डीएनए हिंदी : Goa Elections 2022 को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खूब तैयारियां की थीं. ममता प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक की मदद से राज्य में अपनी राजनीतिक जमीान मजबूत करने के प्रयास कर रही हैं. इसके विपरीत वो नेता जो कुछ महीनों पहले उनकी पार्टी में आए थे, वो सभी Goa Elections 2022 के पहले ही TMC की आलोचना कर पार्टी छोड़ रहे हैं. इसके साथ ही इन नेताओं ने ममता बनर्जी को सांप्रदायिक बताते हुए उनकी महिला उत्थान की योजनाओं को ढोंग बताया है.
ममता पर भड़के पूर्व विधायक
दरअसल, Goa Elections 2022 में टीएमसी को मजबूत करने की जगह पार्टी के पांच नेताओं ने चुनाव से पहले ही पार्टी छोड़ दी है. इस दौरान नेताओं ने ममता पर सांप्रदायिकता के गंभीर आरोप लगाए हैं. छोड़ने वालों में मुख्य नाम पूर्व विधायक लवू मामलातदार का है, जो कि राज्य में एक वरिष्ठ माने जाते है. उन्होंने कहा, "हम ऐसी पार्टी के साथ नहीं रहना चाहते जो गोवा को बांटने की कोशिश कर रही है." गौरतलब है कि इस्तीफा देने वालों में राम मांडरेकर, किशोर परवार, कोमल परवार और सुजय मलिक जैसे नेताओं का भी नाम शामिल हैं.
गृहलक्ष्मी योजना को बताया है फेल
इन नेताओं ने ममता सरकार की राज्य की प्रत्येक महिला को 5 हजार रुपये देने वाली गृहलक्ष्मी स्कीम को लेकर भी लताड़ा है. उन्होंने इस योजना के लिए एकत्र किए गए डेटा को चुनाव से जोड़कर देखने की बात कही है. मामलातदार ने कहा, "यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि गोवा गृह लक्ष्मी योजना में आप सभी ने जिस कंपनी को काम पर रखा है, उसके चुनाव के लिए डेटा का एक संग्रह है, क्योंकि उनके पास जमीन पर कोई डेटा नहीं है."
बंगाल में चल रही गृहलक्ष्मी को विफल बताते हुए पूर्व विधायक ने कहा, "जब टीएमसी सरकार पश्चिम बंगाल में महिलाओं के उत्थान में विफल रही है, तो हमें नहीं लगता कि यह गोवा के हमारी माताओं और बहनों के लिए कोई अच्छा काम करेगी।" इसके साथ ही इन नेताओं ने दावा किया है कि टीएमसी ने जिस महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) से गठबंधन किया है. वो धार्मिक आधार पर राजनीति करने वाली पार्टी है.
ममता के खिलाफ खड़े हो गए नेता
ध्यान देने वाली बात ये है कि कल तक जो नेता ममता के नेतृत्व पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे थे, अब उन सभी का मन TMC से भंग हो गया है. टीएमसी छोड़ने वाले इन नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि ये किसी भी कीमत पर राज्य में सांप्रदायिका को विस्तार नहीं करने देंगे. इस पूरे प्रकरण को गोवा चुनाव से पहले ममता के लिए झटका माना जा रहा है. इसके साथ ही राज्य की टीएमसी चुनाव प्रभारी और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा के राजनीतिक कौशल पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.