डीएनए हिंदी: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, दिवाली मनाने की शुरुआत कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर पूरे देश में चर्चा पिछले कुछ समय से हो रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ के भी यहां से इस बार चुनाव लड़ने की अटकलें थीं. इन चुनावों में देखना है कि इस बार यहां से बीजेपी का परचम लहराता है या बाजी पलटती है.
पिछले चुनावों में बीजेपी को मिली थी सफलता
2012 के चुनावों में समाजवादी पार्टी को सफलता मिली थी लेकिन उससे पहले 5 चुनावों में लगातार बीजेपी के लल्लू सिंह विधायक बने थे. 2017 के चुनावों में बीजेपी ने वेद प्रकाश गुप्ता पर भरोसा दिखाया था और गुप्ता ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने सपा के पवन पांडेय को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.
पार्टी | प्रत्याशी | वोट | वोट% |
बीजेपी | वेद प्रकाश गुप्ता | 107014 | 49.20% |
एसपी | तेज नारायण (पवन पांडेय) | 56574 | 26.01% |
बीएसपी | मो. बाजमी सिद्दीकी | 39554 | 18.19% |
राम का नाम पड़ेगा सब पर भारी?
अयोध्या की आबादी यूं तो मिली-जुली है और यहां हर जाति और पिछड़ा वर्गों की अच्छी तादाद है. इसके बावजूद इस बार माना जा रहा है कि राम मंदिर और भव्य दिवाली मनाने की परंपरा का असर हर जाति और वर्ग पर दिख सकता है. इस मुद्दे से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं. 10 मार्च को चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि राम के नाम पर जनता फैसला देती है या जाति का आधार ही हावी रहेगा.
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इस बार चौतरफा मुकाबला है
अयोध्या में इस बार मुकाबला चौतरफा है. एसपी ने पवन पांडेय को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने मौजूदा विधायक वेद प्रकाश पर ही भरोसा जताया है. इसके अलावा, कांग्रेस और बीएसपी भी मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया है.
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