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UP Election 2022: सुल्तानपुर सदर सीट पर इस बार किसको मिलेगी जीत, किसका पलड़ा रहेगा भारी?

सुल्तानपुर विधानसभा सीट के साथ दिलचस्प तथ्य है कि यहां से जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार बनती है उसी का विधायक भी चुना जाता है.

UP Election 2022: सुल्तानपुर सदर सीट पर इस बार किसको मिलेगी जीत, किसका पलड़ा रहेगा भारी?
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डीएनए हिंदीः सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट प्रदेश की हॉट सीट में से एक कही जा सकती है. 2014 लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से ही वरुण गांधी जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. इस इलाके का अपना ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व भी रहा है. पिछले चुनावों को देख कर ऐसा कहा जाता है कि जो दल इस सीट पर जीत हासिल करता है, प्रदेश में उसी की सरकार बनती है. 2017 में यहां से बीजेपी को जीत मिली थी. सुल्तानपुर विधानसभा सीट पर 27 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. 

2009 में परिसीमन के बाद बदला नाम 
2009 से पहले तक इस सीट को जयस‍िंहपुर व‍िधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था. 2008 में परिसीमन के बाद जयस‍िंहपुर सीट का नाम बदलकर सुल्तानपुर कर दिया गया. परिसीमन के बाद इस सीट पर 2 बार चुनाव हुए हैं. 2012 के चुनाव में यहां से सपा के अनूप संदा ने जीत हासिल की थी. 2017 के चुनावों में भाजपा के सूर्यभान सिंह ने 86,786 वोटों का साथ सीट पर कब्जा किया था. जबकि दूसरे स्थान पर 54,393 वोटों के साथ बसपा के मुजीब अहमद रहे थे. 

जिसकी सीट उसकी सरकार 
पिछले परिणामों को देखते हुए यह कहा जाता है कि जो दल इस सीट को जीतता है, प्रदेश में उसकी सरकार बनती है. 1977 में जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत हासिल की और राज्य में सरकार बनाई थी. 1980 में कांग्रेस जीती थी और प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी थी. इसी तरह 1989 के चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की और राज्‍य में सरकार बनाई थी. यह सिलसिला लगातार चलता रहा लेकिन 2002 में इस सीट पर बीएसपी ने जीत दर्ज की लेकिन राज्य में सपा ने सरकार बनाई थी. 2012 और 2017 में जिस पार्टी की सरकार बनी उसका ही एमएलए भी चुना गया था
 
सुल्तानपुर सीट के जातीय समीकरण
सुल्तानपुर विधानसभा सीट पर कुल 3,36,000 मतदाता हैं. इनमें  74,000 दलित, 68,000 ब्राह्मण और 45000 मुस्लिम मतदाता हैं. कुल मिलाकर यहां दलित और मुस्लिम वोटों की खासी पकड़ रहती है. इस बार देखना होगा कि ये दोनों मजबूत वोट बैंक किस पार्टी को समर्थन देते हैं. 

डीएनए हिंदीः सुल्तानपुर विधानसभा सीट प्रदेश की हॉट सीट में से एक कही जा सकती है. 2014 लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से ही वरुण गांधी जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. इस इलाके का अपना ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व भी रहा है. पिछले चुनावों को देख कर ऐसा कहा जाता है कि जो दल इस सीट पर जीत हासिल करता है, प्रदेश में उसी की सरकार बनती है. 2017 में यहां से बीजेपी को जीत मिली थी. सुल्तानपुर विधानसभा सीट पर 27 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. 

2009 में परिसीमन के बाद बदला नाम 
2009 से पहले तक इस सीट को जयस‍िंहपुर व‍िधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था. 2008 में परिसीमन के बाद जयस‍िंहपुर सीट का नाम बदलकर सुल्तानपुर कर दिया गया. परिसीमन के बाद इस सीट पर 2 बार चुनाव हुए हैं. 2012 के चुनाव में यहां से सपा के अनूप संदा ने जीत हासिल की थी. 2017 के चुनावों में भाजपा के सूर्यभान सिंह ने 86,786 वोटों का साथ सीट पर कब्जा किया था. जबकि दूसरे स्थान पर 54,393 वोटों के साथ बसपा के मुजीब अहमद रहे थे. 

जिसकी सीट उसकी सरकार 
पिछले परिणामों को देखते हुए यह कहा जाता है कि जो दल इस सीट को जीतता है, प्रदेश में उसकी सरकार बनती है. 1977 में जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत हासिल की और राज्य में सरकार बनाई थी. 1980 में कांग्रेस जीती थी और प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी थी. इसी तरह 1989 के चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की और राज्‍य में सरकार बनाई थी. यह सिलसिला लगातार चलता रहा लेकिन 2002 में इस सीट पर बीएसपी ने जीत दर्ज की लेकिन राज्य में सपा ने सरकार बनाई थी. 2012 और 2017 में जिस पार्टी की सरकार बनी उसका ही एमएलए भी चुना गया था
 
सुल्तानपुर सीट के जातीय समीकरण
सुल्तानपुर विधानसभा सीट पर कुल 3,36,000 मतदाता हैं. इनमें  74,000 दलित, 68,000 ब्राह्मण और 45000 मुस्लिम मतदाता हैं. कुल मिलाकर यहां दलित और मुस्लिम वोटों की खासी पकड़ रहती है. इस बार देखना होगा कि ये दोनों मजबूत वोट बैंक किस पार्टी को समर्थन देते हैं. 

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