार मिला. ग्रामीण और शहरी योजनाओं ने सत्ता विरोधी लहर को उठने ही नहीं दिया. सीएम योगी की जीत की यह भी एक बड़ी वजह रही.

कानून व्यवस्था, बुलडोजर और माफिया राज पर योगी का कंट्रोल!

भारतीय जनता पार्टी यह नैरेटिव गढ़ने में कामयाब रही कि 2012 की अखिलेश यादव सरकार ने माफियाओं को संरक्षण दिया था. सपा सरकार के दौरान सांप्रदायिक दंगे भड़के. कानून व्यवस्था को लेकर सपा सरकार हमेशा आलोचनाओं के केंद्र में रही. योगी सरकार ने माफियाओं के अवैध ढांचे गिराए. शायद ही कोई ऐसा गैंग्स्टर या माफिया हो जो सलाखों के पीछे न पहुंचा हो या जिसकी अवैध इमारतें न ढहाई गई हों. बीजेपी नेताओं ने लगातार राजनीतिक जनसभाओं में दोहराया कि योगी राज में क्राइम रेट कम हुई है. रेप के मामले कम हुए हैं. योगी सरकार एनकाउंट को भी चुनावी मुद्दा बनाने में कामयाब हुई है. बीजेपी की सधी हुई रणनीति ने ऐसा काम किया कि विपक्ष और विरोधियों की सारी रणनीति, धरी की धरी रह गई. जातीय तिलिस्म टूट गए और बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने में कामयाब हो गई.

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