Karnataka Exit Polls: Congress के कैंपेन में उलझी BJP, कमीशन, करप्शन और लिंगायत ने बिगाड़ा गेम, जानिए कैसे

Latest News

डीएनए हिंदी: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 की तस्वीर धीरे-धीरे साफ हो रही है. 10 मई को वोटिंग के बाद आए एग्जिट पोल के आंकड़े कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) हार रही है और कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है. 224 विधानसभा सीटों पर हुए एग्जिट पोल का साफ इशारा है कि कांग्रेस की हमलावर राजनीति काम आई और बीजेपी, लगातार लग रहे आरोपों का बचाव करने में बुरी तरह फेल रही है. हर एग्जिट पोल के आंकड़े कह रहे हैं कि बीजेपी को झटका लगा है और जनता दल सेक्युलर (JDS) के पांव और सिमट गए हैं.

ZEE NEWS और MATRIZE के एग्जिट पोल इशारा कर रहे हैं कि कांग्रेस को विधानसभा में 103 से 118 सीटें हासिल हो सकती हैं. अगर यह आंकड़ा 118 होता है तो कांग्रेस के पास बहुमत से 5 सीटें ज्यादा होंगी. बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा में सिर्फ 113 सीटें चाहिए. 2018 के विधानसभा चुनाव में 104 सीट जीतने वाली बीजेपी 79-94 सीट पर सिमट रही है. जेडीएस 25 से 33 सीटों पर सिमट रही है. अन्य 2 से 5 सीटें हासिल कर सकते हैं.

एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक बीजेपी बहुमत से पर्याप्त दूर है. जेडीएस बीजेपी को समर्थन देने से रहा, ऐसे में कांग्रेस की सरकार बननी तय है. कांग्रेस और जेडीएस के रिश्ते अच्छे रहे हैं. अगर कांग्रेस कमजोर हुई तो एचडी कुमारस्वामी एक बार फिर अपने सिर ताज सजा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- Karnataka Assembly Elections 2023: क्या हावी रही इस बार चुनाव में ब्लैक मनी? जानिए क्या कह रहे जब्त पैसे के आंकड़े

ऐसा नहीं है कि सिर्फ जी न्यूज का सर्वे ही कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बना रहा है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के सर्वे में कांग्रेस 122 से 140 सीटें हासिल कर रही है. बीजेपी महज 62 से 80 सीटों पर सिमट रही है. जेडीएस के पास 20 से 25 सीटें आ सकती हैं. जन की बात के सर्वे में बीजेपी को बढ़त दिखाई गई है. बीजेपी 94 से 117 सीटें हासिल कर सकती है, कांग्रेस 91 से 106 सीटें हासिल कर सकती है, वहीं जेडीएस 14 से 24 सीटों पर सिमट सकती है. तकरीबन हर सर्वे में कांग्रेस को बढ़त है, बीजेपी को झटका लगा है. आइए जानते हैं कि कैसे कांग्रेस की आक्रामक रणनीति ने चुनावी समीकरण ही बदल दिए.

कमीशन कल्चर ने BJP का बिगाड़ दिया गेम

कर्नाटक के कमीशन पर देशभर में चर्चा हुई. ऐसा कहा जाने लगा कि कोई भी सरकारी काम कराना हो तो कर्नाटक में बिना कमीशन के काम नहीं चलेगा. दावा किया गया कि यहां 40 प्रतिशत कमीशन का राज चलता है. बीजेपी पर आरोप लगे कि स्कूलों, ठेकेदारों, शिक्षकों, इंजीनियर, मरीजों और यहां तक ​​कि धार्मिक मठों को भी 40 प्रतिशत कमीशन देने पड़े.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा से फोन पर बातचीत की तो कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना दिया. बेलगावी में सार्वजनिक कार्यों पर 40 प्रतिशत कमीशन लेने का ईश्वरप्पा पर आरोप लगा था और पैसे न दे पाने की वजह से प्रोजेक्ट रुका तो संतोष पाटिल नाम के एक ठेकेदार ने ने आत्महत्या कर ली थी. कांग्रेस इसे मुद्दा बना ले गई. कांग्रेस ने कहा कि भ्रष्टाचारियों को लेकर भी पीएम मोदी के मन में हमदर्दी है.

करप्शन ने कैसे बिगाड़ा BJP का खेल?

बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे. कांग्रेस ने पहली बार इतनी शानदार कैंपेनिंग की कि बीजेपी की कोई रणनीति काम नहीं कर पाई. न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा काम आया, न लिंगायत वोटबैंक. बीएस येदियुरप्पा और सीएम बोम्मई महज कठपुतली समझे गए. कांग्रेस की सधी हुई रणनीति काम आई.

कांग्रेस के '40 प्रतिशत कमीशन की सरकार' नारे ने बीजेपी का ऐसा गेम बिगाड़ा कि न तो बजंरगबली काम आए, न ध्रुवीकरण असरदार रहा. कांग्रेस जनता को यह समझाने में कामयाब रही कि बीजेपी में मुख्यमंत्री पद भी बिकाऊ है, जिसे 2,500 करोड़ रुपये देकर खरीदा जा सकती है.

सिर्फ यही नहीं, कांग्रेस ने कर्नाटक में भ्रष्टाचार का एक रेट कार्ड प्रकाशित कराया जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर ग्रेड 3 के कर्मचारी तक हर अनुबंध और नियुक्ति के लिए रिश्वत का जिक्र किया गया था.

इसे भी पढ़ें- Karnataka Exit Polls: कर्नाटक में कांग्रेस जीती तो 'मोदी फैक्टर' पर उठेंगे सवाल, जानें कैसे प्रभावित होगा 2024 का गणित

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने कर्नाटक में बीते 4 साल में 15,000 करोड़ रुपये लूटे हैं. कर्नाटक में'डबल इंजन' सरकार होने के बजाय 'ट्रबल इंजन' सरकार थी. चुनाव आयोग ने इन आरोपों को आचार संहिता का उल्लंघन माना और कांग्रेस को नोटिस भेज दिया. चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस इस विज्ञापन को वापस ले. कांग्रेस जनता तक यह बात पहुंचाने में सफल रही कि बीजेपी भ्रष्टाचार में लिप्त रही और यह पहली बार है जब बीजेपी अपना बचाव करने में बुरी तरह फेल रही.

लिंगायतों को रिझा ले गए राहुल गांधी, BJP मलती रह गई हाथ

लिंगायतों को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता रहा है. लिंगायतों की आबादी कर्नाटक में करीब 17 फीसदी है. बीएस येदियुरप्पा, बसराव बोम्मई, जगदीश शेट्टर, एचडी थम्मैया और केएस किरण कुमार लिंगायतों के बड़े नेता हैं. बीएस येदियुरप्पा और बसराव बोम्मई बीजेपी से जुड़े हैं, वहीं जगदीश शेट्टार बीजेपी से बगावत करके कांग्रेस में गए हैं. 

जब बीएस येदियुरप्पा को बीजेपी ने एक साल पहले ही मुख्यमंत्री पद से रिटायर किया और बोम्मई को सत्ता सौंपी तभी यह संदेश गया कि बीजेपी सिर्फ लिंगायतों को वोटबैंक की तरह इस्तेमाल कर रही है. जब जगदीश शेट्टार कांग्रेस में आए, तब यह भी संदेश गया कि बड़े लिंगायत नेता रूठ रहे हैं. कांग्रेस इसे अपने पक्ष में भुनाने में कामयाब रही.

लिंगायत कर्नाटक की बहुसंख्यक आबादी है. राज्य के उत्तरी हिस्से में वे बेहद प्रभावशाली हैं. दक्षिण में भी सियासत पर उनकी मजबूत पकड़ है. उनके पास अलग-अलग दलों के 54 विधायक हैं, जिनमें ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हैं. साल 1952 से 23 मुख्यमंत्रियों में से 10 लिंगायत थे. लिंगायत आबादी का 17 फीसदी हैं. कर्नाटक में वोक्कालिगा 15 फीसदी, ओबीसी 35 फीसदी, एससी-एसटी 18 फीसदी, मुस्लिम करीब 12.92 फीसदी और ब्राह्मण करीब तीन फीसदी हैं. अगर एग्जिट पोल को सच मानें तो लिंगायतों ने बीजेपी को बड़ा झटका दे दिया है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.