UP Election 2022: मुस्लिम वोटों का गणित बिगाड़ सकता है विपक्ष का टकराव, क्या भाजपा को होगा फायदा?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 15, 2022, 08:18 AM IST

UP Election 2022 के लिए जारी कांग्रेस सपा और रालोद के प्रत्याशियों की लिस्ट संकेत है कि विपक्ष दलों में मुस्लिम वोट बिखर सकता है.

डीएनए हिंदी: UP Election 2022 के लिए राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट निकालनी शुरू कर दी है. सपा (SP), रालोद (RLD) से लेकर कांग्रेस (Congress) ने जहां प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है तो वहीं संभावनाएं हैं कि भाजपा (BJP) आज अपनी लिस्ट जारी कर सकती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि सपा आरएलडी और कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर भी बड़ा दांव खेला है जो कि राजनीतिक रूप से एक गेम चेंजर हो सकता है और इस खेल में मुस्लिम समाज का वोट बंट सकता है. 

सपा-रालोद गठबंधन में मुस्लिमों को महत्व

दरअसल, UP Election 2022 में सत्ता हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन ने पश्चिमी यूपी में मुस्लिम और जाट वोटरों के समीकरण पर दांव चला है. सपा की तरफ से 10 और आरएलडी की तरफ से 19 प्रत्याशी शामिल हैं. इस सूची में 9 मुस्लिम प्रत्याशी शामिल हैं. ऐसे में पश्चिमी यूपी की मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश में गठबंधन ने सधी हुई प्लानिंग की है. 

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कांग्रेस ने भी दिए मुस्लिमों को टिकट 

वहीं महासिचव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में UP election 2022 के लिए कांग्रेस ने भी 125 सीटों के प्रत्याशी घोषित किए हैं. पार्टी ने इसमें महिलाओं को लुभाने के साथ ही सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है. पार्टी ने 19 मुस्लिम नेताओं को टिकट दिए हैं जिनमें से अधिकतर पश्चिमी यूपी की सीटें हैं. कांग्रेस का ये दांव पूरे प्रदेश में सपा के राजनीतिक खेल को बिगाड़ने के साथ ही में बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

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मुस्लिम मतदाताओं का कन्फ्यूजन बीजेपी का फायदा

ये हमेशा से ही देखा गया है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर सभी मुस्लिम उम्मीदवार होने या फिर प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा होने की स्थिति में मुस्लिम मतदाताओं में असमंजस की स्थिति होती है और ध्रुवीकरण के बीच जहां बहुसंख्यक समुदाय का वोट एकतरफा जाता है तो वहीं मुस्लिम समाज का वोट बंट जाता है जिसका फायदा भाजपा उत्तर प्रदेश के पिछले चुनावों में कई बार उठा चुकी है. इसी का नतीजा है कि पार्टी देवबंद जैसी मुस्लिम बहुल सीट पर चुनाव जीत चुकी है. 

विपक्षी राजनीति के अभी तक के पैटर्न के अनुसार ये समझा जा रहा था कि विपक्षी दल भाजपा को चौतरफ़ा घेरने की प्लानिंग कर रहे हैं किंतु प्रत्याशियों के ऐलान के बाद‌ यह परिदृश्य बदलने लगा है और इसमें भाजपा को फायदा हो सकता है.

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