डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश की राजनीति में सभी विपक्षी दल योगी सरकार पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के अपमान की बात कर हमला बोलते रहते हैं लेकिन UP Election 2022 से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) का पार्टी छोड़ना केशव मौर्य के लिए ‘आपदा में अवसर’ वाली स्थिति हो गई है. बीजेपी ने पिछड़े समाज साधने से लेकर नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी केशव प्रसाद मौर्य पर ही छोड़ दी है. ऐसे में यदि बीजेपी को फायदा होता है तो वो एक स्टार के रूप में उभर सकते हैं.
केशव प्रसाद मौर्य को दी जिम्मेदारी
भाजपा उत्तर प्रदेश में ओबीसी और पिछड़े समाज के वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही थी लेकिन UP Election 2022 से ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे ने सारा जातीय गणित बिगाड़ दिया है. ऐसे गृहमंत्री अमित शाह ने सभी नाराज विधायकों और नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी केशव प्रसाद मौर्य को ही दी गई है. ऐसे में पार्टी में अब उनका रोल काफी अहम हो गया है. यही कारण है कि नेताओं के पार्टी छोड़ने पर सबसे पहली प्रतिक्रिया केशव प्रसाद मौर्य की आ रही है.
साल 2017 में भी था महत्वपूर्ण रोल
गौरतलब है कि साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को जीत दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही थी. उन्होंने बूथ स्तर पर अलग-अलग समाज के लोगों को जोड़ने का प्लान बनाया था. यही कारण है कि केशव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार भी माना जा रहा था. हालांकि आलाकमान ने हिंदुत्व का कार्ड खेलते हुए उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया था.
बढ़ेगी केशव की ताकत
स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने के बाद भाजपा केशव प्रसाद मौर्य के जरिए राज्य में बिगड़े जातीय समीकरणों को बनाने की कोशिशों में जुट गई है. ऐसे में टिकट बंटवारे में केशव प्रसाद मौर्य की स्वीकार्यता बढ़ सकती है. वही संगठन तक में उनकी मजबूत पकड़ फिर से लौट सकती है. ऐसे में यदि भाजपा इन चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल होती है तो निश्चित है कि नई सरकार में केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक कद बड़ा होगा.