डीएनए हिंदी: अलीगढ़ विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला है. पूरे राज्य में इस सीट के चुनाव नतीजों पर चर्चा होती ही है. इस बार यहां से बीजेपी, कांग्रेस, एसपी-गठबंधन और बीएसपी मैदान में हैं. मुस्लिम बहुल आबादी होने की वजह से चुनाव में विकास, अल्पसंख्यकों से लेकर हिंदुत्व का भी मुद्दा छाया हुआ है.
2017 में बीजेपी के खाते में गई थी सीट
यूपी चुनावों में अलीगढ़ की सीट हमेशा चर्चा में रहती है. 2017 के चुनावों में अलीगढ़ विधानसभा की सीट बीजेपी के खाते में गई थी. इतना ही नहीं अलीगढ़ के अंतर्गत आने वाली छर्रा, कोल, खैर, बरौली, अतरौली, इगलास में भी भगवा पार्टी ने जीत दर्ज की थी. यह जीत इस लिहाज से महत्वपूर्ण रही थी क्योंकि 2012 में बीजेपी को यहां से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. 2017 चुनावों से पहले तक इस इलाके को एसपी-आरएलडी के मजबूत गढ़ के तौर पर देखा जाता था.
2017 में अलीगढ़ का ऐसा रहा था हाल:
पार्टी | प्रत्याशी | कुल वोट | वोट प्रतिशत |
बीजेपी | संजीव राजा | 113752 | 46.22% |
एसपी | जफर आलम | 98312 | 39.95% |
बीएसपी | मोहम्मद आरिफ | 25704 | 10.44% |
बीजेपी ने बदल दिया है उम्मीदवार
इस बार बीजेपी ने उम्मीदवार ही बदल दिया है. मौजूदा विधायक संजीव राजा की जगह पर मुक्ता राजा को टिकट दिया है. वहीं आम आदमी पार्टी ने मोनिका थापर, बहुजन समाज पार्टी ने रजिया खान, कांग्रेस ने सलमान इम्तियाज और समाजवादी पार्टी ने जफर आलम को अलीगढ़ सीट से टिकट दिया है. एसपी-आरलएडी गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई है. जफर आलम यहां से विधायक भी रह चुके हैं और इलाके में उनकी सक्रियता रही है.
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अलीगढ़ में इस बार भी हिंदुत्व है बड़ा मुद्दा
अलीगढ़ में 2017 के चुनावों में बीजेपी ने हिंदुत्व के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. मुस्लिम बहुल इलाका होने के बाद भी बीजेपी को इस सीट से जीत मिली थी. इस बार के चुनावों में भी अलीगढ़ में हिंदुत्व का मुद्दा अहम है. इसके अलावा, पूर्व की सरकारों में इलाके में होने वाली छिनैती, अपराध की घटनाएं और अब कानून-व्यवस्था की स्थिति भी लोगों के लिए अहम मुद्दा है.