डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का गौरीगंज धार्मिक रूप से पहचाना जाता है. इस विधानसभा सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनावों से समाजवादी पार्टी परचम लहरा रही है. आलम यह है कि मोदी लहर में भी यहां समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. हालांकि कांग्रेस के हाथ दो दशक से खाली हैं.
गौरीगंज विधानसभा सीट से साल 1977 में जनता पार्टी के तेज भान सिंह निर्वाचित हुए. इसके बाद 1980, 1985 और 1989 में कांग्रेस की राजपति देवी ने जीत हासिल की. 1991, 1993 और 1996 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के तेज भान सिंह, 2002 में कांग्रेस के नूर मोहम्मद, 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चंद्र प्रकाश और 2012 में समाजवादी पार्टी (सपा) के राकेश प्रताप सिंह विधायक निर्वाचित हुए थे.
राकेश प्रताप ने 2017 में एक बार फिर जीत हासिल की और दूसरी बार विधानसभा पहुंचे. कांग्रेस ने मोहम्मद नईम, बसपा ने विजय किशोर और बीजेपी से उमाशंकर पांडेय को मैदान में उतारा था लेकिन बीजेपी और मोदी लहर के बावजूद बीजेपी को शिकस्त मिली. सपा के राकेश प्रताप सिंह ने कांग्रेस के मोहम्मद नईम को 26419 वोट से हरा दिया था. बसपा के विजय किशोर तीसरे और बीजेपी के उमाशंकर चौथे स्थान पर रहे थे.
गौरीगंज विधानसभा सीट पर करीब 3 लाख मतदाता हैं. इस सीट को राजपूत बाहुल्य सीट माना जाता है. ब्राह्मण मतदाता भी इसमें निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अनुसूचित जाति के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं की भी काफी संख्या है. 1952 से लेकर अब तक गौरीगंज विधानसभा में 18 विधायक बने हैं. इनमें 16 राजपूत, एक ब्राह्मण और एक मुस्लिम विधायक शामिल रहे हैं.
गौरीगंज से इस बार बीजेपी ने प्रत्याशी चंद्र प्रकाश मिश्र मटियारी को मैदान में उतारा है. वहीं सपा ने इस बार भी विधायक राकेश प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है. सपा को भरोसा है कि राकेश जीत की हैट्रिक लगाएंगे. गौरीगंज विधानसभा सीट के लिए यूपी चुनाव के पांचवे चरण में 27 फरवरी को मतदान होना है. देखना दिलचस्प होगा कि सपा प्रत्याशी जीत की हैट्रिक लगाते हैं या फिर बीजेपी बदलाव करती है.