डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की 34 वर्षीय उम्मीदवार रूपाली दीक्षित ने यूके में स्नातकोत्तर और प्रबंधन की पढ़ाई पूरी की और दुबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया और 2016 में उनकी वापसी से पहले उनके पिता अशोक दीक्षित समेत परिवार के चार सदस्यों को मर्डर के कत्ल के आरोपी में अजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
जेल में हैं पिता
उनके पिता समेत घर के सभी पुरुषों के जेल होने के कारण रूपाली ने इस केस को देखना शुरू कर दिया. कानूनी प्रक्रिया को समझने में कठिनाई होने के चलते उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय में एक कानूनी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया और डिग्री प्राप्त की. इस बीच वह स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल होने लगीं.
रूपाली के 75 वर्षीय पिता अशोक दीक्षित और अन्य सदस्यों पर 2007 में फिरोजाबाद में एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका सुमन यादव की हत्या का आरोप था और इन्हें 2015 में दोषी ठहराया गया था. फिरोजाबाद के मूल निवासी अशोक के खिलाफ तीन हत्या के मामलों सहित आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, जो कि आगरा में स्थानांतरित कर दिए गए थे. रूपाली का परिवार एक कोल्ड स्टोरेज व्यवसाय चलाता है.
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विदेश से की पढ़ाई
जब रुपाली के पिता को गिरफ्तार किया गया था तब वो 19 वर्ष की थीं. उनका छोटा भाई अभिनव दीक्षित 14 साल का था. उन्होंने बताया, "परिवार में किसी ने मुझे शुरू में मामले के बारे में नहीं बताया. सभी मेरे पिता के हमारे साथ नहीं रहने के बारे में अलग-अलग बहाने देते थे और मुझे बाद में मुझे विदेश में पढ़ाई के लिए भेज दिया गया.”
उन्होंने Symbiosis पुणे से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 2009 में UK चली गईं. जहां उन्होंने MBA की डिग्री के लिए कार्डिफ विश्वविद्यालय से हासिल की और बाद में उन्होंने लीड्स यूनिवर्सिटी, यॉर्कशायर में प्रवेश लिया और मार्केटिंग और विज्ञापन में स्नातकोत्तर किया. इसके बाद उन्हें दुबई में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी मिल गई और जनवरी 2016 में भारत लौटने से पहले तीन साल तक वहां काम किया.
रुपाली ने बताया, “मुझे पता था कि हमारे परिवार में कुछ गलत हो रहा है लेकिन किसी ने मुझे असली तस्वीर नहीं दी. समय बीतने के साथ मुझे 2007 के मामले के बारे में पता चला. जुलाई 2015 में एक स्थानीय फिरोजाबाद अदालत ने मामले में फैसला सुनाया और मेरे पिता और चार चाचाओं सहित 12 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.”
राजनीति में की थी एंट्री
रुपाली ने बताया कि उनके पिता ने ही उन्हें वापस बुलाया था. उन्होंने कहा, "मुझे पिता का फोन आया और उन्होंने मुझे घर लौटने के लिए कहा. मैं दुबई में एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में काम कर रही थी. मैंने वहां इस्तीफा दिया और भारत वापस आ गई.”
उन्होंने बताया, "घर लौटने पर, मैंने अपने परिवार के पुरुष सदस्यों को जेल में पाया और अदालत में मामले से निपटने के लिए कोई नहीं बचा. कानून की पृष्ठभूमि के जानकारी न होने के चलते मुझे भी समस्या हो रही थी, जबकि मेरा परिवार उम्मीद खो रहा था. मैंने तब आगरा विश्वविद्यालय में कानूनी जानकारी हासिल करने के लिए प्रवेश लिया.”
उनके पिता और बड़े भाई को छोड़कर अन्य सभी लोग फिलहाल जमानत पर हैं. अदालती मामलों को संभालने और नियमित रूप से वकीलों से मिलने के दौरान रूपाली ने फतेहाबाद की राजनीति में भी शामिल होना शुरू कर दिया. 2017 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार जितेंद्र वर्मा के लिए प्रचार किया जिन्होंने फतेहाबाद सीट से 34,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की.
सपा ने अब इन्हें फतेहाबाद से ही UP Election 2022 के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है. इनका अब इस सीट पर कड़ा संघर्ष होने वाला है.